नक़ल या अक्ल - 22 Swati द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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नक़ल या अक्ल - 22

22

नाम

 

गिरधारी गोदाम के अंदर गुस्से में घुसे तो उन्होंने देखा कि बिरजू बही खाते लिख रहा है। उसने मुंशी जी को घूरा तो वह शर्मिंदा हो गया। बिरजू ने बापू को देखा तो बोला,

 

“बाबू जी हो गया काम।“ उसने बही खाते उसे पकड़ाते हुए कहा। उन्होंने एक नज़र बही खातों पर डाली और खुश होकर कहा, “बहुत बढ़िया। क्यों मुंशीजी?” मुंशी क्या कहता, उसने भी हाँ में सिर हिला दिया। “अच्छा! बिरजू तुम्हारे दोस्त कहाँ है?”  “बाबू जी! वो तो मिलकर चल गए।“ ठीक है,  तुम रात को घर आओंगे तो तुमसे कुछ बात करनी है।“ “जी! अब वह वहाँ से चले गए और मुंशी मन ही मन सोचने लगा, “आज नहीं तो कल तुझे न पकड़वा दिया तो मेरा भी नाम मुंशी रामलाल नहीं है। बिरजू ने उसे हमदर्दी से देखा और फिर वापिस अपना काम करने लग गया।

 

उसके जाते ही  वो दृश्य आया,  जब वह जमीन  पर लेटा था  और तभी उसका फ़ोन बजा था,

 

हेल्लो !!

 

बिरजू! तेरे बापू मुंशी के साथ गोदाम में ही आ रहें हैं। उसने जल्दी से फ़ोन रखकर पानी से मुँह साफ़ किया और काम करने बैठ गया। ‘इन नशेड़ी दोस्तों का कुछ तो फायदा हुआ।‘ उसने मन ही मन कहा।

 

राधा ने किशोर को अपने घर आया देखा तो उसके साथ, उसके बाकी घरवाले भी हैरान हो गए। “अरे! बेटा किसोर तुम यहाँ?”  बृजमोहन सकपका गया और उसने राधा को अंदर जाने के लिए कहा। अब किशोर ने बोलना शुरू किया,

 

मैं यहाँ आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ। उसने उनके आगे हाथ जोड़े। तभी राधा की माँ पार्वती बोल पड़ी, “कोई बात नहीं बेटा,  अब आ गए हो तो बैठो।“

 

अब वह वहीं बरामदे पर रखी चारपाई पर बैठ गया। उसकी बहन सुमित्रा उसके लिए लस्सी ले आई ।

 

कहो,  कैसे आना हुआ? यह बृजमोहन की आवाज है।

 

“मेरे बापू कुछ काम से पटना गए है। दरअसल मेरी बुआ जी की तबीयत थोड़ी ठीक नहीं है इसलिए उन्होंने कहा कि  मैं ही आपको बता दूँ कि आप शादी करें क्योंकि दहेज़ की कोई समस्या नहीं है।“ दरवाजे की ओट से सुनती राधा तो ख़ुशी के मारे उछल पड़ी। मगर बृजमोहन और पार्वती उसे सवालियां नज़रो  से देखने लगे। “मैं कुछ समझा नहीं  बेटा, कि तुम क्या कहना चाहते हो?  किशोर ने अब लस्सी का एक घूँट पिया और बोला, “ यही कि  आप शादी कर दो। हमें दहेज़ में  कुछ नहीं चाहिए,  कभी आपका मन हो तो दे देना,  वरना कोई दिक्कत  नहीं।“ दोनों दम्पति  ख़ुशी से फूले  नहीं समायें। मगर फिर बृजमोहन  ने अपनी शंका ज़ाहिर की “और वो जो दो लाख रुपए की बात हुई थीं?” “उसकी भी ज़रूरत  नहीं है।“ उसने पूरे  विश्वास के साथ कहा। “मगर मेरी  आपसे एक विनती है।“ पार्वती ने प्यार से कहा, “ हाँ बेटा  बोलो,

 

बुआ जी की हालत  नाजुक है तो पिता  जी चाहते है कि  शादी  अगले हफ्ते  ही हो  जाए।

 

ठीक है,  हमें कोई दिक्कत  नहीं है।

 

और एक बात और है!!

 

कहो! अब बृजमोहन  बोल पड़ा।

 

आप बाबू जी से दहेज़ के बारे में बात न करें,   वो वैसे भी बुआ जी की वजह से बहुत परेशान है। बस  बड़ी सादगी से यह शादी हो जाए और कुछ नहीं चाहिए । उसके बापू ने उसे गले लगा लिया। “हम तो तुम्हारे जैसा दामाद पाकर धन्य हो गए। मैं न कहती थी,  अपना किसोर लाखों में एक है।“  अब पार्वती भी उसकी  बलाएँ  लेने लग गई और अंदर खड़ी राधा और सुमित्रा ने ख़ुशी से एक दूसरे  को गले लगा लिया।

 

 

यह बात सच है कि किशोर के बापू पाँच  दिन के लिए पटना बुआ  जी से मिलने गए है और साथ ही खेतों के लिए कुछ सामान भी खरीदना है। भगवान की कृपा से उसकी बुआ बिल्कुल ठीक है। मगर  उसके पास झूठ बोलने के अलावा कोई विकल्प नहीं था क्योंकि वह राधा के बिना नहीं रह सकता और यह बात उसके घरवाले समझेंगे नहीं इसलिए अब एक और झूठ बोलना है।

 

 

बिरजू जब घर आया तो उसके बाबू जी ने उसे अपने पास  बिठाते  हुए कहा,  “तेरे लिए तेरी भाभी ने एक लड़की देखी है। यह सुनकर उसका मुँह उतर गया, मगर उसने आराम से ज़वाब  देते  हुए कहा,” मैं फ़िलहाल शादी नहीं करने वाला।“ उसके बापू की त्योरियाँ चढ़ गई। “क्यों? क्या बात है?”

 

उसने कुछ सोचते हुए जवाब दिया,  “मैं पहले अपना ख़ुद का काम खोलना रहा हूँ।“

 

बेटा इस गॉंव में क्या काम खोलेगा।

 

मैं गॉंव में एक कैफ़े खोलना चाहता हूँ ।

 

वो क्या होता है?

 

जहाँ बैठकर सब लोग इंटरनेट चलाएंगे और तो और मैं साथ ही उन्हें कंप्यूटर भी सिखाऊंगा। गिरधारी  कुछ  मिनटों तक उसकी  तरफ देखता  रहा । मगर राजवीर ने यह सुना तो बिरजू  की तारीफ करते हुए बोला, “ वाह ! भैया  आपको मान  गए। वैसे भी हमें  प्रिंटऑउट के लिए इतनी दूर जाना पड़ता है। यह काम  तो बहुत चलेगा।“

 

ठीक है। तुझे छह महीने दे रहा हूँ। छह महीने में अपना काम सेट कर लें। अगर नहीं कर सका तो मेरे साथ मेरा काम देखेगा और जहाँ कहो वही शादी करेगा।

 

बापू !! और अगर भाई का काम जम गया तो? 

 

फिर यह जो कहेगा, वही होगा।

 

ज़बान देते हो बापू । राजवीर  ने मजाक किया।

 

अरे !! यह जमींदार चौधरी की ज़बान है,  अपने कहें से फिर नहीं सकती । उसने अपनी मूंछों को ताव  देते हुए कहा तो वही बिरजू ने राहत की साँस ली। ‘मैं किसी  लड़की  से शादी  करकर  उसकी  ज़िन्दगी  बर्बाद नहीं करने वाला। छह  महीने बाद अगर मैं नहीं मरा  तो मैं  शहर भाग  जाऊँगा और फिर वहाँ पर कोई रोकने टोकने वाला भी नहीं होगा और तब मेरी पुड़िया और सिर्फ मैं । अब उसके भाभी ने चिढ़ते हुए कहा,

 

पिता जी चाची जी को आपसे मिलवाने कल बुलाया था।

 

कोई बात नहीं बहू,  मैं मिल तो सकता हूँ, बाकी उनको भी बिरजू की कही बात बताएँगे। उन्हें जँचा तो ठीक वरना हमारे बिरजू को लड़कियों की कमी तो है नहीं। उसने अकड़कर ज़वाब दिया।

 

फिर भी वह बड़ी दूर से आ रही है।

 

कोई नहीं,  हम छुड़वा देंगे, तू उन्हें अपना गॉंव  दिखा दियो।

 

वो पहले यही रहती थी । शादी के बाद वहाँ गई है।

 

अच्छा फिर मैं तो जानता होगा। क्या नाम है, उसका ?

 

नीमवती देवी।

 

नाम सुना सुना सा है,  वह अब अपने दिमाग़ पर ज़ोर देते हुए सोचने लगा ।