द सिक्स्थ सेंस... - 14 रितेश एम. भटनागर... शब्दकार द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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द सिक्स्थ सेंस... - 14

जिस सुहासी को दिल्ली पुलिस और मुंबई पुलिस जगह जगह तलाश रही थी और फिर भी उस तक नहीं पंहुच पा रही थी वो सुहासी आज खुद चलकर राजवीर से मिलने आयी थी और इस बात से बिल्कुल अंजान बेचारा इंस्पेक्टर उदय तेज तूफानी बारिश में महिपालपुर चेकपोस्ट पर खड़ा अपनी ड्यूटी कर रहा था!!

सुहासी सामने आ तो गयी थी लेकिन एक गंभीर सवाल भी अपने साथ लेकर आयी थी और वो ये कि अमेरिका में अपनी जॉब छोड़ने से लेकर अभी तक आखिर वो थी कहां और वो किस बात के डर से अभी तक छुपी हुयी थी??

राजवीर ने अपने सामने जब सुहासी को देखा तो वो उसे हल्का हल्का पहचान गया और उसकी तरफ देखकर बोला- सुहासी, तुम सुहासी हो लेकिन मुझे तुम्हारे नाम और तुम्हारी शक्ल के अलावा कुछ याद नहीं आ रहा है, मुझे अपने पास्ट से जुड़ी कोई भी बात याद नहीं है सुहासी बस एक तुम्हारा नाम ही है जो मुझे मेरे जहन में हर जगह नाचता सा दिखाई देता है, त.. तुम सुहासी हो लेकिन तुम हो कौन और कैसे जानती हो मुझे और मुझे सिर्फ तुम्हारा नाम ही क्यों याद है, बाकि कुछ क्यों नहीं??

सुहासी को अपने सामने देखकर परेशान सा हुआ राजवीर एक के बाद एक सवालों की झड़ी लगाये जा रहा था, उसके सवाल सुनने के बाद सुहासी मुस्कुराते हुये बोली- राजवीर तुम जादा स्ट्रेस मत लो, तुम आराम से बैठो और अब मैं आ गयी हूं ना, मैं तुम्हे तुम्हारा पास्ट याद दिलाने में तुम्हारी मदद करूंगी, हम दोनों ने जो खुबसूरत दिन अमेरिका में गुजारे हैं वो सब मैं तुम्हे याद दिला दूंगी!!

सुहासी की बात सुनकर राजवीर को थोड़ा रिलैक्स महसूस हुआ और वो अपने माथे को रगड़ता हुआ चुपचाप अपने बिस्तर पर बैठ गया और सुहासी उसके बिस्तर के पास पड़ी हुयी कुर्सी पर|

सुहासी के मुंह से अमेरिका का जिक्र सुनकर राजवीर थोड़ा हैरान होता हुआ बोला- तुम अमेरिका से वापस आ गयीं मतलब अभी हम अमेरिका में नहीं हैं?

सुहासी बोली- नहीं राजवीर हम इंडिया में हैं, दिल्ली में तुम्हारे घर पर!!

कन्फ्यूज सा होकर अपने माथे को सहलाते हुये राजवीर बोला- अच्छा... मुझे कुछ याद क्यों नहीं आ रहा सुहासी!!

सुहासी ने राजवीर को दिलासा देते हुये कहा- जैसे मैं आ गयी हूं वैसे ही सब याद भी आ जायेगा!!

राजवीर बोला- क्या हुआ था अमेरिका में सुहासी और सिर्फ तुम ही मुझे क्यों याद हो?

राजवीर के सवाल का जवाब देते हुये सुहासी ने कहा- तुम्हे याद है राजवीर आज से करीब छ: साल पहले जब हम पहली बार मिले थे तब हमारी कितनी लड़ाई हुयी थी!!

राजवीर बोला- लड़ाई..!! किस बात पर?

सुहासी हंसते हुये बोली- तुमने मेरे दोस्त जुबैर को अपनी कोहनी मार दी थी!!

जुबैर का नाम सुनकर राजवीर अचानक से जैसे कंफ्यूज सा हो गया था और कुछ याद करता हुआ सा अपनी ठुड्डी को पकड़ते हुये बोला- जुबैर.... जुबैर ये नाम बहुत अपना अपना सा लग रहा है सुहासी लेकिन तुम तो कह रही हो कि मैंने जुबैर को मारा था!!

सुहासी मुस्कुराते हुये बोली- हां अपना अपना सा इसलिये लग रहा है क्योंकि उस लड़ाई के बाद जुबैर तुम्हारा बेस्ट फ्रेंड बन गया था, असल में हुआ कुछ यूं था कि मैं और जुबैर इंडिया में भी साथ ही पढ़ते थे, मैं मुंबई में रहती थी अपने मम्मी पापा के साथ और वो अपने चाचा के घर पर रहकर पढ़ाई करता था बेसिकली वो दिल्ली का ही रहने वाला था, उसके पापा का लेदर का बिज़नेस है यहीं दिल्ली में और जुबैर के बाकि चारों भाई उसके पापा के साथ ही बिज़नेस करते हैं लेकिन वो अपने घर का अकेला ऐसा लड़का था जिसका मन काम से जादा पढ़ाई में लगता था इसलिये उसके पापा ने उसे बाकि सबसे दूर मुंबई भेज दिया था और 11th से ही वो मेरा क्लासमेट और बेस्ट फ्रेंड भी था, फिर जब मैंने उसे बताया कि मैं ग्रैजुएशन और एमबीए करने पांच साल के लिये अमेरिका जा रही हूं तो वो भी मेरे साथ अमेरिका आ गया, हम बहुत अच्छे दोस्त थे और......

सुहासी अपने और राजवीर के पास्ट के बारे में बात करते करते पुरानी यादों को याद करते करते उन यादों में ऐसे खो गयी जैसे वो सच में छ: साल पहले अपने कॉलेज फिर से पंहुच गयी हो|

क्रमशः