जिंदगी के रंग हजार - 10 Kishanlal Sharma द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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जिंदगी के रंग हजार - 10

प्रवृत्ति
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"राशन मिला का
जयपुर गया हुआ था।वहाँ हर चीज महंगी है।सब्जी भी।हमारे यहाँ जो सब्जी सीजन में 10 या 20 रु किलो तक मिल जाती है।वो सब्जी वहा दुकान पर 40 रु किलो से कम नही मिलती।
वहा पर सप्ताह में एक दिन हाट लगती है यानी बाजार।इसमें सब्जी,किराना,कपड़े,फल सभी चीजों की दुकानें लगती है।भेल पूड़ी,पानी पूड़ी, समोसे जलेबी खान पान के भी ठेले लगते है।सब्जी बहुत सस्ती मिलती है।और भी सामान।बहुत भीड़ होती है।लोग एक हफ्तेइकि सब्जी खरीद कर लजाते है।मैं भी सब्जी लेने गया था।मंडी के बाहर एक बंद
दुकान के चबूतरे पर बैठा था।
एक औरत मंडी के अंदर से सब्जी के थैले लेकर आई।अपनी स्कूटी पर लटका रही थी।तभी दूसरी औरत स्कूटी से आई थी।उससे पहली औरत ने पूछा था
"अभी तो नही मिला।"दूसरी औरत बोली थी
"आज तक का ही आटा है।बाजार से खरीदना पड़ेगा
दोनों औरते सरकारी कर्मचारी थी।अच्छा वेतन पाती थी।उसे सरकार से मिलने वाले फ्री के राशन की कोई जरूरत नही थी।लेकिन सरकारी नौकरी में होते हुए भी वह गरीबो को मिलने वाला फ्री का राशन ले रही थी।
ये अकेला उद्धरण नही है।ऐसे लोगो की बहुत संख्या है जो सपन्न है, दो या चार पहिये की गाड़ी रखते हैं और फ्री का राशन नही छोड़ रहे
हमारे यहाँ फ्री में राशन में चावल भी मिलते हैं।आदमी कितने चावल खाये।सुबह होते ही रेहड़ी वाले आ जाते हैं
चावल बेच लो
फ्री में राशन मे मिलने वाले चावल 15 रु किलो में बिकते हैं
यह हम लोगो की प्रवरटी है
2-औरते भी पीछे नही
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भ्र्ष्टाचार एक बीमारी है या दूसरे शब्दों में एक समस्या है।ऑनलाइन सब चीजें हो रही है।इससे भ्र्ष्टाचार में कमी जरूर आयी है लेकिन खत्म नही हुआ है।हर क्षेत्र में लोग पकड़े जा रहे हे ऊपर से लेकर निचे तक।आये दिन लोग खूब पकड़े जा रहे है लेकिन फिर भी लोग निडर है।समाज के हर क्षेत्र में यह बीमारी घुसी हुई है
जमीन से समन्धित मामले तहसील में चलते है।एक किस्सा जो मेरे एक परिचित के साथ हुआ।उनका जमीन का विवाद तहसील में चल रहा है।किसी से उन्होंने जमीन ली थी।जिसकी रजिस्ट्री भी हो चुकी है।तीसरी पार्टी ने तहसील मे केस कर दिया था।केस नई आयी नायाब तहसीलदार के पास था जो अभी सर्विसेजमें आई थी।
तहसील में पता चला कि नायाब तहसीलदार जो महिला है खूब रिश्वत ले रही है।उन्होंने सोचा बार बार आना पड़ता है।परेशानी होती है।क्यो न कुछ ले देकर मामला निपटा ले।मालूम करने पर पता चला कि मेडम खुद पैसा नही लेती।एक आदमी है जिसके जरिये उगाई करती है।परिचित ने कहा कि वह मेडम से सीधे बात करेंगे।नयाब तहसीदार मेडम
सीधे बात करना नही चाहती थी।लेकिन आखिर में तैयार हो गयी।
आजकल मोबाइल का जमाना है।बातचीत या वीडियो बनाया जा सकता है।यह पक्का प्रूफ है।और मेडम इस बात से अनभिज्ञ नही थी।इसलिए वह सावधान भी थी।बात का सिलसिला शुरू हुआ।परिचित ने काम बताया।मेडम ने पूरी बात सुनकर
कागज पर लिखा 50000
वह मुह से ओली नही।
परिचित बोला
यह ज्यादा है।इतने नही दे पाऊंगा।तब मेडम कुछ देर तक सोचती रही।फिर उसने कागज के ऊपर 50000 हजार को काट कर उसकी जगह लिख दिया 20000
परिचित बोला
नही।मैं केवल 5000 हजार ही दूँगा और वह चला आया।
उसका कहना है, मेडम 5000 मे ही कर देगी