उस बहुमंजिला इमारत में बहुत सी कम्पनियों के ऑफिस थे। मंदी आयी तो धीरे -धीरे करीब सारी कम्पनियों के ऑफिस बंद हो गए । एक्स और वाई दोनों अलग -अलग ऑफिसों में काम किया करते थे।
उनकी पुरानी दोस्ती थी और यह भी इत्तफाक ही था कि एक ही बिल्डिंग में उनका आफिस भी था । दोनों नौकरियाफ्ता था । मंदी में उनकी नौकरी चली गयी थी ।वो दोनों जिस बिल्डिंग के आफिस में नौकरी करते थे उसी बिल्डिंग के आफिस में एक डिपार्टमेंटल स्टोर भी था। जिसमें रोजमर्रा की जरूरतों के अलावा खाने -पीने का भी सामान मिलता था।
उसी बिल्डिंग में जेड वाचमैन था।जो विगत कई वर्षों से उन्हें सलाम किया करता था । अपने अच्छे दिनों में एक्स और वाई उसे चाय,सिगरेट आदि भी पूछ लिया करते थे।
लेकिन मंदी ने सारे खेल बदल दिए और किसी को भी कहीं का नहीं छोड़ा। घर चलाने में जब एक्स और वाई के पसीने छूट गए तो उन दोनों ने चोरी का फैसला किया ।
उन्होंने पहले रेकी की फिर तजबीज की और जब मुतमईन हो गए कि जेड इस वक्त अफीम वाली सिगरेट पीकर नशे में करीब -करीब नीम बेहोशी की हालत में होगा । तो उन्होंने खुद के हालात पर शर्मिंदा होने के बावजूद चोरी को अंजाम दिया।
चोरी करके वो बिल्डिंग के सबसे महफ़ूज दरवाजे से निकलने ही वाले थे। जिसे उस बिल्डिंग का गालिबन “चोर दरवाजा” दरवाजा भी कहा जाता था।
वो दोनों चोरी किये हुए सामानों से लदे -फंदे थे तभी अचानक उनके सामने जेड अचानक आ खड़ा हुआ ।
सभी ने एक -दूसरे को हैरत से देखा । सबको अपने -अपने किरदार याद आये और अब सबकी कहानी एक दूसरे के सामने थी।
जेड की हैरानी देखकर एक्स ने कहा –“हम मजबूर थे और कोई रास्ता नहीं बचा था ।”
वाई ने कहा –“हमें ये सामान ले जाने दो ,हमें पता है तुम्हारी भी हालत बहुत टाइट है । कई महीनों से तुमको भी सेलरी नहीं मिली है और आगे सेलरी मिलेगी भी नहीं । तुम्हें नौकरी से जवाब इसलिये नहीं दिया गया क्योंकि तुम सेलरी मांग ही नहीं रहे हो । या फिर ये भी बात हो सकती है कि तुम्हे कहीं और नौकरी मिल न रही हो । इसलिये यहां टाइम काट रहे हो ।हमें भी तुम्हारी परेशानियों के बारे में मालूम है ।”
जेड ने अनिश्चितता के स्वर में कहा –“ तो उससे क्या ?”
एक्स ने कहा –“तो उससे ये कि ये चोरी हमारी मजबूरी है और तुम भी हमारी तरह मजबूर ही हुए । अब हम तीनों मजबूर ही हुए । हम ये घरेलू जरूरत का सामान तीन हिस्सों में बांटेंगे। दो हिस्सा हम दो लोगों के घर जाएगा और तीसरा हिस्सा तुम्हारे घर पहुंचा देंगे। हमें पता है तुम हमसे ज्यादा जरूरतमंद हो । इसलिये हमें जाने दो । यह कहकर एक्स ने उसके चेहरे पर नजरें गड़ा दीं।”
बड़ी देर तक एक्स और वाई जेड के चेहरे को देखते रहे। वो उसके मनोभावों को ताड़ने की कोशिश करते रहे ।
उन तीनों के चेहरे पर कई भाव आये -गए लेकिन कोई किसी के मन की बात पढ़ न सका।
अंत में एक्स और वाई समझ गए कि वैसा नहीं होगा जैसा होने की वो उम्मीद कर रहे हैं ।हालांकि जेड ने न तो कुछ कहा था और न ही करने की कोशिश की थी।
हारकर एक्स ने कहा –
“ठीक है । हम सामान रख देते हैं । जब तुम हमारी बातें नहीं मान रहे हो तो अब वही होगा जो तुम चाहोगे ।”
वाई ने कहा –“तुमने हमारी बात नहीं मानी । हमने चोरी की और पकड़े गए। अब हम सामान छोड़ कर जा रहे हैं । अब तुम जो चाहो वो करो। हम जा रहे हैं खाली हाथ। लेकिन चोरी तो हमने की ही और पकड़े भी गए अब तुम चाहो तो पब्लिक को बुला सकते हो और फिर हमें पुलिस के हवाले कर सकते हो।”
थोड़ी देर तक सन्नाटा रहा कोई कुछ न बोला ।तीनों एक दूसरे के मनोभावों को जानने की कोशिश करने लगे ।
जेड ने जब कुछ नहीं किया तो एक्स और वाई ने उस चोर दरवाजे की तरफ चलने को कदम बढ़ाया तो जेड बोल पड़ा-“रुकिये साहब, मेरे रहते आपने चोरी की है ।भले ही आपने सामान छोड़ दिया लेकिन यूँ चोरी करके आप मेरे सामने से चले गए तो जन्म भर मेरी आत्मा मुझे फटकारेगी। अपनी ही नजरों में गिर जाऊंगा ।ऐसे नहीं जा सकते आप लोग मेरे सामने से ।”
“तो अब क्या ” एक साथ एक्स और वाई ने पूछा ?
जेड ने लम्बी सांस लेते हुए कहा –
“मैं आप लोगों से मुंह फेर लेता हूँ । मानों मैंने कभी आप लोगों को देखा ही नहीं। आप चले जायेंगे तो सामान मैं उठा कर स्टोर में वापिस रख दूंगा। समझ लीजिये कि आज यहां कुछ हुआ ही नहीं और हम लोगों ने एक -दूसरे को मानो देखा ही नहीं ”यह कहते हुए जेड ने नजरें फिरा ली।
एक्स और वाई चोर दरवाजे से बाहर निकल आये
उन्होंने पलट कर नहीं देखा लेकिन वो जानते थे कि जो आज उन्होंने देखा है वो जीवन भर नहीं भूलेंगे।