मानव भेड़ियाँ और रोहिणी - 7 (अंतिम भाग) Sonali Rawat द्वारा आध्यात्मिक कथा में हिंदी पीडीएफ

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मानव भेड़ियाँ और रोहिणी - 7 (अंतिम भाग)


आकाश ने रोहिणी को समझाया कि मैं भी यही चाहता हूँ, परंतु हमें एक श्राप मिला हुआ है, पूर्णिमा की रात को 12 बजे से लेकर 3 बजे तक हमें भेड़ियाँ का रूप अपने आप ही लेना पड़ता है इसको हम रोक नहीं सकते हैं । तुम ऐसा कर सकती हो कि 12 बजने से कुछ देर पहले ही मुझे एक रूम में बंद कर देना 3 बजे के बाद खोल देना ।

रोहिणी ने कुछ देर सोचा और कहा कि हां ये तो हो सकता है पर पहले तुम एक वचन दो की अगर तुमने किसी मनुष्य को मारा या खाया तो तुम्हें उसका प्रायश्चित करना होगा ।

आकाश ने पूछा कैसा प्रायश्चित ?

रोहिणी बोली कि फिर तुम अपने हाथों से मुझे मार डालोगे और मुझे कभी वापस लाने की कोशिश भी नहीं करोगे ।

आकाश कुछ पल के लिए सहम सा गया और उसने रोहिणी को वचन दे दिया ये जानते हुए की उस पर जो श्राप हैं वो उससे बच नहीं सकता और एक छोटी सी भूल उसे रोहिणी का हत्यारा बना देगी ।

कुछ देर बाद आकाश में धीरे धीरे परिवर्तन शुरू हो गए उसके शरीर पर बाल आने लग गए, उसने रोहिणी को कहा कि मुझे तुरंत कमरे में बंद कर दो, रोहिणी समझ गई की आज तो पूर्णिमा की रात है और 12 बजने में कुछ मिनट शेष है, उसने तुरंत ही आकाश को एक कमरे में बंद कर दिया ।

कुछ ही देर में, दरवाजे की घंटी बजती हैं, रोहिणी सोचती हैं कि रात के 12 बजे कौन हो सकता हैं ,

वो दरवाजा खोलती हैं तो देखती हैं कि वही उस दिन वाले आवारा लड़के हैं । वो रोहिणी को धक्का देते हुए घर में घुस जाते हैं, और कहते हैं कि तुम अपने आप को बहुत खूबसूरत समझती हो ना पर अब तुम खूबसूरत नहीं रहोगी और उसको जमीन पर पटक कर बालो से घसीटते है,

लातों से वार करने लगते हैं।

रोहिणी मदद के लिए चिल्लाने लगती हैं, आकाश कमरे में ये सब सुन रहा होता हैं और गुस्से में और भी खूंखार हो चुका होता हैं, वो बाहर आना चाहता हैं पर रोहिणी को दिया वचन उसको रोक रहा हैं ।

बहुत रोकने के बाद भी वो खुद को रोक नहीं पाता और दरवाजा तोड़कर बाहर आ जाता हैं, रोहिणी लहूलुहान फर्श पर पड़ी हुई हैं, आकाश रोहिणी के सामने जाकर हाथ जोड़कर उससे अपने वचन को वापस लेने की विनती करता हैं, परंतु तब तक रोहिणी बेहोशी में अपनी आंखें बंद कर चुकी होती हैं।

रोहिणी कि आंखें बंद देख आकाश बहुत ही भयंकर तरह से गर्जना करता हैं और उन लड़कों पर टूट पड़ता हैं । और थोड़ी ही देर में वो सबको टुकड़े टुकड़े करके मार डालता हैं ।

अब उसे लगता हैं कि उसने रोहिणी को दिया वचन तोड़ दिया हैं अब उसको प्रायश्चित करना होगा, लेकिन वो अभी रोहिणी के पास नहीं जाना चाहता हैं, क्योंकि वो भेड़ियाँ मानव के रूप में हैं और यह रूप रोहिणी को भी नुकसान पहुँचा सकता है, लेकिन तब तक रोहिणी होश में आ जाती हैं, वह आकाश को समझाती हैं , पर आकाश को रोहिणी का वचन तोड़ने का बहुत गहरा आघात लग चुका था, उसे लगता हैं कि वो रोहिणी को दिए वचन को निभा नहीं पाया उसने अपने प्यार का भरोसा तोड़ दिया हैं, रोहिणी उसे समझाने का प्रयास करती हैं वो कहती हैं कि इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं हैं वो कुछ नहीं समझता जोर जोर से रोने लगता हैं और प्रायश्चित करने के लिए अपने ही हाथों से रोहिणी को मार डालता हैं ।

और फिर बहुत ही भयंकर रूप से चांद को देखकर रोने लगता है उसकी आवाज सुनकर सभी जानवर रोने लगते हैं पूरा शहर उसकी गर्जना से थर्राने लगता हैं और फिर वो कही दूर जंगल में चला जाता हैं और फिर कभी किसी को नज़र नहीं आता हैं ।

कहते हैं कि वो अभी भी रोहिणी की यादों में भटक रहा हैं और अब भी खुद को ही दोषी मानता हैं। पूर्णिमा की रात को वो खुद को कैद कर लेता हैं । अब उसने मनुष्य का भक्षण छोड़ दिया हैं।

और इतनी कहानी सुनाने के बाद वह व्यक्ति रुक जाता है, चांद की और देखता हैं और कहता है कि रात बहुत हो चुकी हैं, शायद मेरे साथी मुझे ढूंढ रहे होंगे मुझे चलना होगा ।

फिर मैंने घड़ी की ओर देखा, 12 बजने में कुछ ही मिनट बाकी थे आधी रात होने वाली थी, इसलिए मैंने उससे कहा हमारे साथ यहीं रुक जाओ सुबह चले जाना ।

वो हमें देखकर मुसकुराया और अपनी हरी होती हुई आंखों से हमारी ओर देखते देखते जोरदार छलांग लगाकर वहाँ से गायब हो गया।

और उसके इस तरह जाते ही मेरे दिमाग में केवल एक ही शब्द याद आता है मानव-भेड़िया (वेयर वुल्फ )।

उस जगह पर बहुत सी ऐसी ही मानव-भेड़िये को देखे जाने वाली घटनाये हुई हैं ।

और सच बताऊँ तो अब मैं उस जगह पर कभी नहीं जाना चाहता हूँ।



समाप्त...!