कॉंन्ट्रैक्ट मैरिज - 4 Mini द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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कॉंन्ट्रैक्ट मैरिज - 4

अगले दिन दोपहर -

दोपहर का समय था


पंडित जी का घर ..


"पंडित जी अपने छोटे से गुरुकुल में बच्चों को वीणा को स्वर के साथ बजाने का ज्ञान दे रहा था ...तभी दरवाजे पर गाड़ी आकर रुकी जिसकी आवाज पंडित जी के कान पर पड़ी और कुछ ही मिनट में श्याम बिहारी आकर कहा,"पंडित जी रणविजय रावत आया है...!!

पंडित जी ने अपनी वीणा को बजाना रोककर कहा,"जाओ उसे आदर से बैठाओ ..!!

श्याम बिहारी सिर हिला कर हां कहा और चला गया वहां से..!!

पंडित जी ने बच्चों से कहा ,"बच्चों आप लोग कंटिन्यू कीजिए और जब छुट्टी का समय होगा तो आराम से बिना शोर करें चले जाना और आज का होमवर्क है आप घर पर भी अभ्यास करोगे ठीक है वो बोलकर अपने स्थान से उठा और कमरे से जाने लगा ..!!

रणविजय खिड़की पर खड़ा था और बाहर हरी भरी वादियों को देख रहा था ना जाने क्या शुकून दे रहा था कि नज़र हटा ही नहीं ,उसी समय पंडित जी अपना गला साफ करते हुए हल्का खासे जिससे रणविजय का ध्यान हटा और वो पीछे मुड़कर देखा और अभिवादन किया,"नमस्कार पंडित जी ...!!

पंडित जी ने अपने सोफे पर बैठते हुए कहा,"रणविजय ,आओ बैठो यहां ..!!

रणविजय रावत सोफे पर बैठा जरूर पर थोड़ा आश्चर्य भी था यूं अचानक क्यों बुलाया है ..!!

पंडित जी ने आगे कहा,"रणविजय पहले तो मैं बहुत शुक्र गुजार हुं तुमने दो बार हमारी रक्षा किया है , और ये सभी हमले मेरे इस जमीन पर कब्जा के लिए हो रहा है , मैं यहां एक बड़ी गुरुकुल बनाना चाहता हूं पर मेरी कोशिश शायद रंग लाए इसलिए मैंने अपनी सारी प्रॉपर्टी अपनी पोती के नाम कर दिया है ...

रणविजय बात को सुन रहा था और चौक भी रहा था अचानक ये सब बातें क्यों बताई जा रही है ..!!

पंडित जी बोल ही रहे थे,"मेरे पोती का मेरे सिवा कोई नहीं है , मैंने प्रॉपर्टी उसके नाम किया है तो वो भी अब सेफ नहीं है इसलिए मैं उसका रक्षक चाहता हूं और मैं तुम पर विश्वास कर सकता हूं ..!!

रणविजय रावत ने चौंक कर पूछा,"जी मैं कुछ समझा नहीं आप क्या कहना चाहते हैं..??

पंडित जी ने फिर कहा,"रक्षक का मतलब है तुम मेरी पोती से कॉंन्ट्रैक्ट के तहत शादी कर लो तो ये ज़मीन का आधा हिस्सा तुम्हारा होगा ,मेरी जमीन सरकार ने दिया है तो जमीन के मालिकाना हक मेरी पोती की होगी फिर उसके पति या बच्चे हो सकते हैं .. इसलिए इधर-उधर की बात ना करके मैं अक्षा से शादी करने की बात रखता है...!!

रणविजय ने आश्र्चर्य भाव से कहा ," मैं... आप क्या कह रहे हैं??

पंडित जी ने कहा ," रणविजय मैं बड़ी उम्मीद है तुमसे , मेरे उम्मीद को तोड़ना मत ...!!


रणविजय ने कहा ," लेकिन पंडित जी आपकी पोती , वो क्या चाहती है उससे भी पूछ लो..??


पंडित जी ने कहा," तुम अक्षा की चिंता मत करो मैं उसे मना लूंगा..!!


रणविजय ने कहा " जैसी आपकी इच्छा..!!

"शाम सात बजे

"पंडित जी अक्षा को अपने कमरे में बुलाते हैं और बैठने बोलकर वचन मांगता है की उसकी इच्छा को वो पूरी करे ..!!

अक्षा पंडित जी की तबीयत देखकर कहती हैं ,"हां मैं वचन देती हुं जो आप बोलेंगे मैं वहीं करूंगी , फिर लेकिन वजह क्या है...

पंडित जी ने कहा ,"अक्षा मेरे बाद तुम्हारा इस दुनिया में कोई नहीं मुझे तुम्हारी ही चिंता सताती है इसलिए बेटा अब एक ही ऑप्शन है हमारे पास शादी का, तुम रणविजय से शादी कर लो...

अक्षा चौक जाती है फिर बोलती है ," नहीं दादू मै शादी नहीं करना चाहती मैं बड़ा सिंगर बनना चाहती हुं , आपकी तरह वीणा में मास्टर बनना चाहती हुं, और मेरा सलेक्शन मुंबई में संगीत युनिवर्सिटी में सलेक्शन हो गया है वो भी आपके नाम की वजह से मुझे फ्री एडमिशन मिल रहा है तो मैं ये सब छोड़ कर शादी के बंधन में नहीं बंधना चाहती हुं ..!!


पंडित जी ने कहा ," अक्षा , मैं सब जानता हूं तुम्हारे लिए सही होगा इसलिए मैं जल्द से जल्द तुम्हारी शादी रणविजय से कराना चाहता हूं और तुम रणविजय के साथ शादी करके मुंबई में ही रहोगी तो और अच्छी बात है ..!!


अक्षा कहती हैं,"दादू वो कैसा आदमी है ये आप नहीं जानते और मैं भी नहीं जानती तो फैसला जल्दबाजी में मत करो ..

पंडित जी ने कहा,"अक्षा बेटा , कल मेरी एक्सिडेंट होने से बाल बाल बचा हुं इसलिए अब विश्वास नहीं हो रहा की कब क्या हो जाए ,इसी कारण मैंने फैसला ले लिया है कल तुम दोनों की दिन के बारह बजे ही मंदिर में रणविजय से शादी कर दूं ..!!

अक्षा गुस्सा करते वहां से निकल गई पता है दादू के ज़िद के सामने उसकी नहीं चलेगी वो अपने टैरिस पर चले गई तो एक आदमी भी टहलते हुए फोन पर बात कर रहा था फिर उसने पीछे मुड़ा तो अक्षा समाने थी उसने फोन में कहा ,"मैं बाद में बात करता हूं ...!!

अक्षा आगे बढ़ी और बोली ,"तुम कौन हो और यहां क्या कर रहे हो..??

रणविजय ने कहा,", मैं रणविजय हुं ,करने के लिए कुछ भी नहीं था तो ऊपर टैरिस पर आ गया ,तुम अक्षा हो ना..??

अक्षा ने कहा,"सही पहचाना , क्या पट्टी पढ़ा दिया आपने की दादू मेरी शादी अनजान शख्स से कराने पर तुल गए ..!!

रणविजय ने कहा,"पट्टी कैसी पट्टी मैं तो खुद हैरान हुं पंडित जी के फैसले से ,और वो अपनी जिम्मेदारी को कम करना चाहते हैं तो क्या बुरा है .....

कहानी जारी है....

कृपया पाठकों से अनुरोध है कहानी पसंद आ रह है तो कमेंट्स करें और रेटिंग कीजिए
धन्यवाद

जय श्री कृष्णना 🙏