बेखबर इश्क! - भाग 2 Sahnila Firdosh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • My Passionate Hubby - 4

    ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा॥अब आगे –Kayna...

  • ऑफ्टर लव - 28

    सुबह सुबह त्रिशा महादेव के मंदिर में पूजा कर रही होती है। तभ...

  • हिरन और चूहा

    1. आज्ञा पालन एक समय की बात है। रेगिस्तान के किनारे स्थित एक...

  • अपराध ही अपराध - भाग 5

    अध्याय 5 पिछला सारांश- एक करोड़ रूपया तिरुपति के दान पेटी मे...

  • आखेट महल - 5 - 2

    उसने युवक को यह भी बता दिया कि कोठी से भागने के पहले रात को...

श्रेणी
शेयर करे

बेखबर इश्क! - भाग 2

कुछ ही समय में उन दोनो की शादी के रश्मों को खत्म कर दिया गया,,और जैसा की इशांक को सिर्फ शादी के पूरे होने तक ही मतलब था....वो उसे छोड़ कर मंडप से बाहर निकल आया,और विवेक जो काफी सालों से उसका असिस्टेंट था,उससे पंडित को बाहर तक छोड़ने को बोल खुद भी दरवाजे की ओर बढ़ गया....

शादी के रस्मों के होने तक उसने किसी तरह अपनी मां रीमा और उनके दूसरे पति विक्रम मेहरा को बरदास्त किया था,जिन्हे उसने घर की दहलीज लांघने तक की इजाज़त ना दी थी,,लेकिन अब उन्हें अपने घर के आस पास देखने का उसका कोई इरादा नहीं बन था,इसलिए अपनी मां की कोई बात सुने बिना उसने,हमेशा की तरह दरवाजे को बेरहमी से उनके मुंह पर ही बंद कर दिया,और मुड़ कर वापस मंडप की ओर बढ़ने लगा,मंडप के करीब पहुंच उसने गद्दे पर एक बगल रखे अपने फोन को उठाया, और कनिषा की ओर बिना देखे,सीढ़ियों की चल पड़ा,ठीक उसी पल कनीषा ने अपनी कांपती आवाज की उदासी को दूर किया और बोली...."शादी हो जाने के बाद आपने कहा था की...मेरे डैड की कंपनी के श्येर्स आप खरीद लेंगे और उन्हें वापस भी कर देंगे!"

कनिषा को कहते सुन,इशांक चलते हुए अपनी जगह पर ही रुक गया,आज से बाइस साल पहले उसकी मां पैसों के लिए उसे और उसके पिता को छोड़ कर चली गई थी,,और आज इतने सालों के बाद जब वो एक लड़की को वापस अपने जिंदगी में ला रहा था,तब वो भी सिर्फ पैसे और अपनी जरूरत को पूरा करने के बारे में ही सोच रही थी,ऐसे में इशांक के चेहरे के भाव बिल्कुल सर्द,और आंखे गुस्से से जल उठी, जिसके बाद वो खुद पर ही व्यंग्ता से मुस्कुराया और मुड़ कर वापस कनिषा की ओर बढ़ गया,,बिना कोई वार्निग दिए उसने उसके दोनो बाह को पकड़ा और अपने करीब खींच लिया!

इशांक के इस हरकत का कनिषा कोई तोड़ ना निकाल पाई,बल्कि उसकी एंडी फर्श से ऊपर उठ गई,, अपने पंजों पर खड़ी वो कसमसाते हुए रो पड़ी,लेकिन इशांक उसकी बाह छोड़ने के बजाए, उस पर और अधिक दबाव बढ़ाने लगा,जिससे कनिषा को ऐसा महसूस हुआ जैसे उसकी बाह की चमड़ी को किसी ने मशीन में डाल दिया हो और बेवजह उसे दबाया जा रहा हो, डर और घबराहट से उसका पूरा शरीर कांपने लगा था,उसी पल उसके कानो में इशांक की वही जानी पहचानी सी अवसादी आवाज पड़ी,जिसमे वो कह रहा था....."सुबह जब तुमने शादी के लिए इंकार किया था,तब तुम मुझे एक स्वाभिमानी लड़की लगी थी,जिसे सिर्फ अपनी इज्जत से प्यार था,लेकिन देखो...तुमने मुझे गलत साबित कर दिया,तुम भी उन्ही लड़कियों की तरह निकली जो पैसे के लिए अपने आप तक को बेच सकती है,और जैसा की मैं तुम्हारी तरह नही हूं,मैने अपना वादा पूरा कर दिया है,तुम्हारे डैड की कंपनी उन्हे वापस मिल जायेगी,,और इन सब के बदले मैने तुम्हे तुमसे ही खरीद लिया है,इसलिए कभी भी मुझे डबल क्रॉस करने के बारे में मत सोचना।।"

इतना कहते हुए... इशांक गुस्से की वजह से अपने आपे से बाहर होने लगा,जितना दबाव वो अपने दांतों को पिसने पर लगा रहा था,उतना ही दबाव वो कनिषा की बाह पर भी बढ़ा रहा था, जो इतना दर्दनाक था,की मानो कनीषा की हड्डी बस टूट ही जाएगी,आज से पहले इशांक ने अपनी मां के अलावा,किसी पर इतना गुस्सा महसूस भी नही किया था,इसलिए उसे पता तक ना चला की उसके इन सभी अक्रामक हरकतों की वजह से कनिषा किस कदर तकलीफ में है,सभी चीजों से अनजान वो कहता रहा...."कॉन्ट्रक्ट के मुताबिक मैं तुम्हे एक साल के बाद अपनी जिंदगी से बाहर कर दूंगा,,लेकिन तब तक...तुम्हे सिर्फ और सिर्फ मेरी बन के रहना होगा,पैसों के लिए किसी और के साथ कोई संबंध बनाने के बारे में पूरी तरह भूल जाना, साल भर के बाद जब मैं तुम्हे अपनी जिंदगी से बाहर कर दूंगा,तब तुम्हे जो भी करना होगा,करते रहना....लेकिन आगे बारह महीनों में मुझसे कोई उम्मीद मत लगाना,ये सिंदूर,ये मंगलसूत्र सिर्फ एक समझौता है,ना मैं तुन्हें कभी अपनी पत्नी मानूंगा और ना ही एक पत्नी का तुम्हे कोई दर्जा ही मिलेगा!"

अपनी बात खत्म करने के बाद इशांक ने उसकी बाह पर धक्का लगाते हुए उसे छोड़ दिया।।

जिससे कनिषा कुछ कदम पीछे चली गई,लेकिन उसकी चुन्नी इशांक के कलाई पर बंधी घड़ी में अटक गई और खींचते हुए उसके सिर से नीचे गिर गई,जिसके बाद कनिषा के आंसू उसके चेहरे पर साफ साफ नजर आने लगे,अपने आसुओं को इशांक के सामने बहता महसूस कर,कनिषा ने अपनी दोनो हथेलियों से चेहरे को ढक लिया और उससे विपरित मुड़ कर जार जार रोने लगी।।।

(क्रमश:)