तमस ज्योति - 7 Dr. Pruthvi Gohel द्वारा क्लासिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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तमस ज्योति - 7

प्रकरण - ७

मेरे माता-पिता और मेरी छोटी बहन दर्शिनी तीनों लोग अब डॉक्टर के पीछे-पीछे उनके केबिन की ओर चलने लगे।

जहां मुझे दाखिल किया गया था वहां से डॉक्टर का केबिन थोड़ी ही दूरी पर था। पांच मिनट के बाद जब वे तीनों लोग डॉक्टर के केबिन में पहुंचे तो केबिन में पहले से ही एक और भी डॉक्टर मौजूद थे।

मेरे माता-पिता के साथ आए डॉक्टरने अपने केबिन में पहले से मौजूद उस दूसरे डॉक्टर का परिचय करवाते हुए कहा,"यह डॉ. तेजस पटेल है, जो की एक नेत्र चिकित्सक हैं। अब केवल वही आपको आपके बेटे की स्थिति के बारे में अधिक विस्तार से बता सकते हैं।"

ये सुनकर मेरे पापाने उनसे पूछा, "क्यों नेत्र चिकित्सक? उसकी आँखों को कुछ हुआ है कया? बताईए न डॉक्टर साहब? रोशन को क्या हुआ है?" मेरा धैर्य अब ख़त्म हो रहा है।"

डॉक्टरने उत्तर देते हुए कहा, "सबसे पहले तो आप एकदम शांत हो जाइए। जो होना था वह तो हो ही चुका है। केवल डॉ. तेजस ही अब आपको आपके बेटे की स्थिति के बारे में विस्तृत जानकारी दे सकते हैं। डॉ. तेजस अब आपको सब कुछ विस्तार से समझाएंगे।"

उस डॉक्टरने अब मेरा पूरा केस डॉक्टर तेजस को सौंप दिया था। तो अब वह डॉक्टर मेरा केस डॉक्टर तेजस को सौंपकर तुरंत उस केबिन से निकल गए। मेरे माता-पिता की नज़र अब डॉक्टर तेजस की ओर एक उम्मीद से मुड़ी।

डॉक्टर तेजस कुर्सी पर बैठे और बोले,"सबसे पहले तो आप तीनों शांति से यहीं बैठ जाईए।' 

वहा सामने तीन अन्य कुर्सियाँ थीं जहाँ मेरा परिवार बैठ गया था।

मेरे पिता को अब मेरी बहुत ही चिंता होने लगी थी। वे तुरंत ही बोल पड़े,"डॉक्टर! मेरा बेटा यहां अस्पताल के बिस्तर पर पड़ा हुआ है और आप मुझे शांत रहने के लिए कह रहे हैं? डॉक्टर! मैं कैसे शांत हो सकता हूं? उसे क्या हुआ है? आप मुझे बताईए। मैं अब सचमुच बहुत ही डर गया हूं।" मेरे पिता अब बहुत भयभीत हो गये थे।

डॉक्टर तेजसने उन्हे मेरी स्थिति के बारे में जानकारी देते हुए कहा, "देखिए, मैं आप लोगों से अभी जो कुछ भी कहने जा रहा हूं, उसे शांति और धैर्य से सुनना। मामला बहुत ही गंभीर है। ये जो भी दुर्घटना घटी है उसमें आपके बेटे रोशन की आंख में एक केमिकल चला गया है। उसकी आंख में जो केमिकल गया है, वह केमिकल का नाम है कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड। और यह केमिकल आंखों के लिए बहुत ही घातक माना जाता है।

अक्सर यह केमिकल यदि किसी की आंखों में प्रवेश कर जाए तो इस व्यक्ति की आंखों के कॉर्निया की स्टेम कोशिकाओं को काफी नुकसान पहुंचता है। कुछ मामलों में तो उस व्यक्ति को ग्लूकोमा भी हो सकता है और कई बार उसकी ऑप्टिक नर्व को भी नुकसान पहुंच सकता है और इसके कारण आंखों की रोशनी कम हो जाती है। कभी कभी आंखो की रोशनी भी चली जाती हैं। ऐसा ही कुछ रोशन की आंखों के साथ हुआ है।लेकिन अच्छी बात यह है की उसकी आंख में केवल कॉर्निया की कोशिकाएं ही क्षतिग्रस्त हुई हैं। जो की एक अच्छी बात मानी जा सकती है।

ये सुनकर मेरे पापा बोल उठे, "तो डॉक्टर..! आप मुजे साफ़-साफ़ बताईए न की आप क्या कहना चाहते हैं? रोशन को क्या हो गया है? क्या उसकी आँखें??...चली गई है? क्या वह फिर कभी अपनी आंखों से नहीं देख पाएगा?" मेरे पापा बहुत ही चिंतित हो गये थे। डॉक्टर की बात से वे इतना तो समझ ही चूके थे कि मेरी आंखो को नुकसान हुआ है।

डॉक्टरने उन्हें शांत करते हुए कहा, "थोड़ी हिम्मत रखिए आप सब। अगर आप ही लोग टूट जाओगे तो रोशन की देखभाल कैसे करोगे? उसे तो अभी तक यह भी नहीं पता कि उसकी दोनों आंखें चली गई है! अब तुम लोगों को ही उसे हिम्मत देनी होगी। मैं दुआ करुंगा की भगवान आपको उसकी इस स्थिति का सामना करने का साहस दें।"

अब तक चुप बैठी हुई मेरी माँ ने अब पूछा, 
"लेकिन डॉक्टर! क्या इसका कोई इलाज नहीं है? कोई उपाय तो होगा ना?" 

डॉक्टरने कहा, "हाँ, एक उपाय है। कॉर्निया ट्रांसप्लांट। जो रोशन के मामले में संभव तो हो सकता है, लेकिन यह उपाय बहुत ही कठिन और बहुत ही महंगा भी है...और इस इलाज के बाद भी ये कहा नहीं जा सकता कि रोशन की आंखों की रोशनी वापस आएगी भी या नहीं?"

कुछ मामलों में, दृष्टि जल्दी लौट आती है और कभी-कभी नही भी आती है। कुछ किस्से तो ऐसे भी है की कई वर्षों के बाद पेशंट की दृष्टि वापस आई हो! ऐसे भी कुछ उदाहरण हैं। इसलिए ये सब तो अब भगवान के हाथ में ही छोड़ देना पड़ता है। आप और मैं केवल इसके लिए प्रयास कर सकते है,  बाकी अंतिम परिणाम तो ईश्वर के हाथो में ही होता है।

ये सुनकर मेरी मम्मीने कहा "तो चलिए न एक कोशिश करते है न! उम्मीद पे तो दुनिया कायम है। क्या पता हमारी कोशिश रोशन कीआंखों की ज्योति वापस ला पाए! आप हमसे जो भी करने को कहेंगे हम सब वह करने को तैयार हैं। मैं आपसे केवल यही कहना चाहती हूं डॉक्टर साहब कि अब आपका काम उसकी आंखों पर जो तमस छाया है उसको ज्योति में परिवर्तित करने की कोशिश करने का है। डॉक्टर साहब! मैं आपको एक बात बताऊं? आपके माता-पिताने बहुत अच्छा सोचविचार कर के ही आपका नाम तेजस रखा होगा। डॉक्टर तेजस जो लोगों के जीवन में तेज़ लाते हैं। सही है न?”

डॉक्टरने कहा, "हां, आपकी सारी बातें सही है लेकिन फिलहाल का सच तो यही है कि रोशन अब अपनी आंखों से देख नहीं सकता। इस समय उसकी आंखो में केवल तमस ही तमस छाया हुआ है।”

डॉक्टर की यह बात सुनकर दर्शिनी मेरी माँ से लिपट गई और एकदम रोने ही लग गई और बोली, "मम्मी! मेरा भाई अब मुझे नहीं देख पाएगा?" इतना बोलते बोलते तो वह फूट-फूटकर रोने लग गई। वो मेरी इस स्थिति को स्वीकार ही नहीं कर पा रही थी।

मेरी माँ भी दर्शिनी को रोता हुआ देखकर रो पड़ी। जो आँसू उसने अब तक बड़ी मुश्किल से रोककर रखे हुए थे वह उसकी आँखों से भी बहने लगे थे।

अभी तो डॉक्टर मेरे पिता को मेरी स्थिति के बारे में समझा ही रहे थे, तभी उनके मोबाइल फोन पर मेरे भाई रईश का फोन आया। उन्होंने फ़ोन उठाकर "हैलो" कहा।

सामने से रईश की आवाज़ आई। वो बोला, "पिताजी! अभी मेरी पंद्रह दिनों की पढ़ने की छुट्टियाँ हैं इसलिए मैं कल घर आ रहा हूँ। और हाँ! रोशन कहाँ है? मैं कब से उसे फोन लगा रहा हूँ लेकिन वो मेरा फोन ही नहीं उठ रहा है। कहाँ है वो? उसे फोन तो दीजिए जरा।"

"वो..तो...वो...तो... अभी सो रहा है। वैसे भी तुम कल घर आ ही रहे हो ना तो फिर कल ही बात कर लेना।" मेरे पिता रईश से और कुछ नहीं कह पाए। उनमें अब रईश को मेरी हालत के बारे में बताने की हिम्मत ही नहीं बची थी।

इतना कहकर मेरे पापाने फोन रख दिया और मेरी माँ को बोला, "मालती! रईश का फोन आया था। उसे अभी पढ़ने के लिए कोलेज से छुट्टियां मिली है तो वो कल घर आ रहा है।"

यह सुनकर मेरी माँ चिंतित हो गईं और बोलीं, "हम रईश को इस बारे में कैसे बताएंगे? जब उसे सच्चाई पता चलेगी तो उसपे क्या बीतेगी? अभी हम भी इस सच्चाई को स्वीकार नहीं कर पा रहे है तो रईश तो इसे कैसे स्वीकार करेगा? और रोशन ! हम उसे कैसे बताऐंगे? उसे तो अभी भी अपनी स्थिति के बारे में कुछ भी नहीं मालूम है। वह खुद भी अब तक इस बात से अनजान है कि उसकी आँखों की रोशनी अब नही रही है। मुझे अब बहुत ही डर सा लग रहा है सुधाकर!"

मेरे पापाने मेरी मम्मी को शांत करते हुए कहा, "तुम चिंता मत करो मालती। सब कुछ ठीक हो जाएगा। हमने कभी भी किसी का बुरा नहीं चाहा है तो ईश्वर भी हमारे साथ जो भी करेगा हमारे लिए अच्छा ही करेगा। भगवान पर भरोसा रखो। सब कुछ ठीक हो जाएगा।"

(क्रमश:)