टोरंटो (कनाडा) यात्रा संस्मरण - 10 Manoj kumar shukla द्वारा यात्रा विशेष में हिंदी पीडीएफ

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टोरंटो (कनाडा) यात्रा संस्मरण - 10

डाॅ. सरन घई जी के जन्म दिवस एवं सेवा निवृति पर सप्रेम भेंट......


शहर टोरेंटो ब्राम्टन.........


शहर टोरेंटो ब्राम्टन, भारत का परिवेश।

हमको यह अनुभव हुआ, नहीं लगा परदेश।।


अनजाने इस देश में, अनजानी थी राह।

मिले आपसे खुश हुये, वर्षों की थी चाह।।


मैं परदेशी था यहाँ, अब अपनों के बीच।

गले मिले हमसे सभी,दिया प्रेम को सींच।।


प्रभु की कृपा अपार है, यहाँ दिखे भगवान।

अपनेपन की चाह से, यहाँ बनेे मेहमान।।


अनुरागी हैं सरन घई, खुशी हुयी भरपूर।

रिद्धि सिद्धि गणपति यहाँ, करें कष्ट सब दूर।।


पंद्रह जून की शुभ घड़ी, आती है हर बार।

जन्म दिवस पर आपको, खुशियाँ मिलें अपार।।


कलम हाथ में आपके, हरें जगत संताप।

हिन्दी की सेवा करें,सृजन शील हैं आप।।


विश्व हिन्दी संस्थान की, थाम रखी है डोर।

मोदी सूरज है उगा, अब हिन्दी का शोर।।


जीवन में यश आपका, बिखरे चारों ओर।

दिक् दिगन्त में आपको, मिले सफलता और।।


जीवन मंगलमय रहे, आनंदित परिवार।

करते मंगल कामना, हर कोने उजियार।।


चिन्ताओं से मुक्त हों, दुख हों सारे दूर।

सबकी मंगल कामना, सुख पायें भरपूर।।


जीवन के इस पर्व पर, नव जीवन की भोर।

हर्षित होते मित्र सब, हँसी खुशी का शोर।।


प्रभु से माँगें हम सदा, मिल जुल कर वरदान।

जीवन भर मिलता रहे, कीर्ति विजय सम्मान।।13


मनोज कुमार शुक्ल ‘‘मनोज’’


इस तरह सुनने सुनाने का कार्यक्रम लगभग पाँच घंटे तक चला। इसके अलावा मैंने कुछ और मुक्तक सुनाये। पन्द्रह बीस कवियों ने गजल, गीत, छंदों एवं मुक्त छंदों से कार्यक्रम में समां बांधा। कवियों में श्री भारतेन्दु श्रीवास्तव,श्री देवेन्द्र मिश्रा,श्री असर अकबर कुरेशी इलाहाबादी, श्रीमती सविता अग्रवाल, श्रीभगवतशरण श्रीवास्तव, श्री कुलदीप, श्रीमती सुधा मिश्रा, श्री राजमाहेश्वरी, श्रीनिर्मल लाल, श्री सुरेन्द्र पाठक, श्री पाराशर गौड़, श्रीमती मीना चैपड़ा, श्रीमती सरोजनी जौहर, श्रीमती राजकुमारी शर्मा, आदि कविगण थे। सभी अतिथि श्रेाताओं ने विभिन्न भावों की कविताओं का रसास्वादन किया गया। कार्यक्रम का संचालन स्वयं श्री सरन घई जी कर रहे थे। वातावरण को बोझिलता से बचाने वे बीच-बीच में हास्य परिहास से सबका मनोरंजन भी करते जा रहे थे।

उक्त कार्यक्रम के बीच मैंने अपने बेटे गौरव से दो बार चलने को पूँछा किन्तु रोचक कार्यक्रम को देखकर समापन के बाद ही चलने की इच्छा प्रगट की। सरन घई के आभार के बाद कार्यक्रम के समापन की घोषणा हुई। वहाँ पर श्री रिजवी जो कि एक सरकारी लायब्रेरी के इंचार्ज थे, उनसे मुलाकात हुई। श्री रिजवी जी यहाँ की सरकार द्वारा आयोजित वर्ष में एक मुशायरा एवं एक कविसम्मेलन के संयोजक हुआ करते हैं। उनको मैंने अपनी एक पुस्तक ‘संवेदनाओं के स्वर’पुस्तकालय के लिए भेंट की उन्होंने मुझे कार्यक्रम में आने का आमंत्रण दिया। यहीं पर हमारी भेंट टोरेन्टो के हिन्दी साहित्य सभा के अध्यक्ष श्री भगवत शरण श्रीवास्तव एवं कैलाश भटनागर जी से हुयी। इनकी संस्था का भी कार्यक्रम आमंत्रण मिला। इस सुखद मिलन एवं आत्मीय कार्यक्रम के समापन के पश्चात् हमने बिदाई ली।

यहाँ से रवानगी के पूर्व सिद्धी विनायक मंदिर के ऊपरी तल पर जाकर हम लोगों ने भगवान के दर्शन किये। मंदिर में राम, कृष्ण, विष्णु, लक्ष्मी, शिव, गणेश आदि सभी देवताओं की संगमरमरी भव्य एवं आकर्षक मूर्तियाँ प्रतिष्ठापित की गईं थीं। हमारे धर्म संस्कृति में जिन तीज त्यौहारों पर जिन देवता का पूजनपाठ का विधान हैं, उनका उस समय यहाँ धूम-धाम से पूजन अर्चन का कार्यक्रम रखा जाता है ऐसा मंदिर पुजारी जी ने बताया। हम लोग जब दर्शनकर बाहर निकले तो मौसम की बूंदाबांदी हो रही थी। घई जी को जब मंदिर परिसर में आभार देकर, हम लोग चलने लगे तो उन्होंने बस स्टाप तक छोड़ने के लिए कहा किन्तु उनकी व्यस्तता देखते हुए हम दोनों ही पैदल बरसात का आनंद लेते हुए चल पड़े।

अभी कुछ दूर आगे बढ़े ही थे कि पानी की तेज बारिश देख घबरा गए। रास्ते में घई साहब के एक मित्र कार में बैठे हुए दिखे, सोचा उनसे बस स्टाप तक लिफ्ट माँग लँू। मैं गौरव के मना करने के बाद भी जा पहुँचा, तो उन्होंने पीछे की ओर इशारा करते हुए मुझसे कहा, कि ये छोड़ें तो मैं आपको बस स्टाप तक छोड़ सकता हूँ। देखा तो कुछ फासले पर पुलिस की कार खड़ी थी। उन्होंने उन्हें रोक रखा था।


मैं जब लौट कर बेटे के पास आया तो वह नाराज होकर बोला कि आप को मना किया था पर आप माने नहीं। पुलिस आपको को भी पकड़ सकती थी, उनका साथी समझकर। यहाँ कार चालक को यदि रोका जाता है तो वह अपनी सीट पर बैठा रहता है, गाड़ी को आगे पीछे मूव भी नहीं कर सकता। जब तक उसे जाने के लिए न कहा जाये। न वह बाहर उतर सकता है, न ही वह फोन करके किसी को बुला सकता है। यदि कोई पास आता है, तो उसे उसका मददगार समझ कर उसे अरेस्ट भी कर सकती है। तब मुझे उसके मना करने का सच समझ में आया। उसने कहा कि यहाँ की पुलिस ट्रेफिक नियम व कानून फाॅलो करवाने के लिए बहुत स्ट्रिक्ट है। हम लोग कार्यक्रम की यादों को याद करते हुए पैदल ही चल पड़े बस और ट्रेन का सफर करते हुए रात्रि घर वापसी हुयी।

विश्व प्रसिद्व सी एन टावर


7जुलाई 15 को हम सभी विश्व प्रसिद्व सी एन टावर को देखने गये। इसे कनेडियन नेशनल टावर भी कह सकते हैं। यह 533.33 मीटर ऊँचाई अर्थात् 1815.4 फीट है। कांकरीट से बना 1973-76 में रेलवे की भूमि में बना है। यह विश्व का 3 ऊँचाई वाला टावर है। टोरेन्टो शहर के दक्षिणी हिस्से में एक बड़ी झील के पास है। लगभग 114 फ्लोर हैं। वस्तुतः टीवी, रेडियो की संदेश वाहक तरंगों के प्रेषण हेतु इसका निर्माण कराया गया था। इसमें पर्यटकों के लिए ऊपर विशाल रेस्ट्रारेन्ट है, एलीवेटर के द्वारा ऊपर लोग जाते हैं।

काँच की गैलरी से मीलों दूरी तक शहर की खूबसूरती को निहारा जा सकता है। हार्ट पेशेंट व कमजोर दिल वालों के लिए इतनी ऊँचाई पर जाना खतरनाक हो सकता है। अतः श्री मती के मना करने पर हम बाहर से ही देख कर संतुष्ट हुए।1 जुलाई को कनाडा-डे पर और विभिन्न अवसरों पर जो इससे रंगीन मनमोहकआतिशबाजी की जाती है, वह देखने लायक होती है। वैसे भी यह सी.एन. टावर प्रतिदिन रात्रि के समय रंगीन रोशनी से नहाया रहता है।


रिप्लीज ऐक्यूरियम आफ कनाडा


रिप्लीज ऐक्यूरियम आफ कनाडा जिसे हम अपनी भाषा में मछलीघर कह सकते हैं। यह कनाडा का विशाल मछलीघर है। यह अभी 2013 में बन कर तैयार हुआ है। इस मछलीघर की यह विशेषता है कि यह विशाल क्षेत्रफल में फैला हुआ है। लगभग सोलह हजार से भी ज्यादा समुद्री प्रणियों को इसमें रखा गया है। विशाल पानी के टैंक को सामुद्रिक वातावरण स्थिति में परिवर्तित करने लिए आक्सीजन जल संशोधन सयंत्र को एक बड़े एरिया में स्थापित किया गया है। इसमें समुद्र में रहने वाली विभिन्न प्रजातियों की रंग बिरंगी मछलियों को उनको नैसर्गिक वातावरण में रखा गया है।


जैल प्रजाति की छोटी बड़ी मछलियों से लेकर बड़ी प्रजाति की व्हेल मछलियों तक को रखा गया है। व्हेल मछलियाँ काफी विशाल एवं खतरनाक होती हैं। यहाँ एक दो नहीं सैकड़ों की तादात में रखा गया है। लम्बे चैड़े काँच के सुरंग से गुजरते हुये आप इन्हें बड़े ही नजदीक से देख सकते हैं। जो कि अपने आप में बड़ा रोमांचकारी एवं विस्मयकारी होता है। समुद्र में पाई जाने वाली सैकड़ों अन्य मछलियों की दुर्लभ प्रजातियाँ भी रखी गईं हैं। यह विश्व का अनूठा मछलीघर है। जिसे देखने को दूर दूर से लोग आते हैं। एक व्यक्ति की टिकिट तीस डालर है। सीनियर सिटीजन के लिए 20 डालर की टिकिट है। मछलीघर देखने के लिए रिजर्वेशन पहले से करवाना होता है। उसमें प्रवेश का समय एवं तिथि का उल्लेख होता है।

मैं मछलीघर में इतनी प्रकार की मछलियों को देखकर तो दंग रह गया। रंग बिरंगी मछलियों को देखते ही बनता था। जैल मछली के तों कहना ही क्या हर समय में अपना रंग बदलतीं थीं। बारीक कपड़े सी महीन हम उसमें मांसलता की खोज ही नहीं कर सकते। कहते हैं कि इतनी पारदर्शी बारीक यह मछली उतनी ही खतरनाक होती है, मैंने सपने में भी नहीं सोचा था। उसके सपर्श मात्र से छाले पड़ जाते हैं व जलन होने लगती है। सभी काँच की विशालकाय लगभग 30-35 फीट की दीवारों के अंदर स्वतंत्र रूप से विचरण करती हुईं दिख रहीं थीं। घोड़े जैसी दिखने वाली मछली तो अपने आप में विचित्र थी। समुद्र में पानी के अंदर उगने वाले पौधों की तरह दिखने वाली विचित्र मछलियों को भी देखने का अवसर मिला।