Love and Tragedy - 4 books and stories free download online pdf in Hindi

लव एंड ट्रेजडी - 4



हंशित का फ़ोन बज रहा था। उस पर लिखा नाम उसके एक दोस्त का था उसने तुरंत फ़ोन उठाया और कहा " हाँ यार क्या हुआ सब ठीक तो है ना लव?"

उधर से जवाब आता है " हाँ, भाई सब ठीक है तुझे बताना था की हम सब को एक ऐसी जगह मिल गयी है पहाड़ो में जहाँ तुझे तस्वीरे खींचने के लिए बहुत सारी जगह मिल जाएंगी, बर्फ से ढकी पहाड़िया लम्बे लम्बे दरख़्त और बहुत सारे जंगली जानवर और पंछी

"सच यार ये तो बहुत ही अच्छा हो गया, अब बता भी दे क्या जगह है ताकि मैं इंटरनेट पर और जानकारी ले सकूँ हंशित ने उत्सुकता भरे स्वर में कहा

"सब्र कर मेरे भाई हम सब आ रहे है ना दोपहर में तेरे घर वही आकर बता देंगे, या फिर तू हमें अपने घर बुलाना नही चाह रहा " लव ने कहा

"अरे ऐसी बात नही है, मेने तो अभी अभी माँ से कहा है ताकि वो तुम लोगों के लिए भी खाने का बंदोबस्त करा सके बिना खाना खाये तो तुम जाने से रहे निहायती बगैरत हो तुम लोग' हंशित ने मज़ाक में कहा

"क्या करे तेरी माँ के हाथ के खाने में स्वाद ही इतना होता है की मुझे अपने माँ के हाथ के बने खाने की याद आ जाती है मेरी सौतेली माँ ने तो मुझे कभी अपने हाथ से एक निवाला तक नही खिलाया " लव ने कहा


"चल अब ज्यादा इमोशनल मत हो दोपहर को जल्दी आ जाना उन तीनो लफट्रो को लेकर और हाँ श्रुति से कहना आये तो अपने साथ पॅड्राइव लेती आये कल रात वो उसी के पास रह गयी थी। चल अच्छा अब फोन रखता हूँ और तुम लोग जल्दी आना मुझसे सब नही होगा जब तक जगह और लोकेशन का पता ना चल जाए" हंशित ने लव से कहा और फ़ोन रख दिया

" कमीना कही का, अगर बता देता तो मैं जानकारी नही निकाल लेता उस जगह की, कि आखिर वहा ऐसी जगह मौजूद भी है जहाँ खीची तस्वीरे लोगो को पसंद आये। चलो कोई नही थोड़ी देर में वो सब खुद ही आ जाएंगे और बता देंगे चलो जब तक कैमरे की सफाई की जाए" हंशित ने कहा और कैमरे की सफाई करने लगा

वही दूसरी तरफ हंसराज जी और रजत ने मलिक ब्रदर्स के साथ डील फाइनल कर ली थी। और उन्हें झुग्गी झोपडीयां हटा कर वहा एक बिल्डिंग बनाने का कॉन्ट्रैक्ट मिल गया।

लेकिन अब सबसे बड़ी समस्या ये थी की उन झुग्गी झोपडी वालों को वहा से कैसे हटाया जाए क्यूंकि वो लोग वहा काफी सालों से रह रहे थे और अब मानसून सर पर था कुछ दिनों बाद बरसात शुरू होने वाली थी। ऐसे में उन लोगों को बेघर करना बड़ा मुश्किल था और वो लोग भी आसानी से उस जगह को नहीं छोड़ने वाले थे।



लेकिन पैसे में बहुत ताकत होती है और अमीरो का सबसे बड़ा हथियार पैसा ही तो है, उन्हें किसी के सर से छत छिनने का क्या खौफ वो तो आराम से अपने महलो में रहते है बरसात और बारिश के मज़े लेते हैं चाय पकौड़ो के साथ।

जबकी झुग्गी झोपडीयों और कच्चे मकानों में रहने वाले तो मानसून आते ही घबरा जाते हैं. उनके लिए मानसून ईश्वर की तरफ से भेजी गयी किसी आजमाइश से कम नही होता जिसमे या तो उनका सब कुछ उजड़ जाता है या फिर थोड़ा बहुत बच जाता है।
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और फिर वो दोबारा अपनी चीज़ो को इकट्ठा करते है मानसून सब ही के लिए एक जैसा नही होता किसी के लिए मनोरंजन होता है तो किसी के लिए सजा, कही कही चाय पकोड़े चलते है रंग बिरंगे खाने बनते है तो कही कही फाको की नौबत आ जाती है बरसात में लेकिन किसी को किसी से क्या लेना देना सब को अपनी पड़ी है इस कलयुग में।

गरीब को कौन पूछता है बिल्डिंग में रहने के बावजूद भी इन लालची अमीरो की नज़रे झुक्की झोपड़ी वालो की जगह पर ही रहती है क्यूंकि लालच की कोई इंतेहा नही होती जो जितना अमीर होता है उसका लालच दिन वा दिन बड़ता रहता है और आखिर में पैसे की जीत होती है और बेचारे झुक्की झोपडीयों में रहने वालों से पैसे और शक्ति के दम पर उनसे मकान खाली करा लिए जाते है और बना दी जाती है वहा आलिशान बिल्डिंग अमीरो के लिए। और बेच दिए जाते है दुगुने दामों में घर वहा जहाँ कभी उन झुग्गी झोपड़ीयों में रहने वालों के बच्चे खेला करते थे लेकिन अब वो घर से बेघर हो गए सिर्फ इसलिए की वो गरीब थे और रात भर बारिश में भीगते रहे कुछ बच जाते हैं और कुछ भगवान को प्यारे हो जाते है। लेकिन किसी को क्या परवाह अमीर तो अपने घरों में बैठा बरसात का आंनद ले रहा था। दूसरों के आशयने छीन कर अपनी जेब भर कर बैठा था।



"पापा अब हम ये कैसे करेंगे आखिर उन लोगों को वहा से कैसे निकालेंगे क्या ऐसा करना सही होगा" रजत ने पूछा

"बेटा ये बिज़नेस ही ऐसा है इसमें पहले जुबान से समझाया जाएगा नही माने तो ताकत दिखाई जाएगी तुम चिंता मत करो मेरे कुछ आदमी है जो इस तरह के काम आसानी से कर देंगे। पैसा फेक तमाशा देख

और वैसे भी दुनिया बहुत बड़ी है और ये झुग्गी झोपडी वाले कही और बस जाएंगे इन्होंने कोनसा वहा महल बना रखे है जो इन्हें वहा से जाने में परेशानी होगी और वैसे भी वो अवैध ज़मीन पर रह रहे है बातो की जुबान नही समझेंगे तो बुलडोजर चलवा दी जाएगी। मलिक साहब से तो नाराज़गी नही मोल ले सकते उन्हें तो वादा कर दिया है वहा बिल्डिंग बना कर देने का और 1 करोड़ रूपये भी तो एडवांस ले चुके है लक्ष्मी माता की बड़ी किर्पा है हम पर जो इतना बड़ा कॉन्ट्रैक्ट हमें मिला "हंसराज जी ने नमन करते हुए कहा

रजत ना चाहते हुए भी अपने पिता की हाँ में हाँ मिलाता चला गया। और कुछ नही बोला और वहा से अपने केबिन में चला गया। भूख लगी थी इसलिए कुछ खाना मंगा लिया बाहर से और खा कर लैपटॉप में लग गया सारा हिसाब किताब देखने की उन्हें इस प्रोजेक्ट से कितना मुनाफा मिलने वाला है।




दोपहर हो चुकी थी। दरवाज़े पर घंटी बजती है।

"बहु देखना जरा दरवाज़े पर हंशित के दोस्त आये होंगे शायद उन्हें दोपहर में आना था " रुपाली जी ने कहा रजनी से जो की बरामदे में बैठी थी।

"जी माँ देखती हूँ" ये कहकर वो दरवाजे पर जाती और दरवाज़ा खोलती है

"Good afternoon भाभी" लव, श्रुति, कुश और जॉय ने कहा

"Good afternoon " तुम सब ही को, अंदर आओ और ये इस तरह भीगे क्यू हो अभी तो मानसून आया नही है अभी तो तीन चार महीने है तुम लोग कहा भीग आये बारिश में। रजनी ने पूछा

"भाभी आप ये अपने इन प्यारे देवरों से पूछिए कि इन्होने क्या करा है ये " श्रुति ने कहा

“हाँ तो बताओ तुम लोगो ने खुद को कहा भिगोया है पानी में" रजनी ने पूछा

"भाभी वो गलती से हमारी गाड़ी एक गड्डे में गिर गयी जो कि कीचड़ से भरा था। हमारे कपड़े सन गए तभी वहा एक आदमी बाइक धो रहा था तभी हमें मस्ती सूजी और हमने उससे पाइप छीन कर सबको नहला दिया सोचा ज़ब तक आएंगे सूख जाएंगे लेकिन ये नही सूखे " जॉय ने कहा।



"हाय राम तुम लोग गीले कपड़े पहन कर रास्ते की हवा खाते हुए आ रहे थे, इतने बड़े हो गए और बच्चों वाली हरकते करते हो एक गाड़ी पर इतने लोग बैठोगे तो गाड़ी गिरेगी ही, अब जाओ तुम तीनो हशित भैया के कमरे में और श्रुति तुम मेरे साथ आओ मेरे कमरे में मैं तुम्हे कुछ पहनने का देती हूँ सर्दी लग जाएगी बेवजह" रजनी ने कहा

उसके बाद वो तीनो हंशित के कमरे की तरफ गए थर थराते हुए और श्रुति रजनी के साथ।

"ये लो श्रुति ये पहन लो और बाहर आ जाना मैं जब तक खाना लगवाती हूँ।" रजनी ने कहा

"शुक्रिया भाभी, बेवजह हम लोगो ने आपको तकलीफ दी श्रुति ने कहा

"कोई नही श्रुति तुम मेरी बहन जैसी हो अच्छा ये कपडे तुम्हे आ तो जाएंगे मेरे पास बस यहीं एक जीन्स टॉप था। शादी के बाद पहनना छोड़ दिया मेने "रजनी ने कहा

"जी भाभी आ जाएंगे, लेकिन आपने क्यू छोड़ दिया ये सब पहनना शादी के बाद" श्रुति ने पूछा

"बस ऐसे ही, भारतीय नारी साड़ी और सूट में ही अच्छी लगती है शादी के बाद ये जीन्स टॉप जचता नही है सुहागन साड़ी और सूट में ही अच्छी लगती है इसलिए मेने पहनना छोड़ दिया वैसे कोई रोक टोक तो नही है लेकिन मुझे अच्छा नही लगता अब ससुराल में ये सब पहनना सास ससुर के सामने। मुझे साड़ी ही अच्छी लगती है और वैसे भी रजत को मैं जीन्स टॉप से ज्यादा साड़ी और सूट में अच्छी लगती हूँ मैं "रजनी ने कहा

" अच्छा तो ये बात है तो क्या कहते है पतीव्रत्ता है आप जो पति को पसंद वो आपको भी पसंद लेकिन मेरे लिए बहुत मुश्किल काम है साड़ी बांधना मुझसे तो कभी संभलेगी नही उल्टा मैं गिर जाउंगी उसमे फ़स कर और मुझे अच्छा नही लगता औरतों की तरह सजना संवरना " श्रुति ने कहा।


रजनी की हंसी छूट गयी और वो बोली जब आपकी शादी हो जाएगी तब आप खुद सीख जाएंगी साड़ी बांधना और औरतों की तरह सजना संवरना

"मैं और शादी कभी नही और वैसे भी किस में इतनी हिम्मत है जो मेरा हाथ मांगेगा शादी के लिए मुँह तोड़ के हाथ में धर दूँगी उसके दोबारा शादी के नाम से भी कापेगा" श्रुति ने कहा
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रजनी हसने लगी और बोली " दीदी जब आपको कोई अच्छा लगने लगेगा, उसके साथ समय बिताना अच्छा लगने लगेगा उसकी नाराज़गी आपको उदास कर देगी, उसकी मौजूदगी आपके चेहरे पर मुस्कान की वजह बन जाएगी फिर आपको उसके लिए खुद को बदलना अच्छा लगने लगेगा तब आप चाह कर भी उसका मुँह तोड़ कर उसके हाथ में नही दे पाओगी क्यूंकि तुम्हे उससे मोहब्बत हो चुकी होगी तुम चाह कर भी कुछ नहीं कर सकोगी"

ऐसा सिर्फ फिल्मो और कहानियों में होता हैं ऐसे तो मुझे मेरे दोस्तों का साथ अच्छा लगता है तो उनकी मौजूदगी मेरे चेहरे पर मुस्कान लाती है और उनकी जुदाई मुझे रुलाती है तो क्या मैं अपने दोस्तों से प्यार करती हूँ क्या उनसे शादी कर लू

" अरे मेरे कहने का मतलब वो नही है जो तुम समझ रही हो, कोई एक होगा जिसका साथ तुम्हे सुकून देगा जिसके साथ तुम खुद को मेहफूज़ समझोगी वही होगा तुम्हारा जीवन साथी जो तुम्हारी इन्ही आदतों पर मर मिटेगा " रजनी ने कहा


"Soory, i dont have intrest in marriage | मैं तो चली खाने की मेज पर जब मिल जाएगा तब देखेंगे अभी तो ज़िन्दगी एन्जॉय की जाए" श्रुति ने कहा और वहा से चली गयी

"पागल कही की कुछ भी बोलती है " रजनी ने कहा और कमरे से बाहर आ गयी उसके पीछे पीछे

हंशित कमरे में बैठा था अपने दोस्तों को इस तरह गीला हुआ देख चौक गया। आगे क्या होगा जानने के लिए पढ़िए अगला भाग




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