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डर
हरीश से मिलकर लौटते वक्त मधु अपनी सहेली उषा से मिली, उसने उसको सारी बात बताईI उषा ने उसे डाँटते हुए कहा,
तुझे कितनी बार समझाया था कि उसके साथ कोई रिश्ता मत रख, वह उजड़, बेकार और जाहिल इंसान कभी तेरे प्यार के लायक नहीं थाI
ऐसे मत बोल, यार !!! तुझे पता है कि मैं और वो एक दूसरे से कितना प्यार करते हैंI
“यही तो तू गलती कर रहीं है, वो एक नंबर का धोखेबाज़ है, इतना ही प्यार था तो तुझे छोड़कर क्यों भागा था. मुझे पता है, उसने शहर में ज़रूर कोई न कोई कांड करा होगा, तभी तो वहाँ से भागकर वह यहाँ आ गयाI” उसने गुस्से में कहाI
वह मुझसे प्यार करता है, इसलिए वापिस आयाI
अच्छा !!! उसके साथ तेरा कोई भविष्य न पहले था न अब हैI सुधीर तेरे लिए सही इंसान हैI उसके चक्कर में अपनी घर गृहस्थी ख़राब मत कर और अब तू माँ भी बनने वाली है, उससे पीछा छुड़ा और अपने परिवार पर ध्यान देंI उषा ने उसके कंधें पर हाथ रखाI
तू बता तू मेरी मदद करेगी या नहीं?
कैसी मदद?
यही कि मुझे उसे यह बताना है कि यह बच्चा उसी का हैI
इससे क्या होगा, वो बाप बनकर तेरी और इस बच्चे की ज़िम्मेदारी उठा लेगाI भूल जा, मधु उसेI यह बच्चा किसी का भी हो, इसका बाप सुधीर ही ठीक हैI
ठीक है, तू मेरी मदद मत करI अब वह रूठकर जाने लगी तो उषा ने उसे रोकते हुए कहा, “अगर यह बच्चा सुधीर का हुआ तो क्या करेगी?” मधु ने कोई जवाब नहीं दियाI
मैं बताती हूँ, तू उससे अपनी जान छुड़ा लेगी I
मधु ने कुछ सोचते हुए हाँ में सिर हिला दियाI
अब उसने मधु के कान में कुछ कहा तो वह यह सुनकर खुश हो गई I मधु को यकीन है कि यह बच्चा उसका और हरीश का हैI
बिरजू ने दुकान बंद की और निर्मला के साथ ही वहाँ से निकल गयाI दोनों ने सड़क के किनारे दालमोठ वाला देखा तो वह उससे पूछने लगा,
निर्मला दालमोठ खाऊँगी? उसने भी हाँ में सिर हिला दियाI बिरजू ने उसे पैसे दिए और उसने उसको दो पत्ते पकड़ा दिएI दोनों सड़क के एक तरफ खड़े होकर, दालमोठ खाने का आनंद लेने लगे I उसने खाते हुए पूछा,
बिरजू मैंने सुना था, तुम्हारे रिश्ते की बात हो रही है?
हाँ बिलकुल सही सुना हैI
फिर तुमने क्या सोचा है?
मैं अभी शादी नहीं करने वाला, बाबू जी ने मुझे छह महीने का समय दिया है पर मैं उनसे बात कर लूंगाI मैं जमुना को भूल नहीं पायाI
“उसे भूलना थोड़ी न है, उसे तो ज़िन्दगी की दी एक नेमत समझकर अपने पास संजोकर रखना हैI निर्मला के मुंह से यह सुनकर, उसका मन किया कि इतनी गहरी बात बोलने के लिए, वह उसे गले लगा लेंI क्या हुआ? क्या सोच रहें हो?
कुछ नहीं? तुम उस सुनील को छोड़ने के बाद क्या करने वाली हो??
मेरा रास्ता इतना आसान नहीं है!! उसके चेहरे पर निराशा उमड़ पड़ी I
“मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँI” यह सुनकर वह मुस्कुरा दी और फिर दोनों हँसते खिलखिलाते बात करने लगेI कुछ देर बाद, नन्हें भी वहाँ से नंदन के साथ गुज़रा और बिरजू और निर्मला को साथ देखकर दोनों को हैरानी हुई पर बिरजू को खुश देखकर उन्हें अच्छा भी लगाI नंदन ने मज़ाक बनाते हुए निहाल से कहा,
लगता है, बिरजू भाई पर अब प्यार का नशा हावी हो गया हैI
कम बकवास कर, वो शादीशुदा हैI
मुझे तो निर्मला जीजी को देखकर लगा रहा है कि वो इस शादी से ख़ुश नहीं है I नन्हें ने उसकी बात का ज़वाब नहीं दिया, मगर वह समझ गया कि कहीं न कहीं कोई गड़बड़ हैI
सुन! सोना, से इस बारे में बात मत करियोI अब दोनों सड़क पार करते हुए सामने से आती बस में सवार हो गएI नन्हें कॉलेज की लाइब्रेरी से कुछ किताबें लेने जा रहा हैI
रात को जमींदार के घर पर सभी घरवाले बिरजू की दुकान में होने वाली पूजा के बारे में बात कर रहें हैंI तभी सुधीर बोला, “बापू जी!! मैंने पंडित जी से बात कर ली हैं, कल सुबह ग्यारह बजे का मुहूर्त हैI
यह तो बहुत बढ़िया हैI कल पूजा के बाद काम शुरू कर दियोI उन्होंने बिरजू की तरफ गर्व से देखाI
बापू! मैं सोच रहा हूँ, गॉंव वलो को बुला ले क्या??
बिल्कुल!! बुलायेंगेI तेरे कहने से पहले ही मैंने मुंशी के हाथों सबके घर में न्योता भिजवा दिया हैI पहले पूजा होगी, फिर सब लंगर खाएंगेI क्यों ठीक है न ?
जी बाबू जी!!! वह निर्मला का सोचकर मुस्कुरा दियाI
रात को सोते समय उसने निर्मला से बात की और उसे कल याद से आने के लिए कहाI उसने भी बताया कि “मुंशी जी हमारे घर न्यौता दे गए हैं और मैं सोना और बापू के साथ ज़रूर आऊँगीI” अब दोनों काफी देर तक अपनी अपनी छत पर चाँद को ताकते हुए बात करते रहेंI
सुबह हो चुकी हैI जमींदार गिरधारी चौधरी और बाकी के घरवाले तैयार होकर दुकान पर पहुँच गएI बिरजू वहाँ पहले से ही मौजूद हैI पंडित जी भी आ चुके हैI दुकान के बाहर टेंट लग चुका हैI धीरे धीरे गॉंव वाले भी आते जा रहें हैंI अब निर्मला, सोना और गोपाल के साथ हरे रंग की साड़ी में आई तो बिरजू उसे देखता ही रह गयाI आज बहुत समय बाद, निर्मला तैयार हुई हैI दोनों ने आँखों ही आँखों में बात की और फिर कुछ देर बाद, पंडित जी ने पूजा शुरू कर दीI निहाल के साथ किशोर और राधा भी आये हुए हैंI सोना ने देखा कि निहाल रिमझिम से बात करने में मग्न है तो उसने भी मुँह फेर लियाI अब पूजा के बाद, खाना शुरू हो गया और सभी खाना खाने लगेI निहाल ने बिरजू को गले लगाकर बधाई दी तो यह देखकर राजवीर और रघु का मुँह बन गया I
अब सोना ने निर्मला से कहा, दीदी! बापू कहाँ है?
आते होंगे!!! उसने खाना खाते हुए ज़वाब दियाI बिरजू भी किसी गॉंव वाले से बात करने के बहाने, निर्मला के पास आकर खड़ा हो गयाI तभी अपने बापू के साथ एक जाने पहचाने शख़्स को देखकर निर्मला के हाथ से थाली छूटते छूटते बचीI बिरजू ने भी निर्मला के चेहरे पर डर देखा तो वह हैरान हो गया मगर फिर वहाँ देखने लगा, जहाँ निर्मला देख रही हैI उसे अब समझते दे न लगी कि मामला क्या हैI