गर्भ संस्कार से जुड़ी प्रचलित कहानियां:-
अभिमन्यु की गर्भ संस्कार की कहानी— गर्भ संस्कार को लेकर अक्सर अभिमन्यु की कहानी सुनाई जाती है। यह महाभारत की प्रख्यात घटनाओं में से एक है। इस संदर्भ में महाभारत की सुविख्यात घटना है कि महाभारत युद्ध के समय एक दिन द्रोणाचार्य ने पांडवों का वध करने के लिए चक्रव्यूह की रचना की। उस दिन चक्रव्यूह का रहस्य जानने वाले एकमात्र अर्जुन को कौरव बहुत दूर तक भटका ले गए और इधर पांडवों के पास चक्रव्यूह भेदन का आमंत्रण भेज दिया। यह जानकर सारी सभा सन्नाटे में थी, तब 23 वर्षीय राजकुमार अभिमन्यु खड़े हुए और बोले ‘‘मैं चक्रव्यूह भेदन करना जानता हूं।’’ युधिष्ठिर ने साश्चर्य प्रश्न किया ‘‘पुत्र! मैंने तो तुम्हें कभी भी चक्रव्यूह भेदन सीखते न देखा और न ही सुना।’’ तब अभिमन्यु ने कहा ‘‘तात् जब मैं अपनी मां सुभद्रा के पेट में था और मां को प्रसव पीडा प्रारंभ हो गई थी, तब मेरे पिता अर्जुन पास ही थे। मां का ध्यान दर्द की ओर से बंटाने के लिए उन्होंने चक्रव्यूह भेदन की क्रिया बतानी प्रारंभ की।
स्वामी विवेकानंद की गर्भ संस्कार की कहानी— जानकारों का कहना है कि स्वामी विवेकानंद की मां भुवनेश्वरी देवी गर्भावस्था के दौरान ध्यान लगाया करती थीं, इसी कारण स्वामी विवेकानंद बचपन से ध्यान योग विद्या जानते थे।
भक्त प्रहलाद की गर्भ संस्कार की कहानी— पौराणिक कथाओं के अनुसार, भक्त प्रह्लाद जब गर्भ में थे, तब उनकी मां को घर से निकाल दिया गया था। उस समय देवर्षि नारद मिले और उन्होंने भक्त प्रह्लाद की मां को अपने आश्रम में शरण दी। वहां नारायण-नारायण का अखंड जाप चलता रहता था। जन्म के बाद प्रहलाद इसीलिए भक्त प्रहलाद कहलाए क्योंकि वे नारायण यानि विष्णु भगवान के परम भक्त बन गये थे।
नेपोलियन बोनापार्ट की गर्भ संस्कार की कहानी—नेपोलियन बोनापार्ट को युद्ध की शिक्षा गर्भावस्था में मिली थी। गर्भावस्था में उसकी माता को घुड़सवारी व युद्ध करने पड़ते थे। कई बार तो घोड़े पर ही रात्रि-विश्राम लेना पड़ता था। एक जगह से दूसरी जगह घोड़े पर ही भागते रहना पड़ता था।
गर्भ संस्कार मंत्र और श्लोक :
गर्भावस्था के दौरान मंत्रों और श्लोकों का उच्चारण करने से होने वाले शिशु पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। आइए जानते हैं गर्भ संस्कार के लिए किन मंत्रों का उच्चारण करना श्रेष्ठ रहता है –
गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गोदेवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
रक्षा मंत्र
रक्ष रक्ष गणाध्यक्ष: रक्ष त्रैलोक्य नायक:।
भक्त नाभयं कर्ता त्राताभव भवार्णवात्।।
विष्णु मंत्र
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।।
गर्भ संस्कार का वैज्ञानिक संशोधन या साइंटिफिक गर्भ संस्कार
मातृत्व एक वरदान है। तथा प्रत्येक स्त्री एक तेजस्वी शिशु को जन्म देकर अपना जन्म सार्थक कर सकती है। डॉ अर्नाल्ड सीबेल न्यूरोलॉजिस्ट कहते हैं कि यदि गर्भवती आधे घंटे तक रोज क्रोध या विलाप कर रही हो तो उस दरमियान गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क का विकास रुक जाता है। जिसका नतीजा गर्भस्थ शिशु कम बौद्धिक क्षमता के साथ जन्म लेता है, यह महत्वपूर्ण बात हम जानते ही नहीं है। गर्भस्थ शिशु का मस्तिष्क न्यूरॉन सेल्स से बना होता है। यदि मस्तिक में न्यूरॉन सेल्स की मात्रा अधिक है तो स्वाभाविक रूप से शिशु के बौद्धिक कार्यकलाप अन्य शिशुओ की अपेक्षा बेहतर होते हैं। हमारे वेदों में जो भी गर्भ संस्कार के बारे में बताया गया है या कहा गया है। वहीं चीजें आज मेडिकल साइंस ने सिद्ध की है और मेडिकल साइंस में उसे प्रीनेटल पेरेंटिंग या प्रीनेटल कॅम्यूनिकेशॅन के नाम से जाना जाता है। बच्चे का मां के गर्भ में विकास होता है और बच्चे के डेवलपमेंट के पहले एग और स्पर्म जिस तरह से मिलते हैं, उसका बहुत सकारात्मक प्रभाव करके एक आदर्श बच्चे का डेवलपमेंट करने का जो पूरा साइंस है गर्भ संस्कार या प्रीनेटल पेरेंटिंग कहलाता हैं। यह संस्कार देने के लिए माता-पिता के रूप में सबसे पहले तो स्पष्ट होना है कि हमारे बच्चे में हमें कौन से संस्कार चाहिए इसके लिए सबसे पहले लिस्ट बनानी चाहिए कि बच्चे में कौन-कौन से संस्कार हमें चाहिए। कभी-कभी पेरेंट्स के लिए संस्कार की परिभाषा अलग-अलग होती है। हमें हमारे बच्चे में कौन से संस्कार चाहिए उसके लिए हमें एक लिस्ट बनानी है- शिशु का 80% दिमाग का विकास मां के गर्भ में ही हो जाता है। केवल शारीरिक ही नहीं बल्कि बच्चे का अध्यात्मिक विकास (स्पिरिचुअल डेवलपमेंट), बच्चे का सामाजिक विकास (सोसिअल डेवलपमेंट) और बच्चे का भावनात्मक गुणक (इमोशनल क्वोशन्ट्) का डेवलपमेंट सब कुछ 80% विकास मां के गर्भ में ही हो जाता है उसके बाद पहले दो सालों में सिर्फ 15 % विकास होता है। दो साल के बाद तो सिर्फ 5% विकास होता है। अब हम सबको ध्यान देना है कि हमें सबसे ज्यादा कहां पर और कैसे इनपुट देना है। जब बच्चा गर्भ में होता है तो दुर्भाग्य से हमें पता नहीं होता है कि उसका कितना तेजी से ग्रोथ होता है। लगभग हम कह सकते हैं कि Hundred Times उसका विकास होता है, जो माइक्रोस्कोप से भी हम नहीं देख सकते। ऐसा भ्रूण (embryo ) का रूपांतरण (कन्वर्जन) 2.5 kg से 3kg के बच्चे में होता है -80% बच्चे का विकास मां के गर्भ में ही हो जाता है। दो साल तक का बच्चा व्यक्त नहीं कर पाता तो हमें नहीं पता कि उसमें विकास हो रहा है या नहीं इस वजह से हम अच्छा इनपुट नहीं दे पाते। जो भी इनपुट है जैसे - अच्छा एजुकेशन, अच्छी स्कूलिंग ये सब हम दो साल के बाद करते हैं और जो भी मेहनत करते हैं ,वह इतना इनपुट देने के बाद भी काम में नहीं आती क्योंकि वह विकास हो चुका होता है। जब हमें पता है कि 80% जो विकास मां के गर्भ में होता है । सबसे ज्यादा ध्यान हमें तभी देना है, जब बच्चा मां के गर्भ में होता है। हम माता-पिता के रूप में अपने बच्चे का विकास सकारात्मक तरीके से कर सकते हैं। यह गर्भ संस्कार का साइंस है आज से 5000 साल पहले गर्भ उपनिषद में पिप्पलाद के द्वारा इसका वर्णन किया गया था इसमें उन्होंने बताया था कि एक उत्तम संतान को कैसे उत्पन्न करना है और इसमें इसका विस्तार से वर्णन किया हुआ है।