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फिल्म
किशोर जब उनके पास आकर खड़ा हो गया तो उसके बापू ने तेज़ आवाज़ में पूछा, “क्यों किशोर !! बुआ को क्या पिलाया था?” वह थोड़ा हड़बड़ा गया, मगर फिर अपनी घबराहट पर काबू पाते हुए बोला, “वहीं पिलाया था, जो सब पी रहें थें। नारंगी का शरबत !!” “जीजी! वह तो हमने भी पिया था।“ अब सरला बोल पड़ी, “फिर बुआ जी ने नरम आवाज में कहा, "छोड़ो! जो हो गया, सो हो गया, छोरे को सोने के लिए जाने दो, बहू इंतज़ार कर रही होगी।“ अब जब बुआ जी ने ही हथियार डाल दिए तो फिर किसी ने कुछ कहना मुनासिब न समझा।
किशोर मुस्कुराता हुआ अपने कमरे में दाखिल हुआ तो देखा कि राधा पलंग पर लेटी हुई है। वह उसके पास पहुँचा और उसके हाथ चूमते हुए पूछने लगा “,थक गई क्या?” उसने भी हाँ में सिर हिला दिया तो वह उसके साथ ही बिस्तर पर लेट गया और राधा का हाथ अपने हाथ में लेता हुआ बोला, “हम एक हो ही गए, राधे !!!” “हाँ किशोर!!” उसने भी उसकी तरफ देखते हुए कहा। फिर उसके सीने पर सिर रखते हुए बोली, “तुम्हारी बुआ तो ठीक ही लग रही है, फिर तूने मेरे बापू से ऐसा क्यों कहा कि भगवान को प्यारी होने वाली है।“ “छोड़ न !! हम क्यों बेकार की बात करकर अपनी रात खराब करें।“ अब वह प्यार से उसके होंठ चूमता हुआ, उसे उसके कपड़ो से आज़ाद करने लगा और फिर सकुचाई और शरमाई राधा को अपनी बाँहों में समेटते हुए लगातार चूमने लगा और कुछ ही पल में वे दोनों चरम सुख का आनंद लेने लगे और फिर कमरे की बत्ती बंद हो गई।
नन्हें छत पर चारपाई पर लेटा, चाँद में सोना का चेहरा देख रहा है। “आज सोना कितनी खूबसूरत लग रही थीं। उसके चेहरे से नज़र ही नहीं हट रही थीं।“ तभी काजल भी आ गई और दूसरी चारपाई पर लेटते हुए बोली, “भाई !! सोना के बारे में सोच रहें हो न?” तू अभी इन सबके लिए बहुत छोटी है, इसलिए अपनी पढ़ाई पर ध्यान लगा।“ यह कहते हुए उसने करवट बदली और आँखे बंदकर लीं। अब सपने में उसे नज़र आया कि वह और सोना एक दूसरे का हाथ पकड़कर खेतो में घूम रहे हैं, फिर शादी का मंडप है, जहाँ पर सोना बैठी हुई है और वह दूल्हा बना, उसके साथ सात फेरे ले रहा हैं। मगर तभी राजवीर आ जाता है और उनका गठबंधन खोल देता है और नन्हें एक झटके से अपनी आँख खोल लेता है। “यह राजवीर कहाँ से आ गया?” उसने पास रखा पानी का गिलास उठाया और एक ही झटके में पानी पी गया।
मुर्गे की बांग से सुबह हुई तो सब नींद से जागने लगें, किशोर ने अपनी बाहों में सोती राधा के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, "मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ।" मैं भी" राधा के मुँह से यह सुनकर उसने उसके होंठ चूम लिए। “अच्छा !! कहाँ घूमने चलना है?” “जहाँ तुम ले चलो,” “फिर भी कुछ तो देखना होगा।“ “मुझे पहाड़ पसंद है।“ उसने अब किशोर के गाल पर प्यार से चुटकी काँट ली और फिर बिस्तर से उठकर नहाने के लिए चली गई।
आज उसके पद फेरे की रस्म है, दोनों तैयार होकर बाहर आँगन में आये और बड़े बुज़ुर्गो का आशीर्वाद लिया। सरला ने राधा को अपने पास बिठाते हुए कहा, “मेरी बहू तो चाँद का टुकड़ा है।“ यह सुनकर किशोर मुस्कुराने लगा। अब रिश्तेदारों ने भी उनसे विदा लेकर जाना शुरू कर दिया। उन्हें छोड़ने की जिम्मेदारी नन्हें की लगा दी गई। वह मौसा मौसी को राजू ट्रेवल की वैन में छोड़ने जा रहा है। तभी उसकी नज़र रास्ते पर गई तो वह चौंक गया, उसे वही छोले कुल्चे वाला नज़र आया तो उसे अपना खोया हुआ एडमिट कार्ड याद आ गया, मगर समय की नज़ाकत को देखते हुए उसने वहाँ गाड़ी रुकवाना उचित नहीं समझा पर जब वह मौसा मौसी को स्टेशन पर छोड़कर वापिस आ रहा है तो उसने गाड़ी वही रुकवा दी और उसमें से बाहर निकल गया, उसने बाहर निकलकर देखा कि छोले कुल्चे वाला कहीं नहीं है। तब उसने उसके वहीँ खड़े पान वाले से पूछा,
“भाई जी !! यहाँ पर जो छोले कुल्चे वाला खड़ा था, वो कहाँ गया ?
उसकी माँ का देहांत हो गया इसलिए ठेला बंदकर घर गया है।
ओह !! उसके मुँह से निकला।
क्यों कुछ काम था?
नहीं ऐसे ही!! धन्यवाद भाईजी। अब वह वापिस वैन में आकर बैठ गया। मुझे लग रहा है, अब यह दस दिन से पहले क्या ही वापिस काम पर आएगा। उसने मन ही मन कहा।
किशोर और राधा पदफेरे की रस्म के लिए राधा के घर पहुँचे तो वहाँ पर उनका भव्य स्वागत हुआ। राधा तो रिमझिम और सोना से बतियाने चली गई और किशोर को बृजमोहन और पार्वती घेरकर बैठ गये। “क्यों बेटा ब्याह में कही कोई कमी तो नहीं थीं?’ “नहीं बाबू जी सब बहुत बढ़िया था।“ किशोर ने लड्डू खाते हुए ज़वाब दिया।
अब सोनाली उसे छेड़ते हुए बोली, “क्यों राधा रानी राजा जी के साथ पहली रात कैसी रही?” वह शरमा गई तो रिमझिम ने उसका बचाव करते हुए कहा, “सोना तू अपनी बता देगी, जो उसकी पूछ रही है।“ काफी देर तक बातों का सिलसिला चलता रहा और फिर दोपहर के बाद किशोर राधा को लेकर घर आ गया।
शाम का समय है, हमेशा की तरह नन्हें नदी के किनारे पेड़ के नीचे बैठा, सोमेश के साथ पढ़ाई कर रहा है। तभी उसे ध्यान आया कि वह एक ज़रूरी किताब तो घर पर ही भूल गया है, उसने अब सोमेश को अपनी बाकी की किताबें पकड़ाते हुए कहा,
मैं अभी आया हूँ, तू यहीं बैठकर पढ़ता रहियो। सोमेश ने भी हाँ में सिर हिला दिया।
अब वह भागता हुआ घर जा रहा है, तभी सोना और राजवीर को बरगद के पेड़ के नीचे बात करते देखकर वह वहीँ रुक गया। वह दबे पाँव पेड़ की ओट में छुपा, उनकी बातें सुनने लगा,
और सोना कब चल रही हो?
फिल्म रिलीज़ हो गई?
हाँ, हो गयी।
“ठीक है, कल दोपहर में चलते हैं।“ सोनाली तो चली गयी, मगर राजवीर उसके जाते ही कहने लगा, “एक बार तुम चलो तो सही सोना, फिर तो मैं तुम्हारे साथ अपनी ही फिल्म बनाऊँगा।“ यह कब हुआ!!! सोना और राजवीर साथ में फिल्म.....?” यह कहते ही उसने वहाँ रखा एक पत्थर उठाया और जोर से ज़मीन पर दे मारा । उसका गुस्सा उस पर हावी हो रहा है ।