रणविजय कि गाड़ी आई समुद्र किनारे एक
शानदार होटल में यहां सिक्योरिटी बहुत थी , रणविजय और अक्षा वीआईपी गेट से होते हुए एक बैंक्वेट हॉल पर आया यहां भी लोग नहीं थे केवल होटल स्टाफ ही थे हॉल को बहुत अच्छी तरह से सजाया हुआ था वहां एक तरफ सोफे बिछें थे और बीच में डायनिंग मेज़ था , रणविजय अक्षा के
साथ सोफे पर आकर बैठे , अक्षा के चेहरे पर एक्सप्रेशन कुछ खास खुशी कि नहीं थी पर रणविजय बेहद उत्साहित नजर आ रहा था रणविजय ने बात शुरू किया....
"अक्षा इतने दिनों से तुम मिस्टर माणिक मल्होत्रा के साथ हो क्या तुमने जरूरी नहीं समझा मुझे कुछ भी बताने कि , मैंने तुम्हारी हर बात मानी ईमानदारी से , तुमने समय मांगा मैने दिया , घर को छोड़कर तुम हॉस्टल आई फिर हॉस्टल छोड़ कर मेरे पास क्यों नहीं आई ,बताओ मुझे ....
रणविजय के सपाट शब्दों को अक्षा ने महसूस किया कि सच में उसने एक फोन तक नहीं किया , कितना कुछ हुआ उसके बारे में भी नहीं बताया फिर अक्षा सॉरी फेस बनाते हुए बोली " आई एम सॉरी...पर हॉस्टल के छोड़ने का कारण इतना जल्दी हुआ कि मैं कुछ भी शेयर नहीं कर पाई मुझे माफ़ कीजिए और माणिक सर के घर आई हुं तब से मुझे गाने के रिकॉर्ड करने से फुर्सत नहीं मिला इसलिए आपको नहीं बता पाई ,अक्षा ने पलकें झुका लिए बोलकर...
रणविजय अक्षा को ही देख रहा था जब अक्षा चुप हुई तो बोला " मुझे बर्दाश्त नहीं कि मेरी पत्नी किसी गैर के घर रहे ,तुम जितनी जल्दी घर लौट आओ हमारे लिए अच्छा है अब मैं इस रिश्ते के बारे में सोचना चाहता हूं और कॉन्ट्रैक्ट खत्म करना चाहता हूं एटलिस्ट इस रिश्ते को मौका तो दो मेरे पास क्या कमी है जो मैं तुम्हें खुश नहीं रख सकता , पंडित जी ने हमें गठबंधन में बांधकर मुझे जिम्मेदारी दिया है चाहे हम दोनों ने कॉन्ट्रैक्ट किया लेकिन इसमें भी तुम्हारी खुशी शामिल थी तुम्हारे कहने पर कॉन्ट्रैक्ट बना...
अक्षा ने फिर धीरे से बोली " आप इतने दिन मेरी बात मानें है तो मेरी जब तक सभी गानों के रिकॉर्ड होकर प्रमोशन नहीं हो जाते तब तक आप रुके फिर हम शादी के बारे में सोचेंगे अभी हम व्यस्त हैं बहुत..!!
रणविजय ने धीमी धीमी आवाज में म्यूजिक चल रहा था उसे सुनकर बोला अपने हाथ आगे करते हुए " क्या तुम डांस करोगी मेरे साथ ...??
अक्षा शॉक्ड हुई और रणविजय को देखी जो मुस्कुरा रहा था उसके चेहरे पर मुस्कान बहुत ही खूबसूरत लग रही थी , फिर गौर से देखते हुए अपना हाथ देने से मना नहीं कर पाई , रणविजय के चेहरा बेहद आकर्षक था पतले गुलाबी होंठों के ऊपर गुच्छे दार घुंघराले काले मुंछे उसके व्यक्तित्व पर चार चांद लगा रहा था , गाल क्लिन सेप था जिसमें रणविजय का डिम्पल साफ नजर आ रहा था माथे चौड़ी थी जिसमें कुछ छोटे बाल लहरा रहे थे बाल भी सिल्की वा थोड़े घुंघराले थे जो रणविजय पर परफेक्ट था , ऐसे इंसान को कौन लड़की दिल ना देना चाहेगा ,वो काले लिबास में ग्रीक के भगवान लग रहा है ...
रणविजय ने तुरंत ही अक्षा का हाथ पकड़कर डांस करने खड़े हुआ और फ्लोर पर आया अक्षा अभी भी रणविजय में खोई थी ये देखकर रणविजय को अंदर ही अंदर गुदगुदा रहा था और उसे बेहद आनंदित महसूस हो रहा था रणविजय ने भी अक्षा के आंखों से आंखें मिलाई और कदम से कदम मिलाकर डांस करने लगा इस वक्त रणविजय के एक हाथ अक्षा के पतले कमर पर पर था और दूसरा अक्षा के एक हाथ थामे हुए थे ...!!
अक्षा का भी एक हाथ रणविजय के सोल्डर पर थी और दूसरे रणविजय के हाथ के अंदर फंसी थी उसके छुवन कि गर्माहट अक्षा महसूस करने लगी थी आज वो रणविजय के बेहद करीब आई और डांस करते हुए एक-दूसरे के आंखों में देख रहे थे खामोशी थी पर गाने के रोमांटिक बोल दोनों के जज्बात को हवा दे रही थी ...
आज अक्षा बदामी रंग के अनारकली सूट पहनती थी सूट साधारण था पर अक्षा पर फब रही थी बाल हमेशा कि तरह खुले हुए थे जो कमर तक आकर लहरा रहे थे अक्षा कि हाईट रणविजय से दस इंच कम थी क्योंकि रणविजय छह फिट दो इंच के एक लंबे चौड़े इंसान थे ...!!
इधर ...
माणिक मल्होत्रा बहुत गुस्से में ऑफिस चला आया और अपने केबिन में बैठकर अपने सेक्रेटरी से कहा " ये मिस्टर रणविजय रावत कैसा इंसान हैं जरा पता करो जल्दी और मुझे बताओ , फिर वो मन में बुदबुदाया " अक्षा को पहले मुझे बताना चाहिए था वो कौन है उसे ,वो ऐसे हक जमाकर अक्षा को लेकर गया जैसे कुछ रिश्ता हो जो भी हो अक्षा मेरे पास है और मेरे पास ही रहेगी मैं इतनी मजबूर कर दूंगा अक्षा को वो चाहकर भी छोड़ नहीं पाएंगी मेरे घर और मेरे साथ को , मुझे कुछ कॉन्ट्रैक्ट बना लेना चाहिए ताकि अक्षा किसी के बहकावे में आकर ना जा सके ... फिर वो फोन उठाया और अपने लॉयर को कॉल लगाया रिंग गया और कॉल रिसीव हुआ " हेलो मिस्टर बजाज मुझे एक घंटे में मेरे ऑफिस में मिल सकते हो "इज़ अर्जेंट ....
फोन के दूसरे तरफ से बोला " ओके सर मैं आ रहा हुं ....बात खत्म होने के बाद फोन डिस्कनेक्ट हुआ ...!!
होटल में...
रणविजय के साथ डांस करते हुए अक्षा खोई हुई थी फिर अचानक उसके पैरो कि सेंडिल से पैर लड़खड़ा गई तो दोनों होश में आए फिर रणविजय ने अक्षा को खींच कर अपने से सटा लिया और अक्षा को गिरने से बचा लिया ...
अक्षा वापस खड़ी हुई तो रणविजय ने कहा " चलो लंच करते हैं फिर वो दोनों डायनिंग टेबल पर आए तो दूर से वेटरों ने तेजी से आए और मेन्यू दोनों के सामने रखा ...
रणविजय ने कहा" अक्षा तुम ऑर्डर करो क्या खाना चाहोगी ...
अक्षा ने मेन्यू देखा तो समझ नहीं आई और बोली " आपको क्या पसंद है मुझे नहीं पता, इसलिए आप ही ऑर्डर करो ...!!
रणविजय अपने चेयर पर बैठे और दोनों हाथों के उंगलियां को आपस में फंसाये अक्षा को देख रहा था
वो बोला " तुम्हें जो पसंद है वो मैं खा लूंगा हम दोनों आज पहली बार लंच पर मिल रहे हैं तो तुम ऑर्डर करो ...!!
अक्षा ने वेटर को ऑर्डर दिया" उम्म.... शाही पनीर मसाला,एक प्लेट राइस और दाल मखनी एक स्वीट्स और कुल्चे लेकर आओ ,वेटर ऑर्डर लेकर वहां से गया ...
रणविजय ने कहा " अक्षा तुम मेरे घर से भी तो गाने कि रिकॉर्ड करने जा सकती हो ..
अक्षा तुरंत ही बोली " मिस्टर रावत जब मैने हॉस्टल छोड़े तो मैं कहां जाऊं ये समझ नहीं आ रहा था तो मिस्टर माणिक मल्होत्रा ने अपने घर चलने को कहा और मैं गई फिर सक्षम खुराना से प्रोटेक्ट भी किया तो मैं उसे मना नहीं कर पाई आज जब सब ठीक है तो सडनली उस घर को छोड़ना मुश्किल होगी ..!!
रणविजय ने कहा" क्यों मुश्किल है तुम हमारे रिश्ते कि सच्चाई बताओ तो वो क्यों बुरा मानेगा और रही बात एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में सिंगर बनने कि तो मैं तुम्हारी मदद करूंगा अगर तुम्हें किसी के सहारा कि जरूरत है तो मैं अभी तक यही सोच रहा था कि तुमने अपनी मेहनत के दम पर किया है क्या माणिक मल्होत्रा ने तुम्हारे लिए एफर्ट लगाया है..!!
अक्षा ने जवाब दिया " हां भी और नहीं भी क्योंकि ऐ एक लंबी कहानी है फिर कभी बताऊंगी आपको फिलहाल मुझे वहीं रहना है ..!!
रणविजय ने आगे कहा " अक्षा तुम फिर मुझे वक्त मांग रही हो और मेरे पैरेंट्स चाहते हैं कि मैं शादी कर लूं उन लोगों ने भी मेरे लिए लड़की पसंद कर लिया है इसलिए मेरा अब हमारे शादी के बारे में बताना जरूरी सा हो गया है मैं ज्यादा दिनों तक अपने पैरेंट्स को टाल नहीं सकता ...
अक्षा रणविजय कि बात सुन रही थी फिर बोली " अगर आपके पैरेंट्स जिद़ करें तो ....वो बोलते हुए रुक गई रणविजय को वो नाराज़ नहीं करना चाहती थी इसलिए ..
रणविजय ने आंखें सिकोड़ कर पूछा" मेरे पैरेंट्स जिद़ करें तो क्या अक्षा ..?? बोलो
अक्षा ने बड़ी हिम्मत जुटा कर बोली " ज़िद करें तो हम आपस में सुलह करके डिवोर्स ले सकते हैं..
रणविजय के चेहरा सख्त हो गया और बोला " ये कभी नहीं होगा ....तभी
दो वेटर आए ट्रॉली लेकर और खाने के प्लेट और खाना रखा बाउल डायनिंग टेबल पर रख कर चले गए , रणविजय चुप हो गया वो गुस्सा नहीं करना चाहता था पर अक्षा ने उसे गुस्सा करने पर मजबूर किया था ,कुछ देर तक दोनों अपने खाने में ध्यान था और मन में दोनों ने ही बुदबुदाया...
फिर दोनों ने खाना ख़त्म किया और रणविजय ने दो टूक शब्दों में कहा " अक्षा हमारी डिवोर्स नहीं होगी चाहे किसी को पसंद आए या नहीं ... दोनों वापस होटल से निकल कर गाड़ी में आए और सिराज ने ड्राइविंग सीट पर बैठकर ड्राइविंग करने लगे ..
अक्षा ने सिराज से माणिक मल्होत्रा का घर कि एड्रेस दिया और वहीं छोड़ने बोली ..
रणविजय कुछ नहीं कहा गाड़ी में खामोशी थी....
गाड़ी माणिक मल्होत्रा के घर आकर रुकी और अक्षा गाड़ी से बाहर आई उसने रणविजय को देखी तो रणविजय ने उसे नहीं देखा गाड़ी जब तक नहीं गई जब तक कि अक्षा घर के बड़े गेट के अंदर नहीं चली गई ....
अक्षा घर अंदर आई तो श्रीजी अक्षा को देखकर उछल कर पास आई और अक्षा के हाथ पकड़कर अपने कमरे में ले जाने लगी ..
कहानी जारी है....
पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद जो कहानी पर बने हुए हैं कुछ पाठकों को अनुरोध करती हुं कि वो इनबॉक्स पर आकर कहानी के बारे में ना पूछे कमेंट द्धारा कहानी के बारे में पूछे इससे रेटिंग भी बढ़ेगी और उसके सवाल का जवाब भी दिया जाएगा ..!!
जय श्री कृष्णना 🙏