आखिरी प्रयास - 3 Lokesh Dangi द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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आखिरी प्रयास - 3

एक बार एक आदमी किसी पहाड़ी की चोटी पर चढ़ने की कोशिश कर रहा था ,, वह बहुत बार कोशिश करता लेकिन थोडा ऊपर जाने के बाद अचानक निचे आ जाता | उसने काफी हाथ पैर मरे लेकिन वह आदमी उस पहाड़ी पर चड़ने में हर बार असमर्थ हो जाता था ,, लेकिन उसका केवल एक ही लक्ष्य था ,, की किसी भी हाल में इस पहाड़ी की चोटी पर चदकर दिखाना हैं ||

उसी रास्ते से जाने वाले लोग उस आदमी को देखकर कहते ,, कि तुम पागल हो गये हो ,, ये कोई इतना आसान रास्ता नहीं हैं ,, जिस पर तुम चल पाओगे | ये एक बहुत बड़ी चट्टान हैं ,, जो की कितनी ऊची हैं ,, आज तक इस चट्टान की चोटी पर कोई नहीं जा पाया ,, और एक तुम हो की यह कहते हो की मैं इस चट्टान पर चदकर दिखाऊंगा ||

तुम कितनी भी कोशिश कर लो ये नामुमकिन हैं ,, तुम इस चट्टान पर आज तो क्या कभी भी नहीं चढ़ पाओगे ,, अगर गिर भी गगए न उस आदमी का सपना था ,, की वह उस पहाड़ी की अंतिम ऊचाई पर चदकर बताएगा |लेकिन बार- बार कोशिश करने के कारण वह थककर वही एक पेड़ के निचे बेठ गया ,, उसके मन में उन लोगो की नकारात्मक भावना घर कर गई थी ,, वह रह-रहकर सोचता “क्या मैं पहाड़ी की चोटी पर नहीं चढ़ पाऊँगा ?

“क्या मुझे सफलता नहीं मिलेगी “,, लेकिन फिर भी उसने अपना साहस बनाए रखा ,, और अपनी आखरी साँस तक पहाड़ी पर चड़ने का निर्णय लिया | उसने कहाँ अगर आज मैं उन लोगो की बात मन गया तो मैं जीवन में कभी भी सफल नहीं हो पाउँगा ,,, ये पहाड़ की चोटी तो क्या ? अभी मेरे जीवन में इससे भी खतरनाक परिस्थितियाँ आने वाली हैं ,, अगर मैं आज ये नहीं कर सकता तो ,, अपने जीवन में कुछ भी नहीं कर सकता ,, फिर मुझमें और उन लोगों में क्या फर्क राह जायेगा ,, मुझे उन लोगो से हटकर रहना हैं ,, तो मुझे ये काम करना ही होगा ||

उसने सोचा की हर एक प्रयास के बाद एक और आखरी प्रयास का निर्माण करते हुए ,, हर बार नई उम्मीद के साथ अपनी कोशीश तो कर सकता हूँ | सक्सेस मिले या ना मिले लेकिन मैं अब पीछे मुड़कर नहीं देखूँगा ||

इसी सोच को लेकर वह अपना पूरा ध्यान अपने कदमो पर लगाकर पहाड़ी की ऊचाईयो पर जाता रहा और अपनी आखरी प्रयास में वह पहाड़ी की अंतिम ऊचाई पर जा बेठा ,, निचे खड़े सभी लोगो ने तालियाँ बजाई और उसके मनोबल की तारीफ की |हर इन्सान में अपनी सफलता प्राप्त करने की काबिलियत होती हैं ,, और वह नकारात्मक सोच की परवाह किए बिना अपनी सकारात्मक सोच के जरिए मेहनत करने के लिए लग जाए तो सफलता जरुर मिलती हैं |

परिणाम चाहे कुछ भी हो ,, अपने आखरी प्रयास तक कोशिश करते रहे ,, कदमो को छोटा रखे लेकिन सुरक्षित रखे ,, धेर्य से की गई मेहनत का फल लेट मिलता हैं ,, परन्तु मिलता जरुर हैं |

अपने पीछे छोड़े हुए कदमो की न सोचे और अपने अगले कदम को बेहतर बनाने की सोचे ,, हर आदमी सफल हो सकता हैं ,, लेकिन अपनी सोच के कारण वह अपने सपनों को अंजाम नहीं दे पाता हैं |