बंधन (एक मर्यादा) - 3 Shalini Chaudhary द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बंधन (एक मर्यादा) - 3

जय श्री कृष्णा 🙏

ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने,
प्रणतः क्लेश नाशाय गोविंदाय नमो नमः।

हे फैमिली कैसे है आप सब ? आशा है की आप सब ठीक होंगे और आपके परिवार वाले भी स्वस्थ और खुशहाल होंगे, आप सब से रिक्वेस्ट है की कहानी को ज्यादा से ज्यादा प्यार दे और सपोर्ट करे। लव यू ऑल ❣️

बिना देर किए चलते है कहानी के ओर..... 

बंधन केशव को धमकाते हुए बोलती है, जिसके जवाब में केशव भी मान जाता है की आज वो अपने दोस्तों के साथ नही जायेगा। थोड़ी देर चलने के बाद बंधन अपने क्लास के लिए चली जाती है, वही से थोड़ी ही दूर पर केशव का स्कूल था वो भी अपने स्कूल के लिए निकल पड़ता है।

दिल्ली ( गुड़गांव ) 

एक बहु मंजिला इमारत है जो देखने में बेहद ही आकर्षक है उसके दीवारों पर बड़े बड़े अक्षरों में लिखा है भार्गव्स कॉर्पोरेट, ये बिल्डिंग इस इलाके की जान है ये बिल्डिंग अपने अनोखे इन्फ्रास्ट्रक्चर के वजह से इस इलाके में एक अलग पहचान रखता है, इस बिल्डिंग के सातवां फ्लोर कंपनी के बॉस का फ्लोर है इस पूरे फ्लोर पर बस चार कैबिन है, पहला बॉस का दूसरा उनके पी. ए का तीसरा उनके राइट हैंड का और चौथा उनके लेफ्ट हैंड का। इसी फ्लोर पर बीच वाला कैबिन बॉस का है, उस कैबिन में एक छब्बीस साल का लड़का हेड चेयर पर बैठा था वो दिखने में काफी हैंडसम था, उसके ठीक सामने दो चेयर लगे थे और उन पर दो और लोग बैठे थे जो उसी के उम्र के थे, जो लड़का राइट साइड बैठा है उसका नाम अज्ञेय ठाकुर है, और जो लेफ्ट साइड बैठा है उसका नाम राजवीर ओबेरॉय है, तीनो ही दोस्त है।

अज्ञेय ( हेड चेयर पर बैठे लड़के से ) " यार करण मै अकेले कैसे इतना काम संभालूंगा मतलब समझ ना यार, प्रोजेक्ट्स भी देखने है। और ऊपर से तेरा ये पी. ए वाला काम, अरे अब एक पी. ए रख ले बिचारा वो चौथा कैबिन भी वीरान पड़ा हुआ है, उसे थोड़ा जिंदा तो कर।" 

करण ( सीधा हो कर बैठते हुए ) " अबे यार तू जानता है ना मुझे कामचोर एम्प्लॉय पसंद नही है, इसलिए मेरे रिक्वायरमेंट को फुलफिल करने वाला कोई हो तो बोल।" 

राजवीर ( पानी का एक सिप लेते हुए ) " ऑनलाइन अप्लाई कर देते है, और फैसिलिटीज भी दे देते है, कोई न कोई तो तेरे हिसाब का होगा ही।" 

करण ( फाइल पलटते हुए ) " जो तुम दोनो को ठीक लगें ! लेकिन हां ! एक और बात है की कंटेस्टें का इंटरव्यू तुम दोनो ही लोगे।" 

अज्ञेय और राजवीर हां में अपना सर हिला देते है, तभी कैबिन का दूर खुलता है, और बाहर से एक बिहार ही खूबसूरत सी लड़की अंदर आती है, उसने रेड कलर का ऑफ शोल्डर वन पीस पहना था जिसकी लेंथ उसके थाई तक ही थी, उसके गोरे बदन पर रेड कलर का वो वन पीस बेहद ही खूबसूरत लग रहा था, उसने हाई हील पहना था, उसका चेहरा बहुत खूबसूरत थी, पतले होठ, लंबी नाक, खूबसूरत आंखे, बोले तो वो परी जैसी लग रही थी, बड़े अदा से चलते हुए वो करण के बगल में आ कर खड़ी हो जाती है। ये है निया भार्गव ! करण भार्गव की छोटी बहन, जो बिलकुल बिगड़ी हुई थी।

निया ( अपने बाल पीछे झटकते हुए ) " भाई मुझे आपका कार्ड चाहिए, क्योंकि मुझे शॉपिंग के लिए जाना है।" 

करण ( निया को एक नज़र देख कर ) " पर तुम तो परसों ही शॉपिंग करके आई हो।" 

निया ( राजवीर को ताड़ते हुए ) " हां, लेकिन आज कपड़ो के कुछ नए कलेक्शन आए है, तो वो भी तो मेरे कबर्ड में होना चाहिए ना।" 

करण ( निया को देख कर ) " निया तुम बच्ची नही हो, जो भी मार्केट में आएगा वो तुम्हारे पास होना ही चाहिए, थोड़ी सी तो मैच्योर बनो।" 

निया ( आंखो को गोल गोल घुमाते हुए ) " ठीक है, अगले बार से आपकी बात ध्यान में रखूंगी पर अभी तो दो।" 

करण ना में सर हिलाते हुए अपना कार्ड निकाल कर उसे दे देता है। 

करण ( राजवीर को देखते हुए ) " तुम दोनो के बीच में कुछ हुआ है क्या ?" 

करण के सवाल पर रात की बात याद आती है।

फ्लैश बैक,

दिल्ली के महंगे बार में से एक बार है स्काई हेवेन बार जो अपने लग्जरी के लिए फेमस है। इसी बार में एक लड़का और लड़की नशे में धुत एक दूसरे के बाहों में बाहें डाले डांस फ्लोर पर एक दूसरे से चिपक चिपक कर डांस कर रहे थे, वही बार काउंटर पर बैठा राजवीर अपने आंखो में गुस्सा लिए बस उन दिनों को घूरे जा रहा था, वो लड़की कोई और नही बल्कि निया ही है, निया और राजवीर रिलेशन में थे, और ये बात दोनो के फैमिली को पता थी, अपने आंखो के सामने अपनी लेडी को किसी और के बाहों में देख कर राजवीर का खून खौल रहा था, उसका मन कर रहा था की उस लड़के का मर्डर कर दे, थोड़ी देर डांस करने के बाद निया उस लड़के के साथ ऊपर जाने लगती है, बार के ऊपर का एरिया रेस्ट एरिया है, लेकिन यहां किस तरह से रेस्ट किया जाता है ये किसी से छिपा नहीं है। उन दोनो को ऊपर जाते देख कर राजवीर भी उसके पीछे जाता है, तो देखता है की वो दोनो एक कमरे में चले गए राजवीर भी उनके पीछे ही था वो दोनो कमरे में घुसते ही एक दूसरे को किस करने लगते है, और दोनो में से किसी को भी दरवाजा बंद करने का होश नही रहता है, वही राजवीर दरवाजे के पास खड़ा उन दोनो को देख रहा था वो जैसे ही गुस्से से उस लड़के को मारने के लिए जाता है, तभी उसके कान में उन दोनो की बात पड़ती है।

लड़का ( निया के लिप को टच करते हुए ) " बेबी तुम राजवीर के साथ क्यों हो ?" 

निया ( हस्ते हुए ) " क्योंकि वो मेरी फरमाइशें पूरी कर सकता है, और वो मेरे भाई का दोस्त है इसलिए। लेकिन मै प्यार तुम से ही करती हूं, तुम्हे पता है वो राजवीर कितना बोरिंग है ! उफ्फ उसके पास जाओ तो बोलता है ये सब शादी के बाद। अब भला आज के जमाने में कोई इतना पीछे कैसे हो सकता है ?" 

निया बिना होश के बोले जा रही थी, वही निया की बाते सुन कर राजवीर की आंखे नम हो गई थी, क्योंकि वो सच में निया से प्यार करता था, और उसका प्यार इतना बेशर्म था जो दूसरे के बाहों में खुद को सौंप कर खुद को मॉडर्न समझ रहा था।

राजवीर ( नम आंखों से, खुद में बड़बड़ाते हुए ) " तो ये है तुम्हारी असलियत। ये है तुम्हारा असली चेहरा। मतलब वो सही थी, मतलब तू सही थी छोटी तू सही थी।" 

तो आगे क्या होगा इस कहानी में ? क्या बंधन जा पाएगी दिल्ली ? और कौन सही है राजवीर के नजर में ? जानने के लिए बने रहे बंधन ( एक मर्यादा )।

मेरे मन की बात 

हां तो फैमिली कैसा लगा आज का पार्ट ? कॉमेंट में बताइए और अगर पसंद आया तो लाइक करें ❤️ कॉमेंट करे और शेयर करे अपने जैसे नॉवेल लवर्स के साथ और अपनी फैमिली को बड़ा करे ये आपकी भी जिम्मेदारी है 🙂 और अगर हो कोई सजेशन कहानी से रिलेटेड तो कॉमेंट में बताइए आपके सजेशन का तहे दिल से स्वागत है 🙏 लव यू फैमिली ❤️❤️❤️ 

 ✍️ शालिनी चौधरी