तुम जो आए ज़िंदगी में... - 4 Nirali Patel द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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तुम जो आए ज़िंदगी में... - 4

आर्य को पता चल गया कि वो सबके सामने बात करने में अनकंफर्टेबल फील कर रही है। इसलिए आर्य मीरा का हाथ पकड़ कर उसे रूही के घर के बाहर ले जाता है। जहां एक सुंदर सा गार्डन था। रात में चांद की चांदनी में तो वो गार्डन और भी सुंदर लग रहा था। वहा एक हल्की सी लाइट लगी हुई थी।

आर्य मीरा को वहा लाता है और वहा पड़ी एक बैंच पर मीरा को बिठाता है, और खुद बैंच के निचे मीरा के पैर के पास बैठता है, और मीरा के हाथ अपने हाथ में लेता है और कहता है।

आर्य - देखो मीरू जो भी हो तुम मुझे बता सकती हो। सायद मै तुम्हारी कुछ हेल्प कर सकू। सायद तुम्हारी बेजान सी जिंदगी में जान भर सकू। प्लीज़ एक बार बता के ट्राई करो.....

मीरा यह सुनकर रोने लगती है और आर्य निचे से उठ कर उसके पास बैठता है और उसके आंसू पोछता है।

आर्य - देखो तुम रो मत। और बताओ मुझे।

मीरा थोडी शांत होती है और आर्य को सब बताती है।

मीरा - करीब दो साल पहले मैं जब कॉलेज के फर्स्ट इयर में थी तब मेरे दो बेस्ट फ्रेंड थे , रवि और सीमा। एक दिन उन दोनों ने मुझे फॉन करके बोला कि हमने एक सेलिब्रेशन पार्टी रखी है, और तुम्हें वहा आना है। और उन्होंने मुझे ये भी बोला की इस बार पार्टी में कुछ अलग करना है तो हमने इस बार पार्टी में हैलोवीन थीम रखी है तो तुम उसके मुताबिक ड्रेस पहन कर आना। वैसे मुझे तब थोडा अजीब लगा पर मैंने सोचा उन दोनों ने बताया है तो सही ही होगा। और मैं उस पार्टी में वैसे ही तैयार हो कर गईं जैसे उन दोनों ने बताया, पर वहा जाकर पता चला कि वैसा कुछ नहीं था। सब अपने तरीके से नई नई ड्रेस पहन कर आए थे और मैं अकेली ही......। मेरे अंदर जाते ही सब मुझ पर हंसने लगे, मेरा मजाक बनाने लगे और तरह तरह की वीडियो भी बनाई उन लोगो ने मेरी। यहां तक तो ठीक था पर दुसरे दिन उन सब ने वो वीडियो सारे कॉलेज में फ़ैला दी। जब भी कॉलेज जाती सब मुझ पर हसते। और चुड़ैल, भूतनी जैसे नाम भी रख दिए मेरे। प्रिंसीपल से शिकायत की थी पर कुछ फर्क नहीं पड़ा। जैसे तैसे दो साल उसी कॉलेज में काट दिए पर फिर सोच लिया था कि उस कॉलेज से ही दूर चली जाऊं तो फिर जाके इस कॉलेज में एडमिशन लिया।

(गहरी सांस लेकर) उस दीन से लेकर आज तक मैने कभी किसी पर विश्वास नहीं किया। और ना ही किसी से ज्यादा बात करती हूं। बस...... अकेली ही ठीक हु मैं ऐसा लगता है।

आर्य - पैरेंट्स नहीं है तुम्हारे??

मीरा - नहीं। छोटी थीं तभी मम्मी-पापा की डेथ हो गई थी।

आर्य - ओ सॉरी।

मीरा - इट्स ओके। सच बताऊं तुम्हें सबकी दिवाली कैसे रोशनी से भरी होती है ना??

आर्य - हा।

मीरा - मेरी नहीं होती। दो साल से मैं दिवाली भी इसी तरह अंधेरे में अकेली छत पर बैठ कर मनाती हु।

आर्य - क्यू??

मीरा - क्युकी जिसकी लाइफ में ही अंधेरा हो उसे दिये की रोशनी से क्या फायदा....?


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