जम्मू और कश्मीर ... धरती पर स्वर्ग से कम नहीं इसकी सुन्दरता . प्रकृति की भव्यता,संस्कृतिक समृद्धि और आध्यात्मिक सार का एक आदर्श मिश्रण है .....जहां से बर्फ से ढके पहाड़ों, हरे-भरे घास के मैदानों और सुरम्य घाटियों के शानदार दृश्य दिखाई देते हैं।.......
सुभा के 4 बजे रहे थे चाँद अभी भी
बादलो में छुपकर लुका छिपि खेल
रहा था ,जिससे गुलमर्ग सेना
शिविर पर सफ़ेद चाँद की रोशनी
पड़ रही थी,सभी पशु पक्षी अपने
बसेरो में आराम कर रहे थे
लेकिन सभी सैनिक सावधान होकर
खड़े होते हैं, वो सारे अपनी ट्रेनिंग
यूनिफॉर्म में थे .......
भारतीय तिरंगा हवा में गर्व
से लहरा रहा है, तभी बूटों की
चटकने और कंधों पर राइफलें
लटकाने की आवाजें शिविर में गूँजती
हैं।एक चिन्ह पर लिखा है
"मुख्यालय हाई-अल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल"
क्योंकि छलावरण गियर में सैनिक उद्देश्य
के साथ आगे बढ़ रहे हैं, उनके चेहरे
दृढ़ संकल्प के साथ सेट हैं।,......
अचानक, मुख्यालय भवन से एक लंबी,
भव्य आकृति उभरती है। भारतीय सेना
के एक सुशोभित वयोवृद्ध मेजर माधव
, गहरी नजर से शिविर का
सर्वेक्षण करते हैं। परेड ग्राउंड में
उनकी आवाज़ गूँजती है,
"आप लोग शायद ये सोच रहे होंगे कि
इतनी सुबह तुम लोग यहाँ क्यों बुलाया
गया है ...तो मैं आपको बता देना चाहता हूं कि
आज हम अँधेरे में किस तरह से दुश्मनों
का सामना किया जाएगा उसकी ट्रेनिंग
करेंगे......इसलिए आप सभी को सुबह
के 4 बजे बुलाया गया.......
क्या आप लोग त्यार है???.....बड़े ही
गर्म जोशी से मेजर माधव ने सभी
सेनिको से पुछा ..........
तभी तो उनमें से एक सैनिक ने कहा...
लेकिन मेजर... इतने अँधेरे में भला
कोन ही किसी शिविर हमला करेगा.....
और तो और अभी तो हमारी ड्यूटी भी नहीं हैं...
ये सुन माधव ने उस सेनिक की
तरफ अपनी तेज़ नज़र देखा...और
अपनी भौहें चढ़ाते हुए अपनी आवाज़
ऊंची करते हुए बोला......
एक सैनिक कभी भी ऑफ ड्यूटी नहीं होता
वो 24/7 अपनी ड्यूटी पर होता है वो चाहे
देश की सीमा पर हो। चाहे अपने घर में...समझे
ये सुन उस सैनिक ने अपनी नजर नीची कर ली ...
तभी अपनी बात आगे बढाते हुए बोले....
और यहाँ तुम लोगो को किसी टाइमपास के लिए
तो बुलाया नहीं गया है......तो आज
हम ट्रेनिंग करने वाले है, आपके हाथो
गन्स है उनपर ये नाइट विजन कैमरा
सेट करें.....ये सुनते सभी सैनिकों ने उसको
सेट किया। उन्हें ये करने में सिर्फ 7 8 सेकंड
का समय लगा......तब माधव ने
अपनी बात आगे बढाई......"आप सभी के
लिए पीछे बने जंगल में और आस पास ही में
कुछ डम्मियों को छुपाया गया हैं आज की ट्रेनिंग
के लिए आपके दुश्मन है..... आपको जाना
है उन्हें खोजना है और वही ख़त्म कर देना है.....
दुश्मन कहीं भी हो सकता है और ऐसा नहीं है
कि वो तुम पर वार नहीं करेगा उसमें एक सेंसर
लगा हैं. अगर आप उसके रेडियस में आओगे तो
वो तुमको सेन्स करेगा और वार करेगा ....बी अलर्ट
तो यू आर training start now.....
ये सुनते ही सभी सैनिक पूरे शिवीर में फेल गए.....
सभी अपने गन्स पर अपनी पकड़ मजबूत बनाए
इधर से उधर जाने लगे......
मेज़र माधव उनको ट्रेनिंग करते देख रहे हैं..
(मेजर माधव दिखने में काफी अटरेक्टिव था.
...काली आंखे जिनमे एक जुनून नजर आता था,
दाढ़ी और बाल जो अच्छे से सेट थे.6 फुट ऊंच.
बॉडी बिल्डर ....शरीर पर भारतीय सेना की ड्रेस..
और पेरो में कड़क लेदर शूज ....)
तभी माधव के कानों में जूतो को आवाज़ पड़ी जो
उसकी तरफ से ही आ रही थी....माधव ने पीछे मुड़कर
देखा तो वहा उनके सीनियर ऑफिसर खडे
जनरल विनायक सिंह ने अपने कदम मध्यम आवाज़ में
माधव से कहा......अरे मेजर साहब आप जरा खुद
भी आराम कर लिया करो और थोड़े बेचारो बच्चों को
भी करने दिया करे.....वो 12 बजे सोये थे और आपने
3:45 बजे ही उठा दिया.....अगर आराम नहीं करेंगे
तो ट्रेनिंग के लिए एनर्जी कहां से लाएंगे......
माधव ने जनरल विनायक को देखते हुए उनकी बात का जवाब दिया
क्या कहा आपने बच्चे!...... अगर ये बच्चे होते तो
यहां भारतीय सेना में ना होते और ये बात तो आप
भी अच्छी तरीक़े से जानते है...भारतीय सेना कोई बच्चो का खेल तो नहीं है ....
थोड़ी देर में जनरल विनायक और माधव ने एक दूसरे को देखते
रहे फिर दोनो एक दूसरे को देख के मुस्कुराने लगे(जनरल विनायक सिंह... जिनकी उमर 50 55 की थी..
उनकी लंबी मुछे जिनपर वो हमेशा ताव देते रहते है। दाढ़ी में थोड़ी सफेद आने लगी थी.. उन्होंने
भी इंडियन आर्मी की ड्रेस पहन रखी थी... लेदर शूज..उनकी
उम्र 50 55 ही थी लेकिन उनकी फिटनेस से वो 40 साल के लगते थे .......
.तभी जनरल
विनायक ने माधव के कंधे पर अपने एक हाथ रख कर बोले..
भाई मानना पड़ेगा अभी तक नहीं बदले तुम..जब से मेजर बने हो
अपने उसुलो के पक्के हो .....
तभी मुस्कुराये माधव ने जनरल विनायक को आगे जाने का इशारा किया
और दोनो साथ चलने लगे माधव ने भी कहा...... जी वेसे आप भी कहां बदले है..
बहुत दिन बाद आये आप यहाँ....
माधव की बात का जवाब देते हुए जनरल विनायक ने कहा ....
कुछ नहीं बस तुमसे मिलने का दिल किया तो आ गया..
हम 2 साल पहले मिले थे ..जब आपको
मेजर की उपाधि से सम्मानित किया गया था तब से आज मिल रहे हैं
आपको तो हमारी याद आती नहीं।
सोचा हम ही आपसे मिल ले ....
जी ऐसा नहीं है सर.. यहां से वहां ट्रांसफर होते रहते हैं
इस चक्कर में माधव इतना कहकर रुक गया और बोला....
आप बताओ सब कुछ अच्छा है घर पर.....
माधव की बात सुनकर जनरल विनायक के छेरे का रंग उड़ गया और एक लम्बी
सांस छोड़ते हुए बोले....सब कुछ तो ठीक है लेकिन वो
अभी भी उसी बात पर टिकी है....मानती ही नहीं!....
कहती है जिंदगी बितायेगी तो सिर्फ तुम्हारे साथ.....और
वो कितनी जिद्दी है ये तो तुम जानते ही हो.....
उनकी बात सुन माधव ने बस अपना सर हिलाया....
.उसने इस बात पर कोई रिएक्ट नहीं किया....दरसअल
3 साल पहले जनरल विनायक की बेटी निशा माधव से मिली थी
उसने माधव की बहुत सी बातें अपने पापा के मुँह से सुनी थी
माधव के बारे में सुन सुनकर निशा उसको पसंद करने लगी थी एक दिन जनरल विनायक
ने माधव को अपने घर खाने पर बुलाया... तो निशा ने उसको सामने से देखा था और
तब से वो उसके प्यार में पड गई थी.....वो छुप छुप के उसको देखती.
उसकी तस्वीरों को अपनी किताबों में रखती...और उनसे बात करती थी...
एक दिन उसने पापा को ये बात बताई कि माधव को पसंद करती है
और प्यार करती है..... ये बात सुनने के बाद जनरल विनायक बहुत खुश हुए।
उन्हें तो माधव पहले ही पसंद था ...उन्होंने उससे पूछा कि क्या माधव से शादी करना चाहती है ....
तो इस बात पर निशा ने कहा.....ये सुन जनरल विनायक भी बहुत खुश हुए
लेकिन निशा के सपने तब टूट गए जब उसको ये पता चला कि माधव
को उसमें कोई दिलचस्पी नहीं थी.....माधव ने रिजेक्शन ने उसके दिल पर
बहुत बड़ा असर डाला और उसने गुस्से में आकर अपनी कलाई काट ली
और ये उसने एक बार नहीं कई बार किया था .....
और अब ये जिद्द लेके बैठी थी कि वो शादी करेगी भी तो सिर्फ और सिर्फ माधव से
और जनरल विनायक को ये बात पता थी कि माधव अपने उसुलो के पक्के थे
वर्तमान समय....
माधव मैं चाहता हूँ कि तुम एक बार फिर से सोचो मेरी बेटी तुमसे बहुत प्यार करती है
जनरल विनायक ने माधव के कंधे पर अपना एक हाथ रखा कहा.....
माधव ने जनरल विनायक की बात का जवाब अपने कड़े शब्दो में दिया
सर आपको मेरी बात शायद थोड़ी बुरी लग सकती है.....लेकिन निशा
इस हरकत को प्यार नहीं पागलपन कहते हैं... किसी के रिजेक्शन को
इतना दिल पर लेना सही नहीं....उसकी पूरी जिंदगी पड़ी है उसके आगे
वो चाहे तो किसी ऐसे हाथ थामे जो उससे भी प्यार करता हो .....
उसकी बात सुनके जनरल ने भी उसके इस बात का जवाब दिया....यही बात
मैं तुमसे कहू तो.....उस लड़की की वजह से अपने आपको बाकी सब से
अलग क्यों कर लिया तुमने.....तुम भी तो वही पागलपन में जी रहे हो जो मेरी बेटी कर रही है
एक लड़की ने तुम्हें धोखा दिया.. उसमें मेरी बेटी की क्या गलती है माधव.....
मैं अपनी बेटी की ऐसी हालत नहीं देख सकता...वो यहाँ मेरे साथ आई है
तुमसे मिलना चाहती है देखो मैं तुम्हे फोर्स नहीं करूंगा बस तुम एक बार शांत दिमाग से सोचो.....
तभी माधव ने अपनी कड़क आवाज़ में कहा.... आप मेरा जवाब जानते हैं सर
ये सब बातें हो ही रही थी..कि एक सैनिक की आवाज उनके कानों में पड़ी।
सर!....सर!......बोलते हुए एक सैनिक वहा उनके सामने खड़ा हो गया
और अपनी सांसो को कंट्रोल करते हुए बोला.....
सर हमारे साथ आए आपको कुछ दिखाना है .....
माधव ने अपने हेरान होकर सैनिक को देखा और जनरल को देखा और फ़िर बिना कुछ कहे उस सैनिक के
पीछे चलने लगा.....थोड़ी देर चलने के बाद वो लोग एक जगह पहुँचे जहाँ कुछ सैनिक एक घेरा बनाए खड़े थे
और कुछ सैनिक एक जगह से बर्फ हटा रहे हैं ....
तभी उनमें से एक सैनिक बोला....सर यहाँ कुछ है बर्फ़ मे ....
माधव ने सैनिक से कहा....क्या है यहां?.....
उसकी बात का जवाब देते हुए उसने मुझसे एक सैनिक ने कहा..... सर यहाँ बर्फ में 2 लोग हैं ....
२ लोग यहाँ ?...ये सुन माधव अपने मन में कुछ सोचने लगा ...
अच्छा तो ठीक है आराम से काम करो और
जल्दी करो बाकी लोग तुम लोग भी मदद करो इनकी....थोड़ी देर के बाद जब
सैनिकों ने जब बर्फ में से उन दो लोगों को निकाला तो.एक सैनिक माधव और जनरल विनायक के पास आया और बोला...
सर उनदोनो को निकाल लिया गया है
ये सुन माधव और जनरल विनायक आगे बढ़ने लगे.
.. उनको आगे बढ़ता देख बाकी सैनिक उनके लिए रास्ता बनाने लगे...
जब माधव ने उन दो लोगो को देखा तो. वो हेरान हो गया
वो हेरान होकर उन 2 लोगो को देख रहा था ......