आर्य - मीरा......
फिर आर्य वहा से चला जाता है और उसके दोस्त और बाकी सब भी चले जाते है।
दिवाली आने वाली थी, और थर्ड इयर की एग्जाम्स भी आ रहे थे। तो आप सभी को पता ही है एग्जाम से पहले एसाइनमेंट सबमिशन करवाने होते है। और आज लास्ट डेट थी सबमीशन की। पर आर्य के एसाइनमेंट के पेपर्स भी अभी स्टेशनरी में पड़े थे। मतलब की अभी तक उसने एसाइनमेंट पेपर्स भी नही खरीदे थे, तो सबमिशन की बात तो दूर रही। क्लास में प्रोफेसर एसाइनमेंट चेक कर रहे थे।
राहुल - अरे यार आर्य तुमने कंप्लीट कर लिए एसाइनमेंट ..?
आर्य - क्या खाक कंप्लीट... अभी तक स्टार्ट भी नहीं किया लिखना।
राहुल - तो क्या करेगा यार तू आज सबमिशन की लास्ट डेट है पता तो है तुझे.....?
आर्य जेड रुक तो सही कुछ करता हु।
मीरा आर्य और राहुल कि पिछे वाली बैंच पर ही बैठी होती है और उन दोनों की सारी बाते सुन लेती है। और वो सोचती है " मीरा यही सही टाइम है तुझ पर किए गए एहसान का बदला चुकाने का।"
मीरा इतना सोच कर धीरे से अपना एसाइनमेंट आर्य के हाथ में देती है और बोलती है, ये लो ये मेरा एसाइनमेंट मैने अपने नाम का पहले पेज मैने फाड़ दिया है, तुम अपना नाम लिख कर सबमिट करवा देना। फिर जब आर्य की बारी आती है तब वो मीरा का एसाइनमेंट पे अपना नाम लिख कर सबमिट करवा देता है। और फिर मीरा की बारी आती है, अब जाहिर है कि लास्ट डेट पर भी सबमिशन ना करवाने वाले को दांट तो पड़नी ही है। पर मीरा की मासूमियत देखकर प्रोफेसर भी उसे कुछ नहीं कह पाते और कल जरुर से सबमिट करवा देना बोलकर जाने देते हैं।
उसी दिन कॉलेज खतम होने के बाद सब अपने अपने घर जा रहें होते हैं। मीरा भी उसकी फ्रेंड रूही के साथ घर जा रही होती है, तभी आर्य उसका रस्ता रोकता है और बोलता है।
आर्य - हेय.... थैंक यू सो मच।
मीरा - इट्स ओके।(बोलकर मीरा चलने लगती है)
आर्य - अरे.... रुको तो सही। तुमने मेरी इतनी बड़ी हेल्प क्यू की? ये तो बताओ।
मीरा - कुछ भी नहीं। उस दीन तुमने मेरी जान बचाई तो आज मैने भी तुम्हारी हेल्प कर दी। और हां प्लीज़ अब मुझसे बात करने की कोशिश मत करना।
मीरा इतना बोलती है और वहा से चलने लगती है। आर्य भी वहा से चला जाता है।
रूही - क्यू यार तुमने उसके साथ इतना रुडली बिहेव क्यू किया....? तुम्हें पता भी है कोलेज की सारी लड़किया आर्य से बात करने के लिए मरती हैं , पर तुम्हारे साथ बात करने वो खुद आया था पर तुमने उसे इग्नोर कर दिया। क्या प्रॉब्लम है यार मीरा तुम्हें......?
मीरा - कुछ भी नहीं।( मीरा इसके आगे कुछ भी नहीं बोलती)
फिर थोड़े दिन तक ऐसा चलता रहा। आर्य जब भी मीरा को देखता उससे बात करने की कोशीश करता है पर मीरा ने कभी बात नहीं की आर्य के साथ।
एक दिन आर्य रात को अपनी बालकनी में खड़ा खड़ा सोच रहा था कि, क्या है उस लङकी में जो मुझे हर टाइम याद आ रही है, उसकी वो आंखें, चहेरा हमेशा मुझे याद आता है।और वो हमेशा क्यू ऐसे उदास और शांत रहती है?? पता करना पड़ेगा।
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