ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 31 astha singhal द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 31

भाग 31

होटल पहुंच अमोल‌ ने सावधानी से प्रीति को गाड़ी से उतारा और रिसेप्शन से चाबी लेता हुआ उसे लिफ्ट की तरफ ले गया। लिफ्ट में भी प्रीति अमोल के भाव रहित चेहरे को देखती रही। अमोल का ये रुखा व्यवहार उसके दिल कोअंदर तक घायल कर रहा था।

रूम पर पहुंच अमोल ने प्रीति को उसके बिस्तर पर बैठाया और बोला, “मिसेज गुप्ता, अब आप आराम करें। इतना नाचने और पीने के बाद आप बहुत थक गई होंगी। मैं… चलता हूं। गुड बाय।”

ये कह जैसे ही अमोल मुड़ा प्रीति ने उसका हाथ पकड़ उसे रोकते हुए पूछा, “इतनी बेरुखी अमोल? आखिर कसूर क्या है मेरा? किस बात की इतनी बड़ी सज़ा दे रहे हो मुझे?”

“हुं…. सज़ा? तुम्हारी तो किस्मत चमक गई प्रीति। आलीशान बंगला, महंगे डिजाइनर कपड़े, धन-दौलत, और क्या चाहिए तुम्हें? बढ़िया है! ये सब मैं तो तुम्हें कभी दे ही नहीं सकता था। सही फैसला लिया था तुमने उस दिन घर से ना भाग कर। भाग जाती तो ये एशो-आराम की ज़िंदगी कहां नसीब होती।” अमोल तंज पे तंज कस रहा था।

“बस अमोल, इतना ही भरोसा था अपनी प्रीति पर? तुमने भी तो सब भुला कर इतनी जल्दी शादी कर ली। वो भी इतनी खूबसूरत औरत से! तुम्हारा जीवन कौन सा नर्क है?”

“तो क्या करता? तुम्हारे दिए धोखे को अपने दिल से लगा देवदास बन घूमता रहता? जब तुमने मेरे बारे में नहीं सोचा और आगे बढ़ गई तो मैं क्यों सोचता?”

“बिना जाने के उस दिन क्या हुआ था, तुमने ये फैसला कर लिया कि मैंने तुम्हें धोखा दिया है? तुम्हें पता भी है क्या गुज़री मुझपर। रातों-रात मुझे दुबई ले जाया गया। वहां पता चला कि…मैं मां बनने वाली हूं। पिताजी ने मेरी जान की परवाह किए बिना मेरा अबॉर्शन करा दिया और फिर मेरी शादी बैंगलुरू के एक बड़े बिजनेसमैन से कर दी, जो उम्र में मुझसे दस साल बड़ा था और जिसका नौ साल का बेटा था। उसके बाद ज़िन्दगी जहन्नुम बन गई अमोल।” ये कह प्रीति ने रोते हुए अपनी सारी आप बीती अमोल को सुना डाली।

प्रीति के साथ हुए अन्याय को सुन अमोल का खून खौल उठा। उसे प्रीति के पिताजी पर बहुत गुस्सा आ रहा था।

“तुम्हारे पिता कसाई हैं क्या? कुछ देखा भाला नहीं और झौंक दिया एक ऐसे आदमी के साथ जो…ओह! प्रीति! मैं…मैंने तुम्हें कितना गलत समझा।” अमोल प्रीति के पास फर्श पर घुटनों के बल बैठते हुए बोला।

“मेरी छोड़ो, तुम तो अच्छी ज़िन्दगी जी रहे हो। खूबसूरत पत्नी, दो प्यारे बच्चे, छोटा सा परिवार। और क्या चाहिए जीवन में!” प्रीति ने अमोल की आँखों में झांकते हुए कहा।

“प्रीति, मुझे माफ़ कर दो। मुझे सोनिया ने जब बताया कि तुमने दुबई में शादी का फैसला कर लिया है तो…मुझे बहुत गुस्सा आया। लगा जैसे सब खत्म हो गया। फिर लगा कि मैं क्यों परेशान जीवन व्यतीत करुं। इसलिए मां को अपने लिए लड़की देखने के लिए कह दिया। पहला ही रिश्ता नीलम का आया। मुझे तो हाँ करनी ही थी इसलिए स्वीकार कर लिया।”

“समझ सकती हूँ अमोल। पर खुशी हूँ कि तुम्हें मुझ जैसे रंग-रूप वाली लड़की ना मिलकर एक खूबसूरत लड़की मिली। कम से कम तुम्हारा जीवन‌ तो खुशहाल हैं!”

“दिल को बहलाने के लिए ग़ालिब ये ख़याल अच्छा है” अमोल ने अपनी व्यथा को शायरी में ढालते हुए कहा।

“मतलब? क्या कहना चाहते हो तुम? तुम खुश नहीं हो?” प्रीति ने आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा।

“नीलम बहुत अच्छी है प्रीति। घर को बहुत संभाल कर रख रखा है उसने। मेरे प्रति उसका व्यवहार भी बहुत अच्छा है। पर….”

“सब कुछ तो सही है अमोल! फिर क्यों परेशान हो?” प्रीति की निगाहें उत्तर की तलाश में थीं।

“अब क्या कहूँ प्रीति…कैसे बताऊं। कुछ समझ नहीं आ रहा।” अमोल अपने शब्दों को सही से पिरो नहीं पा रहा था।

“क्या नीलम का…कहीं और चक्कर है क्या?” प्रीति ने पूछा।

“अ…पता नहीं पर चक्कर चलाने की उसे ज़रुरत ही क्या है, उसके तो वैसे ही बहुत दीवानें हैं।” अमोल ने व्यंग्यात्मक शैली में बोला।

“बहुत से दीवानें हैं….मतलब?”

“नीलम इतनी खूबसूरत है दिखने में कि उसके आगे-पीछे आदमी वैसे ही एक भंवरे की तरह घूमते रहते हैं। जब भी बच्चों के स्कूल पी.टी.एम पर जाते हैं अन्य बच्चों के पिता टीचर की तरफ कम नीलम की तरफ मुड़-मुड़कर देखते रहते हैं। बाज़ार जाओ तो भी हम पुरुष की निगाह नीलम पर जम जाती है। यहाँ तक की सब्ज़ी वाले से लेकर बड़े दुकानदार तक सब नीलम को डिस्काउंट ऑफर पर समान दे देते हैं।” अमोल किसी जले हुए तवे की भांति धूंआँ फेंक रहा था।

“नीलम का क्या नज़रिया है इस बारे में?” प्रीति बोली।

अमोल ने तंज भरी मुस्कान अपने होंठों पर लाते हुए कहा, “इतनी अटेंशन किसे पसंद नहीं आती प्रीति? वो ये सब इंज्वॉय करती है। और फिर रात को बिस्तर पर मुझपर एहसान करती है।”

“मतलब? तुम्हारे साथ उसके संबंध…मतलब हैं कि…नहीं?” प्रीति ने अमोल की आँखों में झांकते हुए पूछा।

“प्रीति रात को जब खुद की पत्नी संबंध बनाकर एहसान करे, तो कैसा लगेगा? ना मुझे ढंग से अपने आप को छूने देती है और ना ही…किस करने देती है। उसको प्यार करता हूँ तो ऐसा लगता है जैसे वो मुझपर अपने गोरे बदन को छूने की इजाजत देकर मुझपर तरस खा रही हो। आजकल तो हमारे बीच ना के बराबर संबंध होते हैं। ज़्यादातर वो बच्चों के साथ सोती है। जानता हूँ मैं कि सब बहानेबाजी है उसकी, कि बच्चे छोटे हैं, वो रात को डर जाते हैं, वगैरह वगैरह। ये सब मुझसे दूर रहने के लिए करती है वो। इतनी सुंदर औरत अपने शरीर पर एक काले शरीर के पुरुष के हाथों का स्पर्श क्यों बर्दाश्त करेगी?” ये कहते हुए अमोल की आँखों से आँसू छलक उठे।

प्रीति ने अमोल के हाथों को अपने हाथों में लेते हुए कहा, “हम दोनों की कहानी एक जैसी है। मुझे शादी से पैसा, बंगला, गाड़ी, नौकर-चाकर सब मिले। पर शारीरिक सुख के लिए तरसती रही। और तुम्हें शादी से एक खूबसूरत पत्नी, बच्चे, पारिवारिक जीवन सब मिला, पर तुम भी शारीरिक सुख को तरसते रहे। शायद…यही हमारी नियति है।”

अमोल कुछ पल प्रीति को देखता रहा, फिर बोला,
“नहीं प्रीति, ये हमारी नियति नहीं होगी। अपनी कहानी अब हम खुद लिखेंगे। उस समय तुम्हारे पिता के ज़ोर के कारण हम दोनों कुछ नहीं कर पाए, अब किसका ज़ोर है? अब कौन रोकेगा हमें?”

“क्या कहना चाहते हो अमोल? तलाक ले लें?”

“नहीं, हम तलाक क्यों लें? तुम्हारा पति तुम्हें धोखा दे रहा है और मेरी पत्नि…वो भी मुझे धोखा दे रही है, तो हम खिलौना क्यों बनें?” अमोल की आँखों में एक अलग ही चमक थी।

“नीलम तुम्हें धोखा दे रही है? तुमने तो ऐसा कुछ नहीं कहा था अभी?”

“दरअसल अभी मुझे शक है, सबूत मिल जाए तो यकीन भी हो जाएगा।” अमोल की आँखों में गुस्सा साफ झलक रहा था।

“किस पर शक है तुम्हें?” प्रीति ने पूछा।

“है कोई जो दोस्ती की आड़ में मेरी बीवी पर डोरे डाल रहा है, और मेरी पत्नी भी उसे हवा दे रही है। देगी भी क्यों नहीं! इतना हैंडसम और स्मार्ट जो है वो। खैर छोड़ो, बाद में बताऊंगा।” फिर अमोल ने प्रीति को अपनी तरफ खींचते हुए कहा,
“प्रीति, भगवान ने हमें दोबारा मिलाया है। इस बार हम एक दूसरे से दूर नहीं होंगे। क्या तुम…अपने प्यार को दोबारा प्यार करोगी?”

प्रीति स्तब्ध खड़ी हो अमोल की आँखों में झांकती रही।

क्रमशः
आस्था सिंघल