नक़ल या अक्ल - 23 Swati द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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नक़ल या अक्ल - 23

23

आग

 

किशोर घर पहुँचा तो देखा कि अम्मा शाम के खाने की तैयारी कर रही है और उसकी बहन काजल  पढ़ाई में लगी हुई हैI  वह अम्मा के पास बैठते हुए बोला,  “अम्मा आज राधा के बापू मिलें थेंI”

 

तो ?? कोई बात की उन्होंने?

 

अब उसने अपनी जेब से दो लाख  रुपए निकाले  और उन्हें पकड़ा दिएI  सरला हैरान  हो गईI

 

 

तुझे क्यों पकड़ा दिए ?

 

वह दिल्ली जा रहें हैंI  उनकी बहन बीमार है इसलिए घर नहीं आ सकते थें और फिर अपना बापू भी नहीं हैI  वो तो आपसे मिलना चाह रहें थें, मगर मैंने कहा कि आप परेशान मत हो,  मैं अपनी अम्मा को पैसे  पकड़ा दूँगाI  उसकी अम्मा ने सुना तो खुश होते हुए पैसे संभाल लिएI  अब किशोर बोला,  “वो शादी  अगले हफ्ते तक करना चाह रहें है क्योंकि राधा की बुआ बहुत बीमार हैI

 

यह जल्दी नहीं है?

 

बापू वापिस आएगा, उसके दो दिन बाद ब्याह रख लेंगेI  वैसे भी अम्मा हम तो लड़के वाले है,  हमें कौन  सा ख़ास तैयारी करनी होती हैI  अब उसकी अम्मा सोचने लगी  त उसने साथ में यह भी कहा दिया कि  अगर उसकी बुआ स्वर्ग सिधार गई तो एक साल का समय पड़ जायेगाI

 

ठीक है,  तू उन्हें हाँ कह देंI  अम्मा के मुँह से यह सुनकर उसने अब यह भी कहा कि “राधा के बापू से कोई दहेज़ वाली बात न करें वो अभी अपनी बहन की तबीयत को लेकर बहुत परेशान हैI”

 

हाँ हाँ ठीक हैI  दहेज़ बाद में तो आएगा न?

 

“हाँ अम्मा बाद में आएगाI”  उसने उन्हें  तस्सली  दीI किशोर मन में  सोच  रहा है कि  किसी तरह  यह ब्याह  हो जाएँ,  उसके बाद जो होगा देखा जायेगाI  कम  से कम  फिर ये लोग  हमें  अलग तो नहीं कर सकेंगेI  किशोर के चेहरे पर मुस्कान  आ  गईI  उसकी  छोटी  बहन  काजल  ने भी सब सुन लिया तो वह भी भाई के गले लग गईI

 

अच्छा जा, ये रुपए  बैंक में  जमा  करवा देंI  उसने रुपए हाथ में  लिए और चुपचाप घर से निकल  पड़ाI  उसकी अम्मा काजल के साथ बैठी शादी की तैयारी के बारे में बात करने लग गईI

 

शाम के वक्त निहाल नंदन के साथ नदी के किनारे बैठा हुआ हैI  निहाल ने उसे खुश होते हुए बताया कि  किशोर का ब्याह  अगले सोमवार का तय हुआ  हैI

 

यह तो ख़ुशी  की बात है पर तू  तो ज़्यादा  मज़े  नहीं ले पायेगाI

 

क्यों? भाई मेरा प्लास्टर  तो रविवार को  खुल जाएगाI  उसने भी चहकते हुए बताया तभी वहाँ पर सोनाली रिमझिम के साथ साथ,  सोमेश और किशन भी  आ गएI सभी किशोर की शादी  वाली बात सुनकर  अति उत्साहित  हैI  सोना तुझे शादी में आना है?

 

क्यों हमें  नहीं आना ? रिमझिम ने उसे छेड़ाI

 

अरे !! भाई सबको आना हैI  उसने अब ज़ोर से कहा तो सब हँसने लगेंI

 

वैसे कल मेरे जीजाजी भी दीदी को लेने आ रहें हैंI  उसने भी अपनी ख़ुशी का इज़हार कियाI

 

रात को निर्मला छत पर परेशान होते हुए चक्कर काट  रहीं हैI   ‘कल सुनील आ  जयेगे पर मुझे उनके साथ  नहीं जानाI  क्या करो? इस छत से कूद जाओ और अपनी हड्डी तुड़वा लूँI  नहीं! नहीं! इससे तो जान भी जा सकती है और ऐसे करमजर्फ इंसान के लिए अपनी ज़िन्दगी ख़त्म करना सही नहीं हैI ‘ उसने अब अपने दिमाग के घोड़े दौड़ाना शुरू किया,  मगर कोई फायदा नहीं हुआ I ‘क्या बापू को सच बता दूँI  उन्हें उनका दामाद बहुत पसंद हैI  वह इतनी आसानी से नहीं मानेंगेI उल्टा मुझे ही वापिस उस  घर में भेज देंगे पर कुछ भी हो जाए,  मुझे कुछ न कुछ तो करना पड़ेगाI’ वह परेशान होते हुए बोली I

 

 

आज किशोर का ब्याह है,  उसके घर में रौनक लगी हुई हैI  उसके दोस्त और भाई उसे घेरकर बैठे हुए हैंI  अब वह घोड़ी पर चढ़ता है और बारात राधा के आँगन में पहुँचती हैI  राधा के बापू ने घर के पास वाले मैदान में शमियाना लगा रखा हैI  राधा की बहनें और सहेलियाँ सभी बारात का इंतज़ार कर रहें हैंI  उसके आते ही वह किशोर को खींचकर अंदर ले जाती है और एक कुर्सी पर बिठाते हुए उससे हँसी मज़ाक करने लगती हैI  उसके दोस्त और भाई भी उसकी सालियों के साथ हँसी ठिठोली कर रहें हैंI  

 अब उसे मंडप में बिठाया जाता है और थोड़ी देर बाद सजी धजी राधा भी दुल्हन बनकर उस मंडप में  आती  हैI   आज तो उसकी  खूबसूरती देखकर चाँद भी शरमा जाएI  किशोर उसे लगातार देखता जा रहा है,  अब पंडित जी फेरो के लिए उन्हें खड़े होने के लिए कहते हैं I  दोनों  सात फेरे लेते हुए जन्म जन्मांतर  तक एक दूसरे के होने की कसमें खा रहें हैंI  अब पंडित जी उसे राधा की माँग में सिंदूर भरने के लिए कहते हैं I जैसे ही वो सिंदूर भरने लगता है,  उसके बापू  चिल्ला पड़ते है, “किशोर  रुक! और एक खींचकर चाटा उसके मुँह पर जड़ देते हैंI  वहाँ खड़े सभी मेहमान हैरान होकर उनको देखने लगते हैंI  उसकी माँ सरला पूछती है,  “क्या हुआ?” “ पूछो अपने लाडले से कैसे इसने अपने बाप को ठगा हैI”  अब वह फिर उस पर ज़ोर से चिल्लाते है,  

 

“बेशर्म, नालायक  कही काI   तेरी हिम्मत कैसे हुई अपने बाप को उल्लू बनाने कीI  बृजमोहन अपनी लड़की को लेकर  जाओ,”  हमें  यह शादी  नहीं करनीI  बृजमोहन  राधा  को मंडप से खींचते है, किशोर  राधा! राधा!  चिल्लाता हुआ,  उसका  हाथ पकड़ लेता हैI  मगर लक्ष्मण  प्रसाद अपने बेटे किशोर को पीछे धकेलते है,  तभी साहिल दूल्हा बना मंडप में आकर बैठ जाता है और राधा के बापू उसे उसके साथ बिठा देते हैंI  किशोर उसके ब्याह को रोकने की कोशिश करता है तो बृजमोहन के रिश्तेदार उसकी  पिटाई करते हैंI  राधा भी रोये जा रही है और तभी पंडित जी कहते है कि विवाह सम्पन्न हुआ और राधा  साहिल के साथ जाने लगती  हैI   घायल किशोर रो  रोकर चिल्लाने लगता है, “राधा! राधा! और  निहाल उसे सँभालने के लिए उसकी ओर भगाता हुआ आता हैI  राधा भी पत्थर की मूरत बनी साहिल के साथ  जाती  जा रही है कि तभी वह पीछे मुड़कर किशोर को देखकर, उसके पास भागकर आती हैI  दोनों  एक दूसरे  के गले लगते  हैंI   “किसोर हम तेरे बिना नहीं रह सकतेI”  अब वह उसकी आँखों के सामने मंडप की आग में कूद जाती है और किशोर ज़ोर से चिल्लाता है “, राधा राधा!!!! नहीं!!!”