द सिक्स्थ सेंस... - 28 रितेश एम. भटनागर... शब्दकार द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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द सिक्स्थ सेंस... - 28

राजवीर जैसे ही अपने रूम में पंहुचा वैसे ही जुबैर उससे बोला - ए राजवीर तेरे पास सुहासी की कोई बुक रह गयी है क्या?

लेकिन इससे पहले कि राजवीर जुबैर के इस सवाल का कोई जवाब दे पाता उसके मोबाइल पर एक अननोन नंबर से एक वॉट्सएप मैसेज आया, उसने जब वो मैसेज खोलकर देखा तो उसमें बस "💌" ये इमोजी बना हुआ था, इससे पहले कि राजवीर ये समझ पाता कि ये किसका मैसेज हो सकता है उसके वॉट्सएप पर... उसी नंबर से फिर से एक और मैसेज आया और वो भी एक इमोजी "💝" ही था!!

इससे पहले कि सुहासी को लेकर उदास हुआ राजवीर ये समझ पाता कि ये मैसेज कौन भेज रहा है और जुबैर सुहासी की बुक के लिये क्यों पूछ रहा है, जुबैर कुछ खाते हुये बोला- सुहासी का कॉल आया था अभी, वो कह रही थी कि उसकी एक बुक मिसिंग है उसने तेरा नंबर लिया है अभी, शायद कॉल करेगी वो!!

जुबैर की बात सुनकर राजवीर सोच में पड़ गया कि "यार अभी पांच मिनट पहले तो मैं सुहासी के साथ ही था और इतनी देर में वो हॉस्टल पंहुच भी गयी, उसने अपना बैग भी चेक कर लिया और मेरा नंबर भी ले लिया और ये मैसेज... मैसेज कौन भेज रहा है..!!"

राजवीर को थोड़ा डाउट हुआ और उसने फौरन वो नंबर ऐसे ही किसी रैंडम नाम से जब मोबाइल पर सेव किया तब उस नंबर की वॉट्सएप डीपी उसके फोन पर विजिबल हुयी और जब उसने वो डीपी देखी तब उसका उदास चेहरा एकदम से खिल गया, उस नंबर की डीपी में अपने मम्मी पापा के साथ सुहासी खड़ी हुयी थी, वो नंबर सुहासी का है और उसने ही "💌💝" ये मैसेज किये हैं जानकर राजवीर मन ही मन जैसे उछल पड़ा!!

इधर दूसरी तरफ राजवीर के सुहासी का नंबर सेव करने से सुहासी के वॉट्सएप पर राजवीर का स्टेटस दिखने लगा जिसे देखकर सुहासी समझ गयी कि राजवीर ने उसका नंबर सेव कर लिया है, इधर अपने हॉस्टल में राजवीर मन ही मन खुश हो ही रहा था कि तभी फिर से सुहासी ने मैसेज किया और मैसेज था "इडियट 💞!!"

ये मैसेज देखकर राजवीर ब्लश करने लगा कि तभी सुहासी ने फिर से एक और मैसेज भेजा जिसमें उसने लिखा था कि "राजवीर मैं तुमसे मिलना चाहती हूं अभी के अभी, तुम हम दोनों के हॉस्टल के बीच में बने पार्क में आ जाओ..!!"

भले सुहासी ने हार्ट इमोजी भेजकर राजवीर को अपने दिल की बात इशारों में बोल दी थी जिसे देखकर राजवीर खुश भी हो गया था लेकिन "सुहासी गुस्सा हो गयी थी..!!" ये बात कहीं ना कहीं अभी भी राजवीर को जादा तो नहीं पर हल्का हल्का परेशान कर रही थी इसलिये वो जुबैर से " मैं थोड़ी देर में आया" कहकर और अपने मन में हल्की सी घबराहट लिये हुये सुहासी से मिलने पार्क में चला गया, वहां जाकर उसने देखा कि सुहासी अभी वहां नहीं आयी है इसलिये वो पार्क में खड़ा होकर उसका इंतजार करने लगा कि तभी उसे लेडीज हॉस्टल की तरफ से आती सुहासी दिखाई दी, सुहासी को देखकर राजवीर की धड़कनें फिर से बढ़ने लगी थीं और उसकी सांसे फिर से फूलने लगी थीं और उसकी वजह ये थी कि अभी थोड़ी देर पहले जो सुहासी इतना सीरियस एक्सप्रेशन देते हुये राजवीर के साथ क्लास से अपने हॉस्टल की तरफ आयी थी अब वो फिर से बहुत प्यारी, ब्लश करती हुयी स्माइल अपने चेहरे पर लिये हुये और शर्माये हुये से कदमों से चलते हुये और बार बार नीचे की तरफ देखकर अपने बाल अपने कान के पीछे समेटते हुये उसकी तरफ बढ़ रही थी, अब राजवीर को सुहासी के एक्सप्रेशन कुछ अलग ही लेवल के खूबसूरत लग रहे थे, उसे ऐसे मुस्कुराकर अपनी तरफ आते देख राजवीर का डर अब धीरे धीरे खत्म हो रहा था और वो भी सुहासी की तरह ही ब्लश करते हुये उसे बस देखे जा रहा था और सोचता जा रहा था कि "यार आज सुहासी को फेस करना इतना मुश्किल क्यों लग रहा है!!" सुहासी को लगातार अपने पास आता देख राजवीर की सांसे और दिल की धड़कनें दोनों और तेज होती जा रही थीं... इतनी तेज कि उन पर कंट्रोल करना राजवीर के लिये जैसे मुश्किल सा होता जा रहा था!!

क्रमशः