एक कातिल और श्रापित तो दूसरी कुदरत के तोहफे से नवाज़ी गई! लेकिन असल श्रापित कौन?....वो जिसे श्राप मिला या फिर वो जिसे कुदरत ने तोहफा दिया?
बदनामी में एक गुमनाम ज़िंदगी और मासूमियत में एक बागी।
कैसी होगी इनकी जोड़ी जानते हैं इन्हीं की ज़ुबानी।
मैं लूसी.....
कभी कभी किसी की तुक्के में कही गई बात सच हो जाती है। जब मैं छोटी थी तब मेरे घर पर एक भीख मांगने वाली बूढ़ी औरत आई थी मैं उन्हे भीख देंगे दौड़ी क्यों के मैं और मेरा भाई खेल छोड़ कर भीख देने जाने के लिए तैयार नहीं थे इस लिए मेरी मां ने कहा के जो मांगने वालों को देता है उस से ईश्वर बहुत खुश हो जाता है। मेरे मन में हमेशा से ईश्वर को खुश करने की इच्छा रहती थी इस लिए मैं उन्हे भीख देने गई। उन्होंने मेरा नाम पूछा फिर नाम सुन कर मेरी मां से कहा :" मास्टरनी साहेब इसे इस नाम से बुलाना छोड़ दीजिए ! अगर इसका यही नाम रहा तो ये हमेशा बीमार रहेगी।"
मुझे और मेरे घर वालों को इन अंधविश्वासों पर यकीन नहीं था इस लिए नज़र अंदाज़ कर दिया। अब मैं चौबीस साल की हो चुकी हूं और अब पता चल रहा है की उनकी कही बात सच हो गई। मैं हमेशा बीमार रहती हूं और बीमारियों से लड़ती रहती हूं। मुझे कई तरह के एलर्जिस है जैसे धूल मिट्टी से एलर्जी गंदी जगहों से और गंदे कपड़ों से। इस लिए मुझे अक्सर सर दर्द और जुकाम रहता है। खुद को और घर को साफ रखना मेरी पहली प्राथमिकता है।
मैं एक और गॉड गिफ्ट के साथ पैदा हुई हूं। एक निशान है मेरे पेट के दाहिनी ओर जो मेरे पैदा होने के कुछ दिन तक चमकता हुआ दिखता था। जिसे देख कर मेरी मां बहुत घबराई थी। इस निशान का क्या मतलब है ये कोई नही जानता लेकिन मेरी छोटी सी जिंदगी में इतना कुछ हुआ इतने डरवाने और दहशत भरे दिन रात काटने पड़े के मैं अब समझ गई हुं के ये निशान मुझे आम इंसान से अलग बनाता है। मैं भूतों को देख और महसूस कर सकती हूं। मुझ पर कोई काला जादू और किसी तरह का मंत्र असर नहीं करता ना भूत मेरे अंदर प्रवेश कर सकते हैं। जो लोग मानते हैं की भूत नही होते उन से मैं कहना चाहूंगी के भूत होते है क्यों के मैं उन्हे देख सकती हूं। अगर उनसे न डरो तो मेरे नज़र में वे बहुत फनी होते हैं। मेरे निशान के बारे में मेरी मां और दादी के अलावा किसी को नहीं पता। मैं आम लड़कियों से बहुत अलग हूं। भूत लोगों को परेशान करते हैं और मैं भूतों को परेशान करती हूं। कुछ लोगों को मेरे अलग जीवी होने का अंदाज़ा हुआ तो है लेकिन मैं उनके समझ से बाहर हूं।
मुझे रातों को जल्दी नींद नहीं आती अक्सर रात के 1 या 2 बज जाते हैं। क्यों के कई तरह की आवाज़ें मुझे सोने नही देती थी।
एक रात मैं इसी तरह परेशान हो रही थी। मेरे कमरे के खिड़की के बाहर से ही एक बड़ा जंगल शुरू होता है और खिड़की के पास ही भूतों का एक परिवार मस्ती कर रहा था। चार छोटे छोटे बच्चे थे और दो बड़े लोग थे। शायद वे मां बाप होंगे। वे सब किसी बात की खुशी मना रहे थे। रात के 2 बजे उनके नाचने की आवाज़ें मुझे सोने नही दे रही थी। कदंब के सूखे पत्तों पर कूदने की वजह से उनमें से खड़खड़ाने की आवाज़ भी आ रही थी।
मुझे बहुत गुस्सा आने लगा और गुस्से से मैं ने खिड़की खोला। बाहर की ओर बड़ी बड़ी आंखों से देखते हुए मैं ने चिल्लाया :" क्या तमाशा लगा रखा है यहां? भाग जाओ वरना सब को डंडे लगाऊंगी।"
मुझे चिल्लाते देख वे सब नाचना बंद कर के ताज्जुब से मेरी तरफ देखने लगे। उन्हे यकीन नहीं हो रहा था के मैं उन से बात कर रही हूं। उन्होंने एक दूसरे की ओर देखा फिर अपने आसपास देखने लगे के शायद कोई और भी है जिसे ये लड़की बोल रही है लेकिन वहां उनके अलावा कोई नहीं था। उनके चार बच्चों में से सब से बड़े वाले ने अपने बाप से कहा :" ये कौन से लोग हैं जो हमे भी नहीं दिख रहे हैं! किस को डांट रही है ये लड़की?
मुझे उनके हैरान हुए भद्दे और खुरदुरे चहरों को देख कर हंसी आने लगी थी। मैं ने फिर से ज़ोर से कहा :" अरे गधों मैं तुम लोगो को बोल रही हूं! यहां नाचना बंद करो मुझे सोना है।"
मुझे और हंसी आ गई जब उन भूतों की मां ने अचंभे में कहा :" यहां पर गधा कहां है? अगर है तो हमे क्यों नही दिख रहा है?"
अब मैं उन्हे कैसे समझाती के उन लोगों में अकल नाम की एक कीमती चीज़ की कमी है। मैं ने ज़ोर से खिड़की का दरवाज़ा बंद किया और खिसियाई हुई सोने की कोशिश करने लगी। साथ ही मेरे मन में एक सवाल उठा के ये लोग किस बात की खुशी मना रहे थे ? क्या ये मुझे उनसे पूछना चाहिए था?.....
फिर ये सोच कर सो गई के मुझे क्या जो मर्ज़ी करे, मुझे कौन सा उनके खुशी में नाचना है।
Continue.....