द सिक्स्थ सेंस... - 6 रितेश एम. भटनागर... शब्दकार द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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द सिक्स्थ सेंस... - 6

जब हर जगह पूछताछ करने के बाद भी इंस्पेक्टर उदय के हाथ सिर्फ इतनी ही जानकारी लगी कि "राजवीर किसी लड़की से शादी करने वाला था और उसके बारे में वो किसी को भी नहीं बताता था और शायद वो लड़की सुहासी ही थी और शायद इसीलिये उसने कोमा में होने के बाद भी सिर्फ उसी का नाम बोलने की कोशिश करी थी..!!" तो ये केस रफ्तार पकड़ते पकड़ते फिर से ढीला पड़ गया था, अब इंस्पेक्टर उदय के सामने सबसे बड़ा सवाल ये था कि इतने बड़े शहर दिल्ली में सुहासी को कहां ढूंढा जाये..!!

जहां एक तरफ पुलिस को सुहासी के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल रही थी वहीं दूसरी तरफ राजवीर को भी होश नहीं आ रहा था, जहां एक तरफ इंस्पेक्टर उदय का मन इस केस के किसी भी तरह से आगे ना बढ़ पाने के कारण उदास था वहीं दूसरी तरफ राकेश सिंघानिया के लिये ये केस अब उनकी प्रतिष्ठा का प्रश्न बनता जा रहा था इसलिये उन्होंने अपने रसूख का फायदा उठाते हुये इस केस को लेकर कुछ नेताओं से बात करी जो अक्सर उनकी पार्टियों में आया करते थे और जिनके संबंध राकेश से बहुत अच्छे थे, उन नेताओं के जरिये राकेश सिंघानिया की बात ग्रह मंत्रालय के कुछ अधिकारियों से हुयी और ग्रह मंत्रालय के उन अधिकारियों की मदद से उनकी बात भारतीय विदेश मंत्रालय के कुछ अधिकारियों से करायी गयी, इसके बाद इंस्पेक्टर उदय और राकेश सिंघानिया दोनों ने अपनी अपनी जानकारियां विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के साथ साझा करीं तो ये तय हुआ कि यूएसए के भारतीय दूतावास के अधिकारियों से संपर्क करके उस कॉलेज से सुहासी के बारे में पूछताछ करी जायेगी जहां राजवीर ने ग्रेजुएशन और एमबीए की पढ़ाई करी थी, शायद वहां से ही सुहासी के बारे में कुछ पता चल जाये..!!

राकेश सिंघानिया के रसूख और इंस्पेक्टर उदय की ऑफीशियल और लिखित रिपोर्ट के आधार पर भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने अपनी एक रिपोर्ट बनाकर यूएसए के भारतीय दूतावास को भेज दी थी और वहां के भारतीय दूतावास ने सारी जानकारियां जुटाने के लिये भारत के विदेश मंत्रालय से एक हफ्ते का समय मांगा था क्योंकि बिना अमेरिकी विदेश मंत्रालय के ऑर्डर के अमेरिका का कोई भी कॉलेज अपने किसी भी स्टूडेंट का कोई भी डाटा नहीं देने वाला था और इस पूरी प्रक्रिया में थोड़ा समय तो लगना ही था |

इधर राजवीर को कोमा में गये लगभग पांच महीने का समय होने वाला था लेकिन उसे अभी तक होश नहीं आया था लेकिन हां पॉजिटिव बात ये थी कि अपने होंठों के साथ साथ अब वो अपनी भौंहे सिकोड़ने लगा था और बंद आंखो में ही अपनी पलकें झपकने की कोशिश करने लगा था, कभी कभी जब वो अपनी भौंहे सिकोड़ता था तो ऐसा लगता था मानो अंदर ही अंदर वो किसी से लड़ाई लड़ रहा हो या उठने की कोशिश कर रहा हो पर उठ ना पा रहा हो..!!

धीरे धीरे करके एक हफ्ता बीत चुका था और अमेरिका में स्थित भारतीय दूतावास से भारत के विदेश मंत्रालय में सुहासी की जानकारी से जुड़ी एक रिपोर्ट भी आ चुकी थी जिसे पढ़ने के बाद इंस्पेक्टर उदय की राजवीर केस के सॉल्व होने की टूट चुकी उम्मीदें फिर से जाग गयी थीं, उस रिपोर्ट में लिखा था कि "सुहासी वर्धन नाम की लड़की राजवीर सिंघानिया की बैचमेट थी जिसने अपना एमबीए पूरा करने के बाद अमेरिका की ही एक कंपनी में एचआर के पद पर जॉब ज्वाइन कर ली थी, उसके पिता अशोक वर्धन और मां मधु वर्धन मुंबई में रहते हैं" और इस रिपोर्ट के साथ सुहासी के ऑफिस का और मुंबई के घर का एड्रेस भी था और इन दोनों जगहों के एड्रेस के साथ एक और चीज थी जो इंस्पेक्टर उदय के लिये सबसे बड़ी राहत की बात थी और वो थी... सुहासी का मोबाइल नंबर..!!

इस रिपोर्ट के आने के बाद लगभग बंद हो चुके इस केस में फिर से नयी उम्मीद जाग गयी थी लेकन सुहासी का मोबाइल नंबर मिलने के तुरंत बाद इंस्पेक्टर उदय ने बिना देर किये जब उसके नंबर पर कॉल किया तो उसका फोन "Not Working" आ रहा था...!!

क्रमशः