The Author Chandan Kumar Rajput फॉलो Current Read अधूरी कहानी - 2 By Chandan Kumar Rajput हिंदी प्रेम कथाएँ Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books अधूरा प्यार - भाग 2 तभी प्रिया ने उस एड के लिंक पर जिज्ञासावश किल्क किया।जो की उ... दोस्त दर-बदर भटकते हुए मंगरू अब हिम्मत हार चुका था ,उसके हाथ में... कुछ पल अनजाने से - भाग 3 पूरा एक दिन बीत गया था। तथ्या और अमन दोनों ने एक दूसरे से बि... Dont Look Behind the Mirror - Part 1 ---कहानी - गाँव नहीं, भूतों का भंडारमैं हूँ रोहन शेखर, मैं 1... Ashvdhaama: एक युग पुरुष - 4 . दिल्ली के ऊपर हल्की बारिश की बूंदें गिर रही थीं. सडकों पर... श्रेणी लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी उपन्यास Chandan Kumar Rajput द्वारा हिंदी प्रेम कथाएँ कुल प्रकरण : 3 शेयर करे अधूरी कहानी - 2 (615) 2.2k 4.3k बात नहीं करता सबसे दूर चार साल बीते जेन के बाद चंदू एक लड़की को जानता था उसका नाम वंदना था चंदू सहर में था उसने सोचा एक ना एक दिन सादी karna पड़ेगी तो क्यू ना जो हुआ उसे भूल कर वन्दना से सादी कर लू लेकिन उसको ये नहीं पता था कि वन्दना के दिल में क्या है।चंदू अब सहर से घर वापस आ गया था कि वंदना से एक बार बात करके देख ता हूं कुछ दिन बाद बड़ी मुश्किल से एक दिन वन्दना से किसी ने कहा चंदू आपसे बात करना चाहता है वन्दना ने कहा हमको किसी से बात नहीं करनी है सयाद वन्दना किसी ओर को चाहने लगी अब तक चंदू ने वन्दना से बात नहीं की थी अब तक चंदू को ये नहीं पता था कि क्या वंदना सच मैं नहीं चाहती है चंदू को अभी भी चंदू का दिल नहीं मान रहा था उसे यहीं लगता था ऐसा नहीं है वंदना भी उसे प्यार करती है लेकिन अब वो क्या कर सकता था डिप्रेशन में जाने लगा ओर्र धूमपान करने लगा अब चंदू रोज़ सिगरेट दारू पीने लगा. उसका अब ये नियम हो गया था जब भी चंदू अनु के बारे में सोचता तो अकेले में बैठकर रोता यही सोचता की कास अनु आज उसके पास होती तो मैं ऐसा नहीं होता जिसे अब मैं हो गया हू लम्बे बाल बड़ी दाढ़ी कभी ऐसे भी दिन थे चंदू को धूम्रपान से नफ़रत हुआ करती थी अब वही लड़का इसी का आदी हो गया था अनु उसकी प्रेरणा थी जब से अनु गई तब से यहीं लगता है कि उसका अब कुछ नहीं रहा अब यह जिंदगी मौत लगने लगी थी अब चंदू यही सोचता अगर वंदना उसकी जिंदगी में आ जाती तो सब ठीक हो सकता था लेकिन ये बहुत मुश्किल लग रहा था चंदू जिंदगी भर यहीं सोचता रहा अगर दोस्त लोग सयाद मदद करेंगे लेकिन किसी ने साथ नहीं दिया अब वो जान चूका था किसी के ऊपर भरोसा नहीं करना चाहिए था चंदू के साथ वही हुआ वो कहते हैं कि दूसरों को खुश रखते रखते खुद को खुश रखना भुल गया अब कर क्या सकता था इसलिए अब वो किसी से बात नहीं करता था अब चंदू यही इंतज़ार में था कि एक बार वंदना उससे बात कर ले चंदू ये नहीं चाहता था कि उसकी खुशी के चक्कर में वंदना का दिल टूटे ना वह किसी को दुख देना चाहता था इसलिए उसने कहा कि वंदना से एक बार बोल दो कि चंदू आपसे एक बार बात करना चाहता है अभी तक उसको ये नहीं। पता चला कि उसने वंदना से ये बात बोली होगी या नहीं अगर बोली होगी तो वंदना ने अभी तक बात क्यों नहीं कि चंदू यही सोचता रहता था एक बार वंदना बात कर ले वो अपने दिल की बात बोलना चाहता था चंदू को अब किसी के ऊपर भरोसा नहीं था लेकिन वो इंतजार कर रहा था कि वंदना बात कर ले अब चंदू के प्यार के बारे में चंदू के घर वालो पता चल गई (कहानी अभी जारी है).. ‹ पिछला प्रकरणअधूरी कहानी - 1 › अगला प्रकरण अधूरी कहानी - 3 Download Our App