आखिरी प्रयास - 2 Lokesh Dangi द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • द्वारावती - 71

    71संध्या आरती सम्पन्न कर जब गुल लौटी तो उत्सव आ चुका था। गुल...

  • आई कैन सी यू - 39

    अब तक हम ने पढ़ा की सुहागरात को कमेला तो नही आई थी लेकिन जब...

  • आखेट महल - 4

    चारगौरांबर को आज तीसरा दिन था इसी तरह से भटकते हुए। वह रात क...

  • जंगल - भाग 8

                      अंजली कभी माधुरी, लिखने मे गलती माफ़ होंगी,...

  • My Devil Hubby Rebirth Love - 51

    अब आगे मैं यहां पर किसी का वेट कर रहा हूं तुम्हें पता है ना...

श्रेणी
शेयर करे

आखिरी प्रयास - 2

एक व्यापारी था । वो गांव में रहता था । उसे भगवान् पर बड़ी आस्था थी । एक दिन वो शहर से अपने गांव जा रहा था । वो बस से उतरकर पैदल अपने घर की तरफ चल रहा था । उसे रास्ते में एक बड़ा चमकीला पथ्थर मिलता है ।

व्यापारी को वो पथ्थर अच्छा लगता है और वो उसे अपने साथ लेकर घर पहुँचता है । वो भगवान् पर बड़ी आस्था रखता था उसलिए उसने सोचा की में यह पथ्थर से भगवान् की मूर्ति बनवाऊंगा । वो दूसरे ही दिन एक मूर्तिकार के पास पहुँचता है और फिर उसे कहता है की मुझे इस पथ्थर से भगवान् की मूर्ति बनानी है ।मूर्तिकार कहता है की ठीक है में आपको जैसी चाहिए वैसी मूर्ति बना के दूंगा । आप कल आकर अपनी मूर्ति ले जाना । व्यापारी कहता है की अच्छा ठीक है में कल ले जाऊंगा । मूर्तिकार ने उस पथ्थर पर पहला वार किया और उसे पता चल गया की ये पथ्थर तो बहुत ही कठोर है । उसने उस पथ्थर को तोड़ने के लिए काफी वार किये पर वो उसे नहीं तोड़ पाया । पथ्थर ज्यादा ही कठिन था उसलिए मूर्तिकार उसे आसानी से नहीं तोड़ पा रहा था ।मूर्तिकार ने उस पथ्थर को तोड़ने में 99 % मेहनत की पर वो उस पथ्थर को तोड़ने में नाकामयाब रहा । उसने काफी प्रयत्न किये थे पर वो उसे नहीं तोड़ पाया उसलिए उसने वो पथ्थर तोड़ने में अपना आखिरी प्रयास भी नहीं किया ।

दूसरे दिन व्यापारी मूर्तिकार के पास मूर्ति लेने के लिए आया । मूर्तिकार में कह दिया की में आपकी मूर्ति नहीं बना पाया क्योकि ये पथ्थर बहुत ही ज्यादा कठिन है । मूर्तिकार बता रहा है की मैंने इस पथ्थर को तोड़ने में काफी मेहनत की पर में नाकामयाब रहा । व्यापारी ने कहा की अच्छा ठीक है में इस पथ्थर को वापिस ले जा रहा हु ।व्यापारी उस पथ्थर को लेकर दूसरे मूर्तिकार के पास पहुँचता है । दूसरा मूर्तिकार कहता है की में आपको मूर्ति बना के दूंगा । वो दूसरा मूर्तिकार इस पथ्थर पर पहला वार करता है और वो उसे तोड़ने में कामयाब हो जाता है । व्यापारी ये देखकर बड़ा की खुश हो जाता है और वो दूसरा मूर्तिकार काफी अच्छी मूर्ति बना के उस व्यापारी को देता है ।

व्यापारी उस पहले मूर्तिकार के बारे में सोच रहा है की उसने काफी बार वार किये और फिर भी वो कामयाब नहीं रहा क्योकि उसने आखिरी प्रयास करने से पहले ही हार मान ली थी । अगर उसने एक बार आखिरी प्रयास किया होता तो वो पथ्थर को तोड़ पाता था और बड़ी ही आसानी से मूर्ति भी बना पाता ।


हम भी अपनी Life में इस मूर्तिकार की तरह ही आखिरी प्रयास नहीं करते है और अपना आखिरी प्रयास करने से पहले ही थक जाते है । उसलिए लगातार मेहनत करना ही अच्छा होता है क्या पता हमारा अगला प्रयास ही हमारा आखिरी प्रयास हो और हमें सफलता मिल जाये । ऐसेही। प्रयास करना चाहिए हमे