द सिक्स्थ सेंस... - 11 रितेश एम. भटनागर... शब्दकार द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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द सिक्स्थ सेंस... - 11

सुहासी इंडिया में है लेकिन वो दिल्ली में है कि नहीं और अगर वो दिल्ली में है तो कहां है और अगर वो दिल्ली में नहीं है तो भी वो कहां है..!!

राजवीर केस में सवालों की कड़ियां जुड़ते जुड़ते फिर से एक बार खुल गयी थीं और हर बार इंस्पेक्टर उदय की जो जांच एक कदम आगे बढ़कर दो कदम पीछे हट रही थी अब वो दो कदम नहीं बल्कि काफी पीछे हट चुकी थी लेकिन एक चीज थी जिसने अभी भी उदय के मन में थोड़ी उम्मीद जगायी हुयी थी और वो ये कि अगर वो सुहासी को ढूंढ निकाले तब वो इस केस को ना सिर्फ सॉल्व कर पायेगा बल्कि राजवीर की इस हालत के पीछे वर्धन परिवार का क्या मोटिव था वो भी सामने आ जायेगा और इसीलिये उसने दिल्ली पुलिस के बड़े अधिकारियों से बात करने और सारे लीगल प्रोसीजर्स फॉलो करने के बाद मुंबई से लायी सुहासी की फोटो गुमशुदा की तलाश टाइटल के साथ अखबारों में छपवा दी, उदय जानता था कि इस तरीके से भी सुहासी को ढूंढना आसान नहीं है क्योंकि सुहासी को इंडिया आये हुये भी काफी टाइम हो चुका है ऐसे में कोई उसे पहचानेगा भी या नहीं ये भी नहीं पता था, अखबार में ऐड देने के बाद अब उदय के पास किसी अनजान फोन कॉल का इंतजार करने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं रह गया था और उदय जानता था कि ये अंधेरे में चलाया हुआ तीर है जो निशाने पर लग गया तो ठीक वरना ये केस राजवीर के होश में ना आने की स्थिति में बंद होने की कगार पर तो पंहुच ही चुका है!!

एक एक दिन करके राजवीर के साथ हुये उस हादसे को छ: महीने हो चुके थे और सुहासी की फोटो का इश्तहार दिये हुये पंद्रह दिन लेकिन अभी तक उदय के पास सुहासी की जानकारी को लेकर किसी का भी एक फोन तक नहीं आया था लेकिन एक दिन... जब उदय अपने थाने में बैठा अपने साथी जूनियर इंस्पेक्टरों के साथ किसी केस पर डिस्कशन कर रहा था तब उसके फोन पर किसी का कॉल आया जब उसने अपना फोन देखा तो कॉल राजवीर के फादर राकेश सिंघानिया का था!!

राकेश सिंघानिया का कॉल देखकर उदय अपना सिर पकड़ते हुये अपने साथ बैठे दूसरे पुलिस वालों से बोला- नो यार... फिर सिंघानिया का कॉल आ गया, एक तो राजवीर केस कैसे भी करके सॉल्व नहीं हो रहा है ऊपर से सिंघानिया का रोज रोज का वही सवाल कि "क्या हुआ केस का, मैं छोड़ुंगा नहीं किसी को" अभी ये फिर से सवाल करेगा!!

खीजते हुये अपनी बात कहकर उदय ने राकेश सिंघानिया का कॉल रिसीव किया और कहा- हां जी सर..

उदय के फोन उठाकर राकेश से अपनी ये बात कहने के बाद राकेश सिंघानिया ने दूसरी तरफ से कुछ ऐसा कहा जिसे सुनकर उदय चौंकते हुये अपनी कुर्सी से झटके के साथ खड़ा हो गया और चौंककर तेज आवाज में बोला- क्या.. सच में!! वैरी गुड सर... आपकी इस खुशखबरी ने इस केस में नयी जान फूंक दी है, मैं बस अभी आता हूं!!

अपनी बात कहकर उदय ने फोन काट दिया और बहुत खुश होते हुये बाकि के पुलिस वालों से बोला- फाइनली.. राजवीर को होश आ गया, अब राजवीर का होश में आना इस केस में संजीवनी बूटी का काम करेगा, ये केस फिर से जिंदा हो गया!!

राजवीर के होश में आने की खबर ने नाउम्मीद हो चुके इंस्पेक्टर उदय के पूरे शरीर और तन-मन को नयी ऊर्जा से भर दिया था, अपनी बात कहकर दो जूनियर इंस्पेक्टरों को अपने साथ लेकर उदय हॉस्पिटल के लिये निकल गया|

नयी ऊर्जा से भरा इंस्पेक्टर उदय इस केस के सॉल्व होने की पूरी पूरी उम्मीद अपने दिल में लिये खुशी खुशी हॉस्पिटल पंहुच तो गया लेकिन जब वो वहां पंहुचकर राजवीर के वॉर्ड के पास पंहुचा तो उसने दूर से देखा कि राजवीर के होश में आने के बाद भी राकेश और प्रीती सिंघानिया राजवीर के वॉर्ड के बाहर सिर झुकाये बहुत दुखी दुखी से होकर खड़े हैं, उनके पास पंहुचकर उदय ने बड़े एक्साइटेड से लहजे में राकेश से कहा- Congrats Mr. Singhania and Mrs. Singhania फाइनली राजवीर को होश आ ही गया!!

उदय के इस अंदाज में अपनी बात कहने के बाद राकेश ने बड़े बुझे बुझे लहजे में हल्का सा मुस्कुरा कर उसकी तरफ देखा और बस "हम्म्!!" बोलकर फिर से अपना सिर झुका लिया और सिर झुकाकर वो उदय से बोले- होश तो आ गया है इंस्पेक्टर उदय लेकिन...!!

उदय ने कहा- लेकिन.. लेकिन क्या मिस्टर सिंघानिया??

राकेश ने उदय को जवाब देते हुये कहा- लेकिन ये... कि राजवीर को अपनी पिछली जिंदगी का कुछ याद नहीं है, उसे होश तो आ गया है लेकिन वो ना तो किसी को पहचान रहा है और ना ही कुछ बता पा रहा है, बस एक ही नाम है उसकी जुबान पर... सुहासी!!

क्रमशः