लव एंड ट्रेजडी - 9 Urooj Khan द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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लव एंड ट्रेजडी - 9




बाहर बरामदे में वैशाली जी हरी किशन जी बैठे बातें कर रहे थे तब ही भव्या वहा आती और कहती है ' माँ पिताजी दीदी ने खाना बना लिया है आ जाइये खाना खाते है

"चलो चले खाना खाते है " हरी किशन जी ने कहा और दोनों वहा से उठ कर भव्या के साथ चल दिए ।

हिमानी ने सारा खाना नीचे ज़मीन पर थालियो में परोस दिया था और सब खाना खाने बैठ गए।

"दीदी सब्जी बहुत स्वादिष्ट बनी है आप के जाने के बाद आपसे ज्यादा आपके खाने की याद आएगी मुझे भव्या ने कहा

" तो तू भी सीख ले उससे उसकी तरह खाना बनाना अभी तो काफी महीने है इसे विदा होने में" वैशाली जी ने कहा

"अच्छा हुआ तुम सब ने याद दिला दिया मुझे तुम " लोगो से पूछना था और खास कर हिमानी से की वो मानसून के बाद शादी करने को तैयार है मानसून आने में अभी तीन महीने है और उसे जाने में भी एक दो माह लग जाएंगे यानी हमारे पास या छ माह है शादी की तैयारी करने को " हरि किशन जी ने कही




"बात तो आपकी सही है लेकिन इतनी जल्दी तैयारियां कैसे हो पाएंगी अभी तो पैसे भी नही है हमारे पास जो कुछ पैसे थे वो घर की मरम्मत में लगा दिए क्यूंकि बारिशें अगर शुरू हो जाती तो इस बार ये छत हमारे ऊपर गिर ही जाती" वैशाली जी ने कहा

"शुभ शुभ बोलो भाग्यवान, तुम चिंता मत करो पैसो की, मैं कही ना कही से बंदोबस्त कर ही लूँगा ताकि अपनी बेटी की डोली धूम धाम से अपनी देहलीज से उठवा सकूँ" हरी किशन जी ने कहा

" अरे वाह दीदी दुल्हन बनेगी बहुत मज़ा आएगा कार्तिक ने कहा उत्सुकता से "

"माँ और पिताजी आप ज्यादा परेशान ना हो पैसो को लेकर बस कुछ दिनों में सेलानी आन रू हो जाएंगे और साथ ही साथ मंदिर के कपाट भी खुल जाएंगे श्रद्धालु भी आना शुरू हो जाएंगे। उसके बाद मेरे पास भी बहुत काम होगा उन्हें गाइड करने का, टूर पर ले जाने का




शिव जी ने चाहा तो हम लोग मानसून शुरू होने से पहले पहले खूब अच्छी कमाई कर लेंगे। ताकि आप दोनों को किसी के आगे हाथ फैलाने की ज़रुरत ना पड़े और पिताजी मुझे आप दोनों के आशीर्वाद के सिवा और कुछ नही चाहिए " हिमानी ने कहा

"मेरी प्यारी बेटी मेरा हर दम बाज़ू बनी रही, घर की मरम्मत कराना हो बरसात से पहले या फिर घर की चिमनी ठीक कराना हो बर्फ गिरने से पहले हर दम इसने मेरा साथ दिया एक ज़िम्मेदार बाज़ू बन कर लेकिन अब मेरा बाज़ू जा रहा है।" हरी किशन जी ने कहा प्यार भरे लहजे से

"क्या पापा, क्या मैं आपका बाज़ू नही हूँ दीदी जाएगी तो मैं आपका बाज़ू बन जाउंगी" भव्या ने कहा

"हाँ, हाँ तू भी मेरा बाज़ू है लेकिन एक दिन तुझे भी इस घर से विदा हो जाना है तू भ जाएगी इस आँगन को छोड़ कर और किसी और के आँगन को आबाद करेगी" हरी किशन जी ने कहा और अपनी दोनों बेटियों को गले से लगाया ।



"अब खाना भी ख़त्म करो या फिर बाते ही करते रहेंगे आप दोनों," वैशाली जी ने कहा मुस्कुराते हुए

रात हो चुकी थी। भव्या और हिमानी अपने कमरे में लेटी थी।

" दीदी आपके जाने के बाद ये कमरा कितना खाली खाली हो जाएगा, बचपन से हम दोनों यही सो रहे है एक साथ एक ही बिस्तर पर," भव्या ने कहा

"सही कहा तूने मेरी बहन तुझे मैं बहुत याद करूंगी तू सिर्फ मेरी बहन नही दोस्त है जिसके साथ मैं अपने हर सुख दुख साँझा करती हूँ,

पता नही अब किसके साथ साँझा करूंगी" हिमानी ने कहा

" उन्ही के साथ करना जिनके साथ सात फेरे लोगी सुरेन्द्र जीजू के साथ " भव्या ने एक अलग अंदाज़ में कहा




हिमानी थोड़ी देर खामोश रही और बोली " चल अच्छा ये सब बाते छोड़ ये सोच की पिताजी का हाथ कैसे बटाना है ज्यादा से ज्यादा मैं नही चाहती की वो किसी से भी कर्ज या उधार पैसे मांगे मैं उनके हाथ अपने लिए कभी किसी के आगे फैलाने नही दूँगी मैं जानती हूँ की सुरेन्द्र के घर वालो को दहेज़ नही चाहिए लेकिन फिर भी पिताजी मेरी डोली इस घर से इज़्ज़त के साथ उठ वाने के लिए जी जान लगा देंगे गांव वालो का खाना बारतियों का स्वागत ये सब पैसे से ही होगा "

"ठीक कहा दीदी तुमने, और देखना सुरेन्द्र की माँ शादी के आखिरी मोके पर कुछ ना कुछ दहेज़ के बदले मांगेगी जरूर मुझे आशंका है क्यूंकि आज उन्होंने बहुत बार बीच बीच में दहेज़ का ज़िक्र छेड़ा था" भव्या ने कहा

"नही मुझे नही लगता कि ऐसा वैसा कुछ क्यूंकि सुरेन्द्र को हमारे घर के हालात पता है। अगर ऐसा कुछ हुआ तो ये रिश्ता पहले मैं खत्म करूंगी बाद को वो लोग करेंगे मैं मर जाउंगी लेकिन अपनी वजह से अपने पिता के हाथ किसी के आगे नही फैलाने नही दूँगी और ना ही किसी के आगे गिड़गिड़ाने दूँगी सिर्फ और सिर्फ अपनी डोली इस घर से उठवाने के खातिर " हिमानी ने कहा




" दीदी ये हिम्मत अब क्यू नही दिखा देती मना कर दो रिश्ते को, तुम्हारा और सुरेन्द्र का कोई जोड़ नही, मैं ऐसे नही कह रही भगवान ने सब ही को प्यारा बनाया है सुरेन्द्र भी अच्छा है लेकिन ना जाने क्यू मुझे उसका नाम तुम्हारे वजूद के साथ जुडा हुआ अच्छा नही लगता है।

एक बार हिम्मत करो मैं तुम्हारा साथ दूँगी" भव्या ने कहा

"नही भव्या मेरी बहन तू जज़्बाती हो रही है, सुरेन्द्र को भी उसी ने बनाया है जिसने मुझे और तुझे बनाया है भले ही वो सूरत शक्ल का अच्छा ना हो लेकिन सीरत का अच्छा है भले ही वो थोड़ा बहुत सीगरेट और गुटखा खाता है लेकिन सिर्फ इस वजह से तो उसे इंकार नही किया जा सकता है उसका काम अच्छा है मुझे खुश रखेगा और मुझे क्या चाहिए" हिमानी ने कहा



"ठीक है दीदी जो आपकी मर्ज़ी अच्छा ये बताओ अब करना क्या है आखिर कहा से इतने सारे पैसे इकट्ठे होंगे जिससे की तुम्हारी शादी भी हो जाए और मानसून भी अच्छे से गुज़र जाए वरना बारिश तो हम पहाड़ पर रहने वालो के लिए किसी तबाही से कम नही होती रोज़ रात को डर के साये में सोना पड़ता है की भगवान ना करे की कब बादल फट जाए या फिर कोई बड़ा पत्थर फिसल कर हमारे घर पर ना गिर जाए और हम मलबे के ढेर में ना दब जाए। मानसून का असली मजा तो पठार वाले लेते है ना कोई बादल फटने का डर और ना ही कोई पत्थर गिरने का डर आराम से घरो के अंदर बैठ कर बारिश का आनंद चाय पकौड़ो के साथ लेते है " भव्या ने कहा

"नही मेरी बहन जिस तरह हम लोग भी बरसात में हर दम डर के सांए में होते है वैसे ही पठारो में रहने वाले लोग भी परेशान हो जाते है बारिश से क्यूंकि नदियाँ अपने उफान पर होती है एक तरफ उन्हें गर्मी से राहत मिल जाती है लेकिन मूसलाधार बारिश के बाद जो तबाही उनकी ज़िन्दगी में आती है वो बहुत बरी होती है।

कई कई घरों में हमारी तरह फाके हो जाते है जब सारा राशन पानी खत्म हो जाता है और दिहाड़ी दार मजदूर बारिश की वजह से काम पर नही जा पाता पास में पैसा नही होता और घर में बच्चे भूख से बिलख रहे होते है।



कही लोग बरसात ना रुकने की दुआए करते है और चाय पकोड़े का आंनद लेते है और कही कही लोग उस मूसलाधार बारिश में ही पन्नी लपेट कर या फिर बारिश में भीग कर ही अपनी रोज़ी रोटी कमाते है।

किसी का घर टपकता है तो किसी की दीवार गिर जाती है बारिश में और किसी किसी का तो पूरा आशियाना ही बह जाता है बरसात में जो उसने बड़ी मेहनत से एक एक तिनका जोड़ कर बनाया होता है। मानसून गर्मी से तो राहत दे जाता है लेकिन अपने पीछे बहुत तबाही छोड़ जाता है जिसे समेटने में महीनों लग जाते है। मानसून पठार वालो के लिए और पहाड़ पर रहने वालो दोनों के लिए ख़ुशी के साथ साथ भी लाता है।" हिमानी ने कहा



भव्या हिमानी की बाते सुन रही थी और खामोश थी उसने अपनी ख़ामोशी तोड़ते हुए कहा " सही कहा दीदी आपने मैं गलत सोच रही थी अच्छा दीदी तो अब क्या करेंगी पिताजी की मदद के लिए मुझे भी कुछ करना है पिताजी के लिए"

"तू बस मन लगा कर पढ़ाई कर बाकी तू मुझ पर छोड़ दे। मैं कल सुबह टूर एंड ट्रेवल वाले के पास जाउंगी उसके पास ज़रूर किसी गाइड की ज़रुरत होगी पिछली साल भी उसी ने मुझे लगाया था कमीशन लेता है लेकिन काम मिल जाता है।

अब बस यही प्रार्थना है की खूब सारे सेलानी आये और पर्वत दर्शन और भगवान के दर्शन करके हिफाज़त से अपने घर चले जाए चल अब सोजा बहुत देर हो गयी सुबह बहुत काम है और हाँ ये प्यार मोहब्बत की किताबे जरा कम पढ़ा कर इन्ही ने तेरा दिमाग़ खराब किया है, ज़िन्दगी इनसे कही मुख्तलिफ होती है हिमानी ने कहा

"हम सब की ज़िन्दगी भी तो एक कहानी ही है जिनमें हर रोज़ एक नया मोड़ आता है कितने नए चेहरे हर रोज़ आँखों के सामने आते है" भव्या ने कहा



"अच्छा दीदी एक बात बताओ क्या सच्ची मोहब्बत जैसी कोई चीज होती है या सिर्फ ये कहानियों में ही देखने को मिलती है और क्या सच्ची मोहब्बत हमेशा अधूरी ही रहती है सच्ची मोहब्बत करने वाले क्या कभी नही मिलते" भव्या ने पूछा

"केसा सवाल है ये, मुझे क्या पता इस बारे में" हिमानी ने करवट बदलते हुए कहा

"बताओ ना दीदी कुछ तो पता होगा आखिर सच्ची मोहब्बत के बारे में " भव्या ने ज़िद्द करते हुए पूछा

" भव्या तू बहुत बदतमीज होती जा रही है" हिमानी ने कहा

"ओह दीदी इतना सा तो सवाल है बताओ ना" भव्या ने ज़िद्द करते हुए पूछा

ज़िद्दी लड़की चुप हो जा बताती हूँ मेरी नज़र में सच्चे प्यार की क्या परिभाषा है



"सच्चा प्यार, सच्चा प्यार कभी भी किसी के रंग रूप से नही बल्कि उसकी रूह से होता है यानी की सच्चे प्यार करने वालो की आत्माये एक होती है उनके जिस्मो का मिलन नही होता उनकी आत्माये एक दूसरे से जुडी रहती है, सच्चा प्यार दो हंसो के जोड़े की तरह होता है जो एक दूसरे के कोटिपूरक होते है एक के बिना दूसरे का कोई अस्तित्व ही नही होता।

सच्चे प्यार करने वालो का ज़माना हमेशा दुश्मन बना फिरता है वो उन्हें कभी एक नही होने देता वो या तो जुदाई का गम सहते है या फिर एक दूसरे के साथ मौत का जाम पी कर हमेशा के लिए अपने प्यार को अमर कर जाते है।

सच्चा प्यार करने वाले एक दूसरे को आँखों में नही बल्कि दिल में उनकी तस्वीर बनाते है जो मृत्यु तक उनके दिल पर एक छाप की तरह मौजूद रहती है जिसे दुनिया की कोई भी ताकत उसके दिल से नही मिटा सकती ।



सच्चा प्यार वही होता है जिसमे खुद को मेहबूब के रंग में रंग कर बस उसी के हो जाओ मन मंदिर में सिर्फ उसी का चेहरा नज़र आये। सच्चा प्यार बैरागी बना देता है जैसा की मीरा बाई कृष्ण भक्ति में ऐसा लीन हुयी की सब कुछ भूल गयी और खुद को बैरागी बना लिया एक हाथ में साँवले सलोने कृष्ण जी की मूरत और दूसरे हाथ में एकतारा और मन मंदिर में एक ही की तस्वीर ।

मेरे लिए तो यही सच्चे प्यार की परिभाषा है" हिमानी ने कहा

"वाह दीदी आप तो बहुत कुछ जानती हो, क्या आपको कभी किसी से प्यार नही हुआ कभी कोई ऐसा शख्स देखा हो जिसे देख कर दिल में कुछ हलचल सी हुयी हो, दिल कुछ कहना चाह रहा हो मगर जुबान साथ ना दे रही हो, हवा बहने लगी हो वातावरण मन मोहक हो गया हो दिल कर रहा हो की बस उसे ही देखती रहू लेकिन समय का तकाजा कुछ और कहता हो" भव्या ने कहा बहुत ही प्यार भरे अंदाज़ में




"भव्या की बच्ची अपनी बड़ी बहन के सामने प्यार मोहब्बत की बाते कर रही है और मुझसे पूछ रही है की क्या मेने भी कभी प्यार किया है, तू रुक माँ से कहती हूँ तेरी शिकायत वो तुझे मोहब्बत करना सिखाएंगी जब अपनी जूती से तेरा सर फोड़ेंगी तब तू ख़्वाबों से निकल कर हकीकी ज़िन्दगी में वापस आएगी चल अब बकवास बाते बंद कर और सो जा 11 बज गए है और मुझे भी सोने दे" हिमानी ने कहा

"ठीक है दीदी मत बताओ लेकिन देखना तुम्हारी ज़िन्दगी में कोई ना कोई तो ज़रूर आएगा जो तुम्हे सच्चा प्यार करना सिखाएगा हो सकता है इस बार के सेलनियों में ही कोई ऐसा हो जिसे देख कर तुम्हारा दिल तेज़ी से धड़कने लगे और वो भी तुम पर मोहित हो जाए मेरा दिल कह रहा है और मेरा दिल कभी गलत नही कहता और वैसे भी मन की आवाज़ में ईश्वर की मर्ज़ी शामिल होती है" भव्या ने कहा

"चुप हो जा भव्या वरना मेरे हाथ से मार खा बैठेगी। मानसून के बाद मेरी शादी है मेरी किस्मत में सुरेन्द्र लिखा है और तू ना जाने कैसे कैसे अतरंगी ख्वाब सजो रही है' हिमानी ने कहा



" दीदी किस्मत को बदलते समय नही लगता किस्मत कब और कहा करवट ले ले ये सिर्फ ईश्वर के सिवा कोई नही जान सकता अभी सुरेन्द्र तुम्हारा नसीब बना नही है अभी काफी महीने बाकी है किस्मत के फैसले बदलने के लिए चंद सेकंड ही काफी है महीने तो बहुत दूर की बात है चंद घंटो में किसी का साथ किसी और के साथ लिख जाता है दीदी और देखना तुम्हारे नसीब में भी कोई और ही लिखा होगा मुझे पूरा यकीन है तुम्हारी शादी उस सुरेन्द्र से नही होगी जो तुम्हारा पति कम दो बच्चों का बाप ज्यादा लगता है तुम मानो या ना मानो शिव जी जरूर कोई करिश्मा दिखाएंगे मुझे पूरा यकीन है उन पर और तुम तो उनकी बहुत बड़ी भक्त हो तुम्हारी तो सारी आस्था उन्ही में है तो फिर वो तुम्हारे साथ कैसे कुछ गलत होने दे सकते है मेरी बहन" भव्या ने कहा और करवट बदल ली

हिमानी के पास अब कोई शब्द नही थे उसे कुछ कहने के लिए इसलिए वो भी करवट बदल कर ना जाने किन ख्यालों में खो गयी और उसकी आँख लग गयी।

अगली सुबह हिमानी उठी और नहा धोकर रसोई में जाकर अपनी माँ का हाथ बटाने लगी।

" अरे बेटा ये सब अब मुझे करने दे वैसे भी तू अब चंद रोज़ की मेहमान है इस घर में" वैशाली जी ने कहा




"क्या माँ तुमने तो अभी से पराया कर दिया माना मेरी शादी होने वाली है लेकिन इसका मतलब ये तो नही कि मैं सारा काम आप पर डाल दू काम के बहाने मुझे और वक़्त मिल जाएगा आप के साथ बिताने का फिर नही पता कब मायके आना हो और कब इतनी आज़ादी मिले हम माँ बेटी को " हिमानी ने कहा

"सही कहा तूने एक बार तेरी डोली इस घर जाएगी तो फिर वही घर तेरा अपना होगा यहाँ तो तू सिर्फ मेहमान बन कर आया करेगी। बेटा शादी के बाद अपने ससुराल में भी ऐसे ही सबका दिल जीत लेना जैसे इस घर में हम सब का जीता है, वहा भी संवेरे उठना ताकि कविता जी को कभी भी तुम्हारी कोई शिकायत कहने का मौका ना मिले, वैसे तो तू खुद ही बहुत समझदार है लेकिन एक माँ होने के नाते तुझे ससुराल जाने से पहले नसीहत करना मेरा फर्ज़ है कही तू कहे कि मेरी माँ ने तो कुछ बताया नही था " वैशाली जी ने कहा



"माँ तुम फिकर मत करो मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूंगी कि कभी कोई शिकायत का मौका ना दू लेकिन माँ, सास बहु का रिश्ता ही अजीब है ना चाहते हुए भी कुछ ना कुछ हो ही जाता है लेकिन तुम फ़िक्र मत करना तुम्हारी बेटी को तुमसे ही सीख मिली है कि चाहे कैसे भी हालात हो घर को कभी बिखरने नही देना है क्यूंकि एक बार माला के मोती बिखरे तो फिर ज़िन्दगी लग जाएगी उन्हें इकठ्ठा करने में, माँ मुझे तुम्हारी दी हर सीख याद है और मेने आप को देख कर ही सीखा है आप और पिता जी का खुशहाल साथ देख कर ही मुझे और हमें सीख मिलती है की पति पत्नि का रिश्ता केसा होना चाहिए, एक दूसरे के दर्द को बिना उसके बताये कैसे समझना चाहिए पति का काम ज़िम्मेदारी और फर्ज़ समझ कर करना चाहिए ना की गुलाम समझ कर ये सब मेने आपसे ही सीखा है और पिताजी भी आपका कितना ख्याल रखते है कभी कभी तो आपके लिए चाय भी बनाते है उन्होंने कभी ऊँची आवाज़ में बात नही की आपसे पति की गैर मौजूदगी में घर का कैसे ख्याल रखना है बच्चों का कैसे ध्यान रखना है ये सब मेने आपसे ही सीखा है जब पिता जी कही बाहर जाते थे हवन के लिए तब आप हमारा कैसे ध्यान रखती थी ये सब मेने आपसे ही सीखा है और मैं चाहूंगी की अगर मैं कभी माँ बनी तो बिलकुल आप जैसी माँ बनूँगी जिसके लिए लड़का लड़की एक समान होगा जो ना लड़के में भेद करेगी और ना ही लड़के में उसके लिए सब ही आँखों का तारा होंगे उसके दिल का सुकून होंगे।" हिमानी ने कहा




वैशाली जी भावुक होकर उसके सर पर हाथ फेरते हुए बोली" जीती रहे मेरी बच्ची, तुम एक समझदार लड़की है तूने ज़िन्दगी के हर उतार चढ़ाव इस घर में देखे है मेरी ईश्वर से यही प्रार्थना है की तू अपने घर खुश रहे आबाद रहे जो कुछ हम तुझे ना दे पाए इस गरीबी में वो तुझे तेरा पति दे"

"नही माँ ऐसे ना कहो जो कुछ भी आप दोनों ने मेरे लिए किया है लड़की होने के बावजूद मुझे पढ़ाया लिखाया उसके बाद मुझ पर भरोसा करके मुझे बाहर अपने पेरो पर खड़ा करने के लिए काम की भी इज़ाज़त दी हर माँ बाप ऐसा नही करते है अपनी बेटियों के साथ अगर हर माँ बाप आपकी तरह सोच रखे तो हिंदुस्तान की हर बेटी अपने पेरो पर खड़ी दिखेगी। माँ आप दोनों मेरा सब कुछ हो आपने जो कुछ भी इस गरीबी में हमें दिया मेरे लिए वो अनमोल है अगर अपनी जान देकर भी मुझे उसका मोल चुकाना पड़े तब भी उन सब का मोल नही चुका सकती" हिमानी ने कहा अपनी माँ को गले लगाते हुए

वैशाली जी की आँखे नम थी उनके पास कोई अल्फाज़ नही थे अपनी बेटी की बाते सुनने के बाद उनका मन भावुक हो चुका था और वो भी हिमानी के सीने से लग गयी।

तब ही वहा कोई आता है।

कौन आया था वहाँ जानने के लिए पढ़ते रहिये