बेखबर इश्क! - भाग 10 Sahnila Firdosh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बेखबर इश्क! - भाग 10

इधर कार का पीछा करती कनिषा ने देखा की तूफान की वजह से सड़क पर एक जगह पेड़ गिरा हुआ था,जिससे आगे का रास्ता ब्लॉक हो गया था,,उसे देख कनिषा के गुलाबी होंठों पर मुस्कान छा गई और वो समझ गई की आगे चल कर कार को रुकना ही था!

सब कुछ समझते हुए उसने अपनी दौड़ने की चाल और तेज कर दी और कार के रुकते ही उसके दरवाजे तक पहुंच गई,,कार के शीशे पर नॉक करने से पहले उसने गहरी गहरी सांसे भरी और खुद को थोड़ा रिलेक्स करते हुए शीशे पर नॉक कर दिया!!

नॉक करने के कुछ आधे सेकंड बाद ही उसने देखा की कार का शीशा अंदर बैठे एक सुंदर से चेहरे वाले सख्स द्वारा नीचे किया जा रहा था,उसकी आंखे समंदर से भी  ज्यादा गहरी और वीरान नजर आ रही थी,,चेहरे पर बिना कोई इमोशन लिए वो एकटक कनिषा को देखने लगा था,आज से पहले इशांक ने इतनी खूबसूरत और चंचल आंखे नही देखी थी।।

दूसरी ओर तरफ इशांक की पार्सनेल्टी और चेहरे की रौब को एक मिनट तक देखते रहने के बाद कनिषा को लगा जैसे उसने ये चेहरा पहले भी कहीं देखा था,,हालंकि उसने ज्यादा ध्यान नही दिया और अपनी भौहें उछालते हुए कहा......"कार में सूट बूट पहन कर बैठ जाने से बंदर इंसान नही बन जाता,, आंखो का ऑपरेशन करा लिया है क्या,मेरी जैसे खूबसूरत लड़की तुम दोनो को सड़क पर नजर नही आई,मेरे पूरे कपड़ो पर सड़क का पानी उछाल दिया,इसी पानी में डूब के मर जाना चाहिए तुम्हे!!"

इशांक जो की अपने सामने खड़ी लड़की की खूबसूरती में कुछ पलों के लिए खो सा गया था,अचानक उसका ध्यान लड़की के हाथ पर गई,,उसके एक हाथ में बारिश से पूरी तरह भींगा समोसा था और दूसरे हाथ में पानी से भरा बोतल जिस पर ढक्कन भी मौजूद नही था,शरीर के कपड़ों पर कीचड़ के छींटे भी नजर आ रहे थे,,,जिसे देख इशांक ने घृणास्पद चेहरा बनाया और दूसरी तरफ देखते हुए अपने ड्राइवर से कहा," बैंक्वेट हॉल में पहुंचने का दूसरा रास्ता लो...इतना कहते हुए इशांक ने अपने पॉकेट से वॉलेट निकाला और उसमे से दो हजार के चार नोट निकाल कर बाहर खड़ी लड़की की तरफ बढ़ा दिया!!

बारिश अब तक थम गई थी,और कनिषा की निगाह इशांक के बढ़ाए नोट पर जा टिकी थी, उन नोटो को देख कनिषा का खून गुस्से से उबलने लगी,उसे ऐसा लगा जैसे कार के अंदर बैठा इशांक उसकी बेइज्जती कर रहा है, और उसके खराब किए कपड़ों की कीमत दे, कर अपनी गलती को पैसों से ढक रहा है...ऐसा सोचते ही कनीषा ने एक झटके में नोट को छीन लिया और फिर बिना समय गवाए उन नोटो को इशांक के चेहरे पर ही दे मारा! 

उसके ऐसा करते ही इशांक गुस्से से तिलमिला उठा और कनिषा को खा जाने वाली नजरों से घूरने लगा,तभी कनीषा ने निडर भाव से कहा,"मै तुम से भीख लेने नही आई थी,,जो तुम्हारे ड्राइवर ने किया है ना उसका हिसाब देने आई थी,सोचा तो था की उसे दूंगी,लेकिन अब लग रहा है...इसकी तुम्हे ज्यादा जरूरत है,जिसका मालिक इतना एरोगेंट होगा,उसका ड्राइवर बत्तमीज कैसे नही होगा".... इतना कहते हुए कनिषा ने अपने हाथो में लिए बोतल के पानी को इशांक के ऊपर फेंक दिया और हिकारत भरी आवाज में कहा," जो तुम्हारी कार ने मेरे साथ किया वही मैने तुम्हारे साथ किया,,अब हिसाब बराबर हो गया,यहां से जाने की जल्दी है ना तुम्हे,अब चले जाओ जहन्नुम में!!

कनिषा की बाते और उसकी हरकतों को देख इशांक की आंखे गुस्से से जलने लगी थी,उसका दिमाग बिल्कुल घूम सा गया,जब एक अनजान लड़की ने बीच सड़क पर उसे पानी से नहला दिया,,,,अपने चेहरे से पानी को पोंछाते हुए इशांक ने महसूस किया की उसका ड्राइवर कार को स्टार्ट कर चुका है,जिससे वो गुस्से से चिल्लाया, " stop the car"(कार को रोको).

कार के रुकते ही इशांक ने अपनी ओर के दरवाजे को खोला और उसमे से निकल कर कनीषा के बिल्कुल सामने खड़ा हो गया!

जब कनीषा की नजर अपने सामने खड़े सख्स की गुस्से से भरी आंखो पर पड़ी तो थोड़ा डरते हुए उसने अपने कदम पीछे ले लिए,लेकिन फिर अचानक से उसने अपने चेहरे की भाव बदले और अपने हाथ में लिए पानी के बोतल और समोसे को नीचे सड़क पर फेंकते हुए कहा,"ये !एनाकोंडा जैसी आंखे मत दिखाओ मुझे"....कनिषा कह ही रही थी,की तभी इशांक ने गुस्से से चीखते हुए कहा,,"हाउ डेयर यू?,,तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे ऊपर पानी फेंकने की!!

" अच्छा!!तो तुम चाहते हो की तुम मुझ पर सड़क का गंदा पानी उछाल कर चले जाओ और मैं कुछ बोलूं भी ना,,मेरा मतलब है करूं भी ना,ऊपर से अपने पैसे का रौब भी दिखा रहे थे,,, बेटाआआ...,, हथौड़ा लेकर तुम्हारी कार और ये एटीट्यूड दोनो कचराकुट कर दूंगी,समझ क्या रखा है मुझे," ...... कनिषा ने कहा!!

इतना सुन इशांक बिल्कुल बौखला सा गया और उसने एक झटके में कनिषा का हाथ पकड़ कर पीछे की तरफ मोड़ उसके पीठ पर लगाते हुए अपनी करीब खींच लिया, कनीषा जो की इस हरकत के बारे में अंदाजा भी नही लगा पाई थी,उसके चेहरे पर डर की एक हल्की झलक दिखाई पड़ने लगी और वो अपने हाथ को छुड़ाने की लिए स्ट्रगल करने पर मजबूर हो गई!!

मुझे नही पता की तुम्हारे अंदर ये दो कौड़ी का एटीड्यूड कहां से आया है लिकन इतना जरूर पता है की अगर आज के बाद से तुम मेरे सामने कभी भी आई तो,मैं तुम्हारा वो हश्र करूंगा जो तुम सोच भी नही सकती,माइंड ईट!!".....इशांक ने कनीषा की कलाई पर पकड़ को मजबूत कर गुस्से से दांत पीसते हुए कहा,और उसके अगले ही पल उसकी कलाई छोड़ अपनी कार में बैठ गया!!!

इशांक के द्वारा कलाई छोड़ते ही कनिषा अपनी कलाई को देखती है, उस जगह जहां इशांक ने उसे पकड़ रखा था,वहां उंगलियों के निशान उभर आए थे....."अरे जाओ जाओ बहुत देखे हैं तुम जैसे छछुंदर,तुम कभी मेरे सामने आ गए तो भौंहैं सेव कर दूंगी तुम्हारी!".... इतना कह गुस्से से तिलमिलाते हुए कनीषा नीचे झुँकी और एक पत्थर उठा कर इशांक की कार की ओर फेंक दिया।।

निशाना कमजोर और गाड़ी दूर होनी की वजह से कनिषा का चलाया हुआ पत्थर गाड़ी पर ना लग कर वहां खड़े दूसरे इंसान के सिर पर लग जाती है,जिसे देख कनिषा अपनी आंखे बड़ी करते हुए दूसरी तरफ मुड़ जाती है, और धीरे धीरे ऐसे चलने लगती है जैसे उसने कभी पत्थर फेंक ही नही था!!

इधर इशांक गुस्से से अपने टक्सीडो सूट के ऊपर के ब्लेजर को निकाल कर गाड़ी की दूसरे सीट पर फेंक देता है और अपने रुमाल से शर्ट पर गिरे पानी को सुखाने की कोशिश करने लगाता है!!
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दूसरी ओर सड़क के बीचों बीच पेड़ गिरने और एक अनजान लड़की के साथ बहस करने की वजह से इशांक जो वक्त का काफी पाबंद था,अपनी जिंदगी में आज पहली बार कहीं पहुंचने में लेट हो गया था,,इसलिए जब वो कार से बाहर निकला,तब सबसे पहले उसकी नजर अपनी छोटी बहन "भव्या" पर पड़ी,जो एक हल्के हरे रंग की महंगी सी गाउन पहने,हॉल के दरवाजे के बिल्कुल सामने खड़ी बेचैनी से कभी अपने घड़ी में,तो कभी वहां आते जाते लोगों को देख रही थी,,उसके बालों और चेहरे के मेकअप को देख कर इशांक को पहले कुछ सेकंड तक वो उसकी मां जैसी लगी....जिसकी वजह से इशांक का चेहरा किसी सितारे की तरह ठंडा पड़ गया,और आचनक उसने अपने कदमों को एक ही जगह रोक लिया.....एकाएक उसके आंखो के आगे अपने बचपन की वही कुछ तस्वीरे उभर आई,जो अकसर उसके याद आता रहता था,,जब वो मात्र आठ साल का था,और एक दरवाजे से खड़ा हो कर अपनी मां को एक छोटी सी बच्ची के साथ दूर जाता देखता रह गया था।।

"भईया!".....अचानक भव्या की उत्साहित आवाज से इशांक अपनी उन बुरी यादों से बाहर निकल आया और जबरदस्ती अपने चेहरे पर एक मुस्कान बनाए उस ओर ही बढ़ने लगा,भव्या के सामने आते ही उसने सबसे पहले उसके सिर पर अपना हाथ रख कर अपने प्यार को जाहिर किया और फिर बोला....."आज एक साल बाद मिल रही हो,वो भी अगर तुम्हारी दोस्त की शादी ना होती तो...मुझसे नही मिलती,,,भईया के पास लौट आओ!!"

"आप जब भी मिलते है,यही क्यों कहते है,आपको पता तो है मैं मॉम को छोड़ कर नहीं आ सकती"......भव्या इशांक के हाथ को अपने सिर से हटाते हुए बोली।।

"रीमा मेहरा(इशांक और भव्या की मां)को तुम्हारी जरूरत भी है?मुझे लगता है उनका प्यारा बेटा "आदित्या मेहरा"उन्हे खुश होने के लिए काफी है!!".....कहते हुए इशांक ने अपने ब्लैक गॉगल्स को आंखो पर चढ़ा लिया।

"भाई!मां है वो आपकी,कभी तो मॉम कह दिया कीजिए,आपको पता ह,, उन्हे आपकी कितनी फिक्र सताती है??".....भव्या ने जब ये कहा, तब अनायास ही इशांक हंसने लगा,जैसे वो उसके इन शब्दों का मजाक बना रहा हो...."मेरे लिए मॉम शब्द की औरत कब की मर गई,वो लालची और धोखेबाज औरत मेरे लिए सिर्फ विक्रम मेहरा(इशांक के स्टेप डैड) की पत्नी है, जो मेरे डैड के साथ वफादार तक ना रह सकी,,और जिसकी वजह से मेरे डैड हमेशा के लिए व्हील चेयर पर बैठ गए!!"

इशांक के हाई टेंपर गुस्से से वाकिफ होने की वजह से भव्या ने आगे कुछ भी अपनी मॉम के फेवर में कहना ठीक नहीं समझा और थोड़ा झिझक के साथ इशांक की हथेली पकड़ते मासूमियत से कहने लगी....."भईया!गुस्सा तो मत होइए,,मैं इतने दिनो बाद मिल रही हूं आपसे और आप अब भी जरा सा नही बदले,इतनी नफरत भी ठीक नहीं,,इस तरह तो कोई भी लड़की मेरी भाभी बनने और लिए तैयार नहीं होगी!!"

"फालतू की बातें में अपना दिमाग मत लगाओ,किसी भी धोखेबाज और चालक लड़की को मैं अपने आस पास भी नही आने दूंगा!!".....इशांक गंभीरता से बोल ही रहा था,तभी उसके कानो में एक जानी पहचानी सी झगडालू आवाज आई,जिससे उसने अपने सिर को हल्के से पीछे अपने पार्क लिए हुए कार की तरफ घुमाया,वहां कार से कुछ ही दूरी पर एक ऑटो के सामने,वही बारिश वाली लड़की को उस ऑटो वाले से बारगेनिंग करता देख इशांक का दबा हुआ गुस्सा अचानक भड़क गया और वो थोड़ी ज्वलित भाव से बोला...."ये पागल लड़की हर किसी से लड़ती है,मुझे ऐसी लड़कियां वाहियात लगती है.... होती लो क्लास से है और एटीट्यूड शो करती है हाई क्लास की!!"