नरभक्षी आदमी - भाग 2 Abhishek Chaturvedi द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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नरभक्षी आदमी - भाग 2

भयानक सच्चाई का सामना

अर्जुन और उसके दोस्तों की गुमशुदगी के बाद, काली वन के गाँव में डर और भी गहरा हो गया था। गाँव के लोग अब अंधकार के समय को लेकर पहले से भी ज़्यादा सतर्क हो गए थे। बच्चे अपनी माँओं के बिना घर के बाहर खेलने की हिम्मत नहीं करते थे, और सूरज ढलते ही सब अपने घरों में बंद हो जाते थे।

गाँव के मुखिया, महादेव, जो पहले से ही कई तरह के भूत-प्रेतों और अंधविश्वासों से जुड़े थे, अब चिंतित थे। उन्होंने अपने बुजुर्गों से चर्चा की और फैसला किया कि अब और इंतजार नहीं किया जा सकता। गाँव को बचाने के लिए कुछ करना ही होगा। उन्होंने एक बार फिर से गाँव के सबसे साहसी लोगों को इकट्ठा किया और एक योजना बनाई। 

महादेव ने गाँव के सबसे पुरानी और रहस्यमय किताब निकाली, जो पीढ़ियों से उनके परिवार में थी। उसमें कई रहस्य और तंत्र-मंत्र लिखे हुए थे, जिनका उपयोग करने की हिम्मत पहले किसी ने नहीं की थी। उस किताब में "नरभक्षी आत्मा" को वश में करने का एक तरीका लिखा था, लेकिन यह बहुत जोखिम भरा था। 

तय हुआ कि महादेव खुद उस नरभक्षी आत्मा से सामना करेंगे और उसे हमेशा के लिए खत्म करने की कोशिश करेंगे। उनके साथ कुछ और गाँव के साहसी लोग जाने को तैयार हुए। लेकिन वे जानते थे कि अगर वे असफल हुए, तो न केवल वे लोग, बल्कि पूरा गाँव उस भयंकर श्राप का शिकार बन जाएगा।

अमावस्या की रात फिर से आई। इस बार, महादेव और उनके साथी पूरी तैयारी के साथ गुफा की ओर बढ़े। वे मंत्र, तंत्र-मंत्र से लैस थे और उन्हें विश्वास था कि वे इस बार उस नरभक्षी आत्मा का अंत कर देंगे। 

जैसे ही वे गुफा के पास पहुँचे, उन्हें एक भयानक दृश्य का सामना करना पड़ा। गुफा के बाहर पहले से ही कुछ लोगों के कंकाल बिखरे हुए थे—वे अर्जुन और उसके दोस्तों के थे। महादेव ने अपने साथियों को साहस बंधाया और आगे बढ़ने को कहा। 

गुफा के अंदर एक बार फिर से अजीब आवाजें गूंजने लगीं। यह आवाजें किसी अदृश्य शक्ति की थीं, जो उनके मन में डर बैठाने की कोशिश कर रही थी। लेकिन महादेव ने अपने साथियों को मन में साहस रखने का आदेश दिया। वे गुफा के और भीतर गए, और उन्होंने वह जगह देखी जहाँ नरभक्षी आदमी अपनी आदमखोरी की रस्में निभाता था। 

उसके सामने, एक बड़े पत्थर पर कुछ लिखा हुआ था। महादेव ने उस लिखावट को देखा और उन्हें समझ आया कि यह वही श्राप था जिसने उस आदमी को नरभक्षी बना दिया था। अगर इस पत्थर को नष्ट कर दिया जाए, तो शायद श्राप टूट जाएगा।

लेकिन जैसे ही महादेव उस पत्थर को तोड़ने के लिए आगे बढ़े, अचानक गुफा के अंदर की हवा और ठंडी हो गई। एक भयंकर चीख के साथ नरभक्षी आदमी प्रकट हुआ। उसकी आँखों में वही पागलपन और भूख थी। महादेव ने तुरंत मंत्रों का उच्चारण शुरू कर दिया, लेकिन वह आत्मा बहुत शक्तिशाली थी। 

उस नरभक्षी आदमी ने महादेव के साथियों पर हमला करना शुरू कर दिया। उनमें से कुछ लोग तुरंत ही उसकी चपेट में आ गए, और उनकी चीखों से गुफा गूंज उठी। लेकिन महादेव हार मानने को तैयार नहीं थे। उन्होंने अपने पूरे जोर से मंत्रों का उच्चारण किया और उसी समय उस पत्थर पर अपना त्रिशूल दे मारा।

जैसे ही त्रिशूल पत्थर पर लगा, एक जोरदार धमाका हुआ। गुफा की दीवारें कांपने लगीं, और नरभक्षी आदमी एक दर्दनाक चीख के साथ धुंआ में बदलने लगा। महादेव और उनके बचे हुए साथी तेजी से गुफा से बाहर भागे, क्योंकि गुफा ढहने लगी थी।

जब वे गुफा के बाहर पहुंचे, उन्होंने देखा कि धीरे-धीरे वह पूरी गुफा ध्वस्त हो रही थी, और अंततः जमीन में समा गई। वे जानते थे कि यह अंत नहीं था, लेकिन उन्होंने नरभक्षी आत्मा की शक्ति को कमज़ोर कर दिया था।

गाँव में वापस लौटते हुए, महादेव ने घोषणा की कि काली वन का खतरा अब थोड़ा कम हो गया है, लेकिन पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ। उन्होंने गाँववालों को सावधान रहने की सलाह दी, क्योंकि उस आत्मा का पूरा नाश करने के लिए अभी और मेहनत करनी बाकी थी। 

उस रात के बाद, काली वन में कुछ शांति लौटी, लेकिन गाँव के लोग जानते थे कि यह सिर्फ एक लड़ाई थी, युद्ध अभी बाकी था। नरभक्षी आदमी की कहानी और महादेव के साहस की कहानी गाँव में पीढ़ियों तक सुनाई जाती रही, ताकि भविष्य में कोई भी उस श्रापित आत्मा को जागृत न कर सके।

लेकिन कहते हैं, हर अमावस्या की रात, उस गुफा के स्थान पर आज भी एक अजीब-सी सरसराहट सुनाई देती है, जो बताती है कि वह श्राप अभी भी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है। नरभक्षी आदमी की आत्मा कहीं गहरी नींद में सोई हुई है, और वह दिन दूर नहीं जब वह फिर से जागेगी।




अब इस संघर्ष का क्या परिणाम निकलता है अगले भाग में देखें और आगे पढें......
अंतिम संघर्ष