Shyambabu And SeX - 39 Swati द्वारा नाटक में हिंदी पीडीएफ

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Shyambabu And SeX - 39

39

शोषण

 

 

अब श्याम ने पूरी ताकत से नकुल को पीछे धकेला और सोफे से उतरकर, वह गुस्से में उसे घूरते हुए उस पर चिल्लाया,

 

बस, बहुत हो गया?  “मैं कह रहा हूँ न कि मुझे लड़कों में कोई दिलचस्पी नहीं है। तुम्हारे गे होने पर मुझे कोई एतराज नहीं तो फिर तुम्हें भी मेरी पसंद का लिहाज़ होना चाहिए। अब अगर मुझे हाथ लगाया तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। उसने अब टेबल पर रखा फूलदान हाथ में उठा लिया। गुस्से से धधकती  उसकी लाल आँखों को देखकर,  नकुल पीछे हट गया। “ठीक है, सॉरी !!”! उसके इतना कहते ही श्याम ने फूलदान नीचे रखा और अपने कपड़े पहनता हुआ,  वहाँ से जाने लगा कि तभी दो चार लड़के कही से निकल आए और डंडे से श्याम की पिटाई करने लगा।

 

अब वह  चिल्लाया और कराहते हुए बोला,  “मुझे क्यों मार रहें हो? पहले कुछ पैसे ढीले करो,  वरना, हम तुम्हें ऐसे ही मारते रहेंगे।“ उन लड़कों ने कहा तो दूर खड़ा नकुल यह सुनकर ज़ोर से हँसने लगा। मार खाता श्याम उन्हें रोकते हुए बोला, “ ठीक है,  ले लो।“ उसकी जेब में चार हज़ार थें,  मगर वे इतने कम पैसे में नहीं माने और श्याम को बोले, “ इनसे कुछ नहीं होगा।“ फिर जब उसने अपने अकाउंट से दो लाख उनके अकॉउंट में ट्रांसफर किए तो तब उन्होंने उसे जाने दिया।

 

अब नकुल पीछे से बोला,  “अगर पुलिस को कुछ बताया तो यहाँ जो कुछ भी हुआ है, उसकी वीडियो सभी सोशल साइट्स पर वायरल कर दूंगा और हाँ कभी चॉइस  बदल जाए  तो मेरे पास आ जाना मैं  तेरी सारी परेशानी दूर कर दूंगा।“ उसने श्याम को फ्लाइंग किस दी। श्याम उसे जवाब में घूरकर वहाँ से लड़खड़ाते हुए निकलने  लगा।

 

 

इमरती मनोहर के साथ घूमती हुई घर पहुँची तो बबलू उस पर चिल्लाया, “क्लास तो छह बजे खत्म  हो गई थीं,  तुम आठ बजे आ रही हूँ।“ एक सहेली  बन गई है,  उसके साथ शॉपिंग कर रही थीं।“ अब बबलू का ध्यान उसके कपड़ों की तरफ गया। उसने गुस्से में उसके बाल पकड़ लिए, वह चिल्लाई, अपनी हद में   रहो,  तुम्हें श्याम के कहने पर पढ़ने भेजा है,  यह न हो कि तुम्हें घर पर बिठा दूँ । अब उसने उसे धक्का मार दिया तो वह गिरते-गिरते बची। इमरती के चेहरे पर गुस्सा साफ़ झलक रहा है।

 

श्याम बड़ी मुश्किल से अपनी गाड़ी के अंदर बैठा। उसमे अब इतनी हिम्मत नहीं बची कि ड्राइव कर सकें पर फिर भी किसी तरह ड्राइव करकर नकुल के घर की गली से निकल गया। अब उसने गाड़ी सड़क के किनारे रोक ली। ‘आज उसे पता चला कि जिन महिलाओं का यौन शोषण होता है,  उन पर क्या गुज़रती होगी,  वह भी तो अपनी इज़्ज़त  बचाकर वहाँ से निकला है। अब वह  बच्चों की तरह  फूट-फूट कर रोने लगा, इससे बुरा क्या हो सकता है। मैं कितना पागल था,  एक बार नहीं सोचा कि यह तान्या नहीं कोई तनीष भी हो सकता है। इस तान्या ने मुझे इतना कन्फूयज़ कर दिया कि मैं  ज्योति  को पाकर भी पा न सका । हे !! भगवान  मेरे कौन से कर्मो की सजा   मुझे दे रहा है।‘

 

काफी देर तक वह ऐसे ही आँसू बहाता रहा। उसने खुद को शीशे में देखा,  चेहरे पर चोट के निशान है पूरे बदन में दर्द हो रहा  है। उसने  ठेले वाले से पानी की बोतल ली तो वह भी पूछने लगा, “क्या हुआ साहब? किसी ने लूटपाट कर ली क्या, “ उसे पानी की पूरी बोतल खत्म कर दी,  फिर एक बोतल और माँगते हुए कहा,  “हाँ भैया, ऐसा ही समझ लो।“ बाबू जी, यह इलाका चोरी चकारी के लिए बड़ा मशहूर है। चोर बड़े-बड़े घरो में शरीफ बनकर रहते है,  यह सुनकर उसका दर्द और बढ़ गया। “चलो, कोई नहीं  पैसा गया तो गया,  आपकी जान तो बच गई।“ उसने उसे खुले पैसे लौटाते हुए कहा। “हाँ भाई,  जान और मान  दोनों बचाकर लाया हूँ।“  

 

विकास ने गायत्री से पूछा कि उसका फैसला क्या है? तो उसने  मुस्कुराते हुए हाँ में सिर हिलाया। अब विकास ने दोनों को घर छोड़ा,  वे दोनों अपनी गली के अंदर ही मुड़ रहें हैं कि तभी गायत्री की नज़र  पार्क में बेंच पर लेटे,  श्याम पर गई। उसने संदीप को घर जाने के लिए कहा और खुद भागकर उसके पास जाने लगी।