"शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल"( part -14)
प्रेम के विषय में ओशो कहते हैं कि...
प्रेम सभी मांग रहे हैं ,देने वाला कोई नहीं।
प्रेम शारीरिक नहीं है, इसका नाता कहीं विश्रांति से है, पिघलने से है, पूरा मिट जाने से है।
उन पलों में यह मिट जाता है अत: निश्चित ही यह शारीरिक नहीं। तुम्हें अधिक प्रेम देना सीखना होगा। तुम्हे बस लेने का अनुभव है।
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डॉ. शुभम घर जाने की तैयारी कर रहे थे तभी उनकी बेटी प्रांजल का एक मैसेज आया।
पिताजी, क्या मैं थोड़ी देर के लिए आपसे बात कर सकती हूँ? शायद तुम हॉस्पिटल में होगे इसलिए मैसेज किया अगर घर जाओ तो मुझे मिस कोल करना...
डॉक्टर शुभम ने भी मैसेज किया.. ठीक है..
घर जाकर कोल करता हूं...
कुछ ही देर में डॉ. शुभम अपने क्वार्टर पर पहुंच गए।
थोड़ा तरोताजा होकर आराम करने बैठ गए।
उन्हें अपनी प्यारी बेटी प्रांजल की याद आई।
एक दिन प्रांजल ने पूछा, "पापा, आपने मम्मी से लव मैरिज की थी या अरेंज मैरिज?"
उस वक्त मैं कुछ भी जवाब देने की स्थिति में नहीं था।
शायद बताने में मुझे दिक्कत होती थी।
क्या बताऊं कि किन परिस्थितियों में मैंने शादी की थी।
तुरंत पीछे दूसरा सवाल आ जाता
अगर लव मैरिज नहीं थी तो शादी क्यों की?
आज भी मेरा एक सवाल है जो मन में बार-बार आता है।रूपा ने भी एक बार कहा था कि शुभम तुम गलती कर रहे हो। युक्ति की मानसिक स्थिति उतनी अच्छी नहीं है, तुम्हें युक्ति से शादी नहीं करनी चाहिए।
लेकिन आप जितना आप सोचते हैं, उससे विपरीत दिशा में जिंदगी चली जाती है।
एक भावनात्मक निर्णय ले लिया
मुझे अब भी ऐसा ही लगता है कि मैंने गलती की थी।
लेकिन
जो होना था वह हो गया।
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डॉक्टर शुभम को अपनी बेटी प्राजला द्वारा पूछा गया प्रश्न याद है।
उन्होंने प्रांजल से कहा कि मैंने तुम्हारी मां से प्रेम विवाह नहीं किया है, लेकिन भावुक होकर हां कह दिया था।
डॉक्टर शुभम अपनी मजबूरी नहीं बता सका क्योंकि युक्ति ने हत्या की थी और वह अपराधी थी इसलिए उसने अपने बच्चों को नहीं बताया और युक्ति के अतीत के बारे में भी नहीं बताया।
अपने बच्चों के सामने माता की इज्जत बनाए रखने की कोशिश की थी। रूपा को भी मना कर दिया था कि मेरे बच्चों को युक्ति गुनहगार थी ऐसा मत बताना।
एक बार प्रांजल ने पूछा कि माँ का कोई भाई नहीं है ?अगर मैं शादी कर लूँ तो मेरी शादी में मामा कौन बनेगा? रिश्ते दारी कौन निभाएगा?
तब डॉक्टर शुभम ने झूठ बोला कि तेरी मम्मी का कोई भाई नहीं है। कोई न कोई मामा बना लेंगे। डॉक्टर तनेजा भी है।
यह सुनकर प्रांजल हंस पड़ी.
उसने कहा कि पापा आपसे बात कराने में अच्छा लगता हैं।रूपा आंटी आपकी दोस्त अच्छी हैं।
तब डॉक्टर शुभम ने कहा कि यह सच है कि रूपा मेरी दोस्त है लेकिन वह तुम्हारे लिए एक सगी बेटी जैसी भावना रखती है।
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ओह...डॉक्टर शुभम मन ही मन हँसे।
मन में बड़बड़ाने लगे...
मैं भी अतीत की ओर लौटता रहा।
मैं प्रांजल को फोन करना भूल गया, मैं बाद में रूपा से बात करूंगा।
जब आदमी को एकांत मिलता है तो वह अतीत की खट्टी-मीठी यादों में खो जाता है।
यह अच्छा है कि समय पास हो जाता है ।
प्रांजल की शादी अभी बाकी है और परितोष की भी
कुछ दिक्कतें तो होंगी ही
यदि मनुष्य कठिनाइयों का सामना कर सके तो उसका मन मजबूत और दृढ़ हो जाता है।
युक्ति की मौत के बाद दोनों बच्चों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी आने से मैं थोड़ा डरा हुआ था लेकिन रूपा ने मुझे हिम्मत दी और मानसिक रूप से तैयार किया।
डॉक्टर शुभम् ने अपना काम निपटा दिया और बैठ गये।
प्रांजल को मैसेज किया कि मैं फ्री हूं, कॉल करूं?
प्रांजल का मैसेज नहीं आया तो शुभम ने सोचा कि शायद उसे कुछ काम होगा, वह मैसेज देख कर फोन करेगी
अब रूपा को मैसेज करना चाहिए...
डॉक्टर शुभम ने रूपा को मैसेज किया कि वह घर आ गया है।
रूपा तो जैसे इंतज़ार में बैठी थी, उसने तुरंत कोल लिया।
डॉक्टर शुभम ने तुरंत फोन उठाया
शुभम्:-"हैलो.. मैं शुभम्। कैसी हो रूपा? तुमने मुझे क्यों याद किया?"
रूपा:-" शुभम ,कब से आपके कॉल का इंतजार कर रही थी। मुझे लगा कि आप इतने व्यस्त होंगे कि आपके पास कॉल करने का समय नहीं होगा। लेकिन भगवान का शुक्र है कि मेरे दिल की प्रार्थना सुन ली।'
डॉक्टर शुभम:-"लेकिन रूपा, तुम इस तरह क्यों बात कर रही हो? जब तुम हमेशा फोन करती रहती हो तो तुम इतनी जल्दी में नहीं होती ।तुम्हें जो कहना है जल्दी से कहो। मुझे भी सुनने की जल्दी है। अब मेरी प्रांजल का भी मैसेज आया था। वो भी मुझसे बात चीत करना चाहती है लेकिन उसका कोल नहीं लग रहा।आज का दिन मेरे लिए एक खुशखबरी का दिन है।
रूपा:-"आज मेरे लिए भी खुशी का दिन है। मैं आज बहुत खुश हूं कि शाम को जल्दी घर आ गई। इसीलिए मैंने तुम्हें मैसेज किया।"
डॉक्टर शुभम:- "ओह..यही बात है! लेकिन मुझे अपनी खुशी का कारण बताओ। क्या तुमने लॉटरी जीती? या तुमने नया घर खरीदा? या तुम्हें इस उम्र में कोई लड़का मिल गया? शादी करने का इरादा है क्या?'
- कौशिक दवे