बंधन (एक मर्यादा) - 1 Shalini Chaudhary द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बंधन (एक मर्यादा) - 1

जय श्री कृष्णा 🙏

ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने,
प्रणतः क्लेश नाशाय गोविंदाय नमो नमः।

हैलो फैमिली कैसे है आप सब? आशा करती हूं की आप सब सुरक्षित होंगे, खुश होंगे। आप सब से रिक्वेस्ट है की कहानी को ज्यादा से ज्यादा प्यार दे। लव यू फैमिली

बिना देरी के चलते है कहानी के ओर....

बिहार मधुबनी

बिहार एक ऐसा राज्य, जिसने अपने अंदर शताब्दियों के इतिहास को समेट रखा है, जिसने दुनिया को पहला गणतंत्र दिया, या गणित में शून्य देने वाले आर्यभट को पैदा किया, या फिर इसके अद्भुत भाषा शैली की बात हो जहां क्षेत्रीय भाषा के साथ मातृ भाषा का अद्भुत मिश्रण देखने को मिल सकता है।

बिहार एक ऐसी धरती जहां से सबसे ज्यादा आई एस निकलते है, आईटी निकालते है, और इसी धरती पर आपको अंगूठा छाप भी मिल जायेगा। पूरी दुनिया में अनोखा ऐसा एक मात्र राज्य जहां अच्छा खासा एजुकेटेड ऑफिसर के साथ अनपढ़ भी लिट्टी चोखा खाते मिल जायेगा।

जहां के लोगों को भले ही इंग्लिश थोड़ी कम समझ में आए लेकिन गणित तो शरीर में खून की तरह दौड़ता है। इसी राज्य का एक जिला है जिसका नाम है मधुबनी, जो विख्यात है अपनी अद्भुत चित्रकारी पेंटिंग के लिए ! इसी जिले में है एक कॉलेज जिसका नाम है जे.एन कॉलेज जिसके ठीक पिछले गली के घर में। सुबह का समय था।

गली में इक्का दुक्का लोग ही चल रहे थे। उसी गली के शुरुआत का तीसरा घर जिसमे चौधरी निवास का नेम प्लेट टंगा है, एक आदमी हॉल के सोफे पर बैठा था, और हाथ में टी वी रिमॉट पकड़े हुए थे और ठीक सामने के दीवार में टंगा टी वी चल रहा था और उस पर आज तक चैनल लगा था।

जिस पर एंकर अंजना ओम कश्यप मध्यप्रदेश और राजस्थान में आने वाले चुनाव पर कुछ राजनीतिक दलों का विवरण दे रही थी। वही घर के मंदिर में एक औरत पूजा कर रही थी, और उसी हॉल में एक लड़की झारू लगा रही थी, तभी सोफे पर बैठा आदमी उस लड़की को देख कर कहते है।

आदमी लड़की से कहा, "बंधन ओ निक्कमा ऊठलौ की नई।"

बंधन उस आदमी से कहा, "या उठा दई छी यै।"

बंधन जल्दी से झारू लगा कर अपने भाई के कमरे के तरफ जाती है, जैसे ही कमरे का दरवाजा खोल कर अंदर जाती है, उसका पैर किसी चीज से टकरा जाता है, उसकी हल्के से चीख निकल जाती है, लेकिन जब वो नीचे देखती है तो बैट फेंका हुआ था, बंधन संभालते हुए कमरे में जाती है और सबसे पहले कमरे की खिड़की खोलते हुए।

बंधन खिड़की खोलते हुए कहा, "इतनी गर्मी में भी इस लड़के को खिड़की बंद करके सोना है, नींद कैसे आती है? बेड के पास आते हुए केशव उठ जा जल्दी से पिता जी गुस्सा हो रहे है, जल्दी उठ।"

केशव कुनमुनाते हुए कहा, "दीदी उठ रहा हूं ना तुम जाओ पांच मिनट में आता हूं।"

बंधन केशव को हिलाते हुए कहा, "ना रे बाबा ना, जब तक तू उठेगा नही मै कहीं नहीं जाने वाली वरना फिर तू पिछली बार की तरह पिता जी से बोलेगा की मैने उठाया ही नही, अब चल जल्दी से उठ वरना..."

केशव अलसाई आवाज में कहा, "वरना क्या?"

बंधन हल्के तेज आवाज में कहा, "पिता जी... केशव नई उठई ये।"

केशव जल्दी से उठते हुए कहा, "उठ गया! पापा को क्यों बुला रही है, पापा की चमची।"

बंधन केशव को चिढ़ाते हुए चली जाती है। ये है चौधरी परिवार जो यही मधुबनी में ही रहते है, इस घर में कुल चार लोग रहते है, नारायण चौधरी जो इस घर के मुखिया है, सुधीरा चौधरी जो इस घर की गृह लक्ष्मी है, बंधन चौधरी जो इस घर की बेटी है और केशव जो इस घर का बेटा है, केशव बंधन से छोटा है।

ये एक मिडिल क्लास फैमिली है, जिनके पास ज्यादा संपत्ति तो नही है लेकिन उनके बच्चों में कुछ बड़ा करने का जोश भरा था, जो नारायण जी की ही मेहनत का फल है। केशव फ्रेश हो कर बाहर आता है, बाहर हॉल में नारायण जी और सुधिरा बैठी थी, और बंधन वही पर चाय ले कर आती है सबको चाय देने के बाद बंधन हिचकिचाते हुए।

बंधन हिचकिचाते हुए कहा, "पिता जी वो मेरा ग्रेजुएशन अब खतम हो चुका है और मै आगे पढ़ने के लिए दिल्ली जाना चाहती हूं।"

बंधन की बात पर नारायण जी कुछ नही कहते है, वो खामोश ही रहते है, सुधीरा जी बंधन को आराम से बैठने का इशारा करती है।

केशव नारायण जी से कहा, "हां पापा दीदी को जाने दो आगे की पढ़ाई के लिए वैसे भी आगे के लिए यहां कोई सुविधा नहीं है, और दीदी पी.आर की पढ़ाई करना चाहती है, वो दिल्ली में ही पॉसिबल है।"

नारायण जी केशव को डांटते हुए कहा, "तू पहले अपना दसवां निकाल इसी बार बोर्ड है तेरा और जो तेरे पढ़ने का रूटीन है ना उसके हिसाब से तो तू अगले चार साल में भी ना निकल पाए।"

सुधीरा जी हल्के गुस्से से कहा, "ये कोई तरीका है बोलने का, कब जीभ पर सरस्वती जी बैठी हो कौन जानता है इसलिए हमेशा अच्छा बोलना चाहिए और आप तो केशव के परीक्षा के लिए कुछ भी मत बोलिए शोभा नही देता है, कभी बैठा कर पढ़ाते है, कभी देखा है की ये क्या पढ़ता है क्या नही? नही ना तो बस आप इसके पढ़ाई से गंगा नहा लीजिए।"

नारायण जी सुधीरा जी से कहा, "अरे भाग्यवान पढ़ने वाला बच्चा होना चाहिए अब बंधन को भी तो मैने नही पढ़ाया है और इसे तो कोई ट्यूशन भी नही था इसके टाइम पर पैसे के अभाव में कोई सुविधा उपलब्ध ही नही हो पाया, लेकिन फिर भी हर बार डिस्टिंक्शन ही आए है, इसे तो ट्यूशन भी लगवाया है।"

सुधीरा जी गुस्से से कहा, "यौ भाग्यवान त हमरा कहब नई किए की आहां सने जहिया हमर बियाह भेल हमर भाग्य तखने फूइट गेल।"

सुधीरा जी के बात पर बंधन और केशव की हंसी छूट जाती है।

बंधन सीरियस हो कर कहा, "पिता जी क्या कहते है आप?"

नारायण जी थोड़ी देर खामोश रहने के बाद कहा, "देखो बउआ बाहर जाना थोड़ा रिस्की हो जाता है, पहले तो आर्थिक स्थिति की बात है, तुम्ही बताओ क्या सक्षम है हम? बाहर जाने का मतलब है की 20 से 30 हजार महीने का खर्चा ! वो भी दिक्कत में रही तब, थोड़ी भी सुविधा खोजो तो खर्चा 50 से 60 हजार तक पहुंच जाता है। देखो अगर कोई ऑनलाइन कोर्स है तो देखो ट्राय करो।"

तो आगे क्या होगा इस कहानी में? क्या बंधन जा पाएगी पढ़ने के लिए दिल्ली? जानने के लिए बने रहे बंधन (एक मर्यादा ) ।

मेरे मन की बात

हां तो फैमिली कैसा लगा कहानी का शुरुआत? कॉमेंट में बताइए और अगर पसंद आया तो लाइक करें कॉमेंट करे और शेयर करे अपने जैसे नॉवेल लवर्स के साथ और अपनी फैमिली को बड़ा करे ये आपकी भी जिम्मेदारी है और कहानी को ज्यादा से ज्यादा प्यार दे सपोर्ट करे लव यू फैमिली

✍️ शालिनी चौधरी