तमस ज्योति - 31 Dr. Pruthvi Gohel द्वारा क्लासिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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तमस ज्योति - 31

प्रकरण - ३१

मेरे मुंबई आने के बाद अभिजीतजी के साथ मिलकर उसके एल्बम के गाने को मुझे अब अच्छे से संगीतबद्ध करना था।

अभिजीतजीने मुझसे कहा, "अब आपको यहां मुंबई आए दो दिन हो गए हैं। मुझे उम्मीद है कि आप अब यहां सेट हो गए हैं। और ये विराजभाई, जिन्हें मैंने आपकी देखभाल के लिए रखा है, वे आपकी अच्छी देखभाल तो कर रहे है न? आपको और कोई समस्या तो नहीं है ना? अगर आपको यहां किसी भी तरह की समस्या आती है तो आप बिना किसी बात की चिंता किए तुरंत मुझे बता दीजिएगा।"

मैंने जवाब दिया, "नहीं, नहीं। मुझे यहां कोई दिक्कत नहीं है। विराजभाई भी मेरा बहुत ही अच्छे से ख्याल रखते है। सुबह की चाय से लेकर रात के खाने तक वो मेरा बहुत अच्छे से ख्याल रखते है। हालांकि मैं यहां आया इस बात को अभी सिर्फ दो दिन ही हुए है लेकिन इन दो दिनों से उन्होंने मुझे किसी भी चीज की कमी नहीं महसूस होने दी है। इसके लिए मैं विराजभाई का भी बहुत आभारी हूं। और आपका तो जितना धन्यवाद किया जाए कम है।"

अभिजीतजीने कहा, "अरे! रोशनजी! इस तरह धन्यवाद देकर मुझे शर्मिंदा मत करो। मैं आपको यहाँ लाया हूँ क्योंकि मेरा भी एक निहित स्वार्थ है!"

मेरे यहां मुंबई आने के बाद उन्होंने विराजभाई को मेरे यहां रहने, खाने-पीने और मेरी अन्य सभी जरूरतों को पूरा करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। वह अभिजीतजी के बड़े ही विश्वासपात्र माने जाते थे। अभिजीतजी विराजभाई पर आंख बंद करके भरोसा करते थे।

इन दो दिनों में मुझे यह भी महसूस हुआ कि वह सचमुच एक नेकदिल इंसान थे। हालाँकि मैं अभी तक उनके बारे में ज्यादा तो नहीं जानता था, फिर भी मैं महसूस कर सकता था कि वह हमेशा मेरे साथ थे। यह कहने में कोई हर्ज नहीं है कि मुंबई आने के बाद विराजभाई ही मेरी आंखें बन गए थे। यदि ऐसा न होता तो मेरे जैसे सूरदास के लिए यहाँ इस अनजान नगर में रहना बहुत ही कठिन हो जाता।

अभिजीतजीने मुझे थोड़ा समझाया कि उन्हें किस तरह का संगीत चाहिए। उनके पास जो भी गाने थे वे सब लिखे हुए थे। मैं तो उन्हें पढ़ नहीं सकता था इसलिए मेरे लिए उन्होंने सभी गाने अपनी आवाज में रिकॉर्ड करके मुझे अपने मोबाइल में दे दिए थे ताकि मैं गाने के हर शब्द को सुन सकूं और उसे अच्छे से संगीतबद्ध कर सकूं।

उस रिकॉर्डिंग को देते वक्त अभिजीतजीने मुझसे कहा था, "रोशनजी! यह रिकॉर्डिंग जो मैं आपको दे रहा हूं इसमें कुल नौ गाने है जो की नौ रस के गाने है। हमारे जीवन के नौ रस इस श्रृंगार, हास्य, करुण, रौद्र, वीर, भयानक, बिभत्स, अदभुत और शांतरस। ये नौ रस ही हमारे पूरे जीवन को भर देते है। मैं इन सभी गीतों को इस समाज के लोगों तक पहुंचाना चाहता हूं। मुझे कोई भी जल्दी नहीं है। भले ही इसमें कुछ समय लगे लेकिन पहले इनमें से प्रत्येक गीत को आप शांति से सुने, समझें और फिर ही संगीतबद्ध करे। मेरी कामना है कि आप मेरे इन गानों को जो संगीत देंगे, वह लोगों के दिलों के तार की गहराइयों तक पहुंचे। चाहे कितनी भी पीढ़ियाँ बदल जाएँ, मैं चाहता हूँ कि हमारे ये गीत हमेशा के लिए अमर हो जाए।

अभिजीतजी को मुझसे बहुत उम्मीदे थीं और मुझे उनकी हर उम्मीद पर खरा उतरना था। इस तरह से देखा जाए तो ये मेरी एक तरह की परीक्षा ही थी।

अभिजीतजीने मुझे रिकॉर्डिंग दी और मैंने कहा, "अगर आप मुझे सिर्फ दो या तीन दिन का समय दें तो मैं शांति से ये सभी गाने सुनूंगा और फिर उसके अनुसार ही धून बनाऊंगा।"

अभिजीतजीने कहा, ठीक है। दिए आपको तीन दिन। अब तो खुश न?"

मैंने कहा, "हा! एकदम खुश।" 

इतना कहकर मैं विराजभाई के साथ अपने घर वापस आ गया था। 

जब मैं घर पर पहुंचा तो विराजभाईने मुझे बताया कि रात होने को आई है। मेरा तो अब सारा जीवन ही रात था इसलिए मेरे लिए तो रात क्या और दिन क्या? 

घर आकर विराजभाईने मुझसे पूछा, "बताओ रोशनजी! आज खाने में क्या बनायें?"

मैंने कहा, "जो आपका मन करे वही बना दीजिए।"

"तो आज मैं दालधोकली बना दू? मुझे यह बहुत पसंद है। क्या आपको भी दालधोकली पसंद है?"

मैंने कहा, “हाँ, हाँ,  मुझे भी बहुत पसंद है।"

विराजभाई रसोई में खाना बनाने चले गए और मैं अभी अपने मोबाइल पर अभिजीतजी द्वारा दी गई रिकॉर्डिंग सुनने के बारे में सोच ही रहा कि तभी रईश का नाम मुझे अपने फोन में सुनाई दिया। 

रईश का नाम सुनते ही मैंने फोन उठाया और हेलो कहा। 

मुझे रईश की आवाज़ में बहुत खुशी झलकती सुनाई दी। 

रईशने मुझसे पूछा, "रोशन! क्या तुम मुंबई में ठीक से सेट हो गये हो न?"

मैंने कहा, "हां रईश! मैं यहां काफी हद तक सेटल हो गया हूं। यहां सब कुछ ठीक है, लेकिन तुम बताओ की तुम्हारी आवाज में इतनी खुशी क्यों झलक रही है?" 

रईशने कहा, "मैं आज बहुत खुश हूं, क्योंकि बात ही ऐसी है।"

मैंने कहा, "अरे! रईश मुझे जल्दी बताओ। ज्यादा सस्पेंस मत बनाओ भाई! अब मेरे धैर्य की परीक्षा मत लो।" मैं यह सुनने के लिए मरा जा रहा था कि वह किस बात से खुश था। 

रईश बोला, "अब ज्यादा सस्पेंस क्रिएट न करते हुए मैं तुम्हें बता ही देता हूं कि अब तुम चाचा बननेवाले हो और मैं पापा बननेवाला हूं! नीलिमा मा बननेवाली है। हम दोनों के प्यार के प्रतीक का अब आगमन होनेवाला है।"

मैंने कहा, "क्या बात कर रहे हो? यह तो बहुत ख़ुशी की ख़बर है? तुम दोनों को बहुत बहुत बधाई हो।" 

मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई कि रईश पापा बननेवाला है और हमारे घर में अब एक नया मेहमान आनेवाला है। 

"रईश! मम्मी, पापा और दर्शिनी को यह बात पता है?" मैंने फिर से उससे पूछा।

रईशने उत्तर दिया, "मैंने अभी तक उन सबको को नहीं बताया है। मैंने सबसे पहले तुम्हे ही यह खबर दी है। चलो! एक काम करता हूं मैं उन सबको कॉन्फ्रेंस कॉल पर अपने साथ ही ले लेता हूं।" ऐसा कहकर रईशने मेरे पापा को कॉन्फ्रेंस कॉल पर लिया और उन्हे ये खुशखबरी दी।

मैं और रईश, मेरे मम्मी पापा और दर्शिनी हम सबके साथ बारी-बारी से एक-दूसरे से बात करने लगे। 

ऐसा लग रहा था मानो कई सालों के बाद आज अचानक हमारे घर में खुशियोंने दस्तक दी हो! हम सब इस बात से बहुत ही खुश थे। लेकिन तब हमें कहा पता था की एक और नया मोड़ हमारे जीवन में आनेवाला था।"

(क्रमश:)