अध्याय –०१
द वॉचर
लेखक:– सोनू समाधिया‘रसिक ’
घनसोर के शांत गांव में, जहां रातें प्राचीन बरगद के पेड़ों की तरह शांत होती थीं, एक पुरानी हवेली थी जो अतीत के रहस्यों को फुसफुसाती थी। गांव वाले वहां जाने से इसलिए कतराते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि यह एक आत्मा का घर है जिसे वे 'द वॉचर' कहते हैं।
सालों पहले अपनी स्थापत्य शैली और सुंदरता का लोहा मनवाने वाली हवेली’ द वॉचर’, अब एक वीरान और डरवाने खंडहर में तब्दील हो चुकी थी। रिहायसी क्षेत्रों की रौनक वहां के रहने वाले लोगों से होती है, यही कारण था कि हवेली बिना इंसानों के खाने को दौड़ती थी। वो पेड़ों के झुरमुटों में अपने दैत्याकार में खड़ी थी। वो हवेली ऐसी प्रतीत होती है, जैसे मानों वो अपनी नर्क जैसी लाल आंखों से किसी को निहार रही हो। इसलिए उसे द वॉचर कहा जाता था। अब वहां इंसान तो नहीं रहते थे, सिवाय वहां रहने वाली एक लडकी की आत्मा के।
कहानी के अनुसार, कई साल पहले, अनाया नाम की एक युवा दुल्हन उस हवेली में रहती थी। वह अपनी सुंदरता और दयालु हृदय के लिए जानी जाती थी, लेकिन एक रहस्यमय बीमारी के कारण उसका जीवन छोटा हो गया। जिस रात उसकी मृत्यु हुई, उस रात पूर्णिमा का चाँद नीचे लटका हुआ था, जिससे हवेली पर एक भयानक चमक छा गई थी। वे कहते हैं कि उसी रात द वॉचर का जन्म हुआ था।
कई साल बीत गए और गांव में नए आए अर्जुन नाम के एक बहादुर व्यक्ति ने इन कहानियों का मज़ाक उड़ाया। जिज्ञासा और अविश्वास से प्रेरित होकर उसने हवेली में एक रात बिताने का फैसला किया। हाथ में लालटेन लेकर वह भव्य दरवाज़े में दाखिल हुआ और गांव वाले दूर से उसे देख रहे थे।
रात में सन्नाटा था, सिवाय उसके पैरों के नीचे चरमराती फर्श के। जब वह धूल भरे गलियारों में घूम रहा था, तो उसे गर्मी के बावजूद ठंड का एहसास हो रहा था। भव्य हॉल में उसे अनाया का एक चित्र मिला, उसकी आँखें उसका पीछा करती हुई लग रही थीं। बेचैनी को हँसते हुए, वह उसकी निगाहों के नीचे बैठ गया।
आधी रात को लालटेन बुझ गई और हवेली अंधेरे में डूब गई। रेशम की नरम सरसराहट सुनकर अर्जुन का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। एक आवाज़, जो कोमल लेकिन ठंडी थी, फुसफुसाते हुए बोली, "तुम मेरे एकांत में खलल क्यों डालते हो?"
डर के मारे अर्जुन बोल नहीं पा रहा था। चांदनी में अनाया की छाया दिखाई दी, उसकी आंखें दुख से भरी हुई थीं। उसने कहा, "मैं इस जगह से बंधी हुई हूं, जब तक मेरी कहानी पता नहीं चल जाती, तब तक मैं इस पर नज़र रखूंगी।" अर्जुन, जो अब आस्तिक हो गया था, ने सच्चाई को उजागर करने का वादा किया।
अगली सुबह, अर्जुन हवेली से एक बदला हुआ व्यक्ति बनकर निकला। उसने खुद को अनाया की असामयिक मौत के रहस्य को उजागर करने के लिए समर्पित कर दिया। पता चला कि उसे ज़हर दिया गया था, और सच्चाई सामने आने के बाद, अनाया की आत्मा को आखिरकार आज़ाद कर दिया गया।
गांव वाले अब
द वॉचर के बारे में डर से नहीं, बल्कि कृतज्ञता से बात करते थे। और पुरानी हवेली, जो कभी कानाफूसी और छायाओं का घर हुआ करती थी, अब शांत हो गई, उसके रहस्य आखिरकार शांत हो गए।
ये सब संभव हो सका अर्जुन जैसे बहादुर और समझदार युवा के लगाव और प्यार के कारण।
क्रमशः………
(कहानी अगले भाग तक जारी रहेगी, कृपया तब तक मेरी दूसरी कहानियां पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया दें। कमेंट करें और मुझे फॉलो करके मेरा सपोर्ट करें।🤗❤️)
(©SS₹'S Original हॉरर)
💕 राधे राधे 🙏🏻 ♥️