मानव भेड़ियाँ और रोहिणी - 6 Sonali Rawat द्वारा आध्यात्मिक कथा में हिंदी पीडीएफ

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मानव भेड़ियाँ और रोहिणी - 6



उधर आकाश के माता पिता को भी अपने किये पर पछतावा हो रहा था कि उन्होंने अपने बेटे को खो दिया । इसलिए उन्होंने पूर्णिमा की रात का इन्तेजार किया इस दिन भेडियो की शक्तियाँ बहुत अधिक बढ़ जाती हैं और कुछ रूहानी शक्ति भी उन्हें मिलती हैं, इसी का फायदा उठाकर उन्होंने अपने बेटे आकाश को फिर से जीवित कर दिया ।

आकाश जीवित तो हुआ परंतु रोहिणी को अभी भी नहीं भुला पा रहा था । एक दिन उसने अपनी शक्ति का प्रयोग करके देखा कि रोहिणी कहाँ पर हैं, तो उसे पता चला कि वो एक नए शहर में हैं और फिलहाल एक नौकर की तलाश में हैं ।

आकाश ने अपना वेश बदला और रोहिणी के घर नौकर का काम करने के लिए उसके घर गया, उसकी माँ ने उसे अपने यहाँ नौकरी दे दी ।

क्योंकि उसने वेश बदला हुआ था तो रोहिणी उसको पहचान नहीं पाई ।

अब आकाश रोज रोहिणी को देखा करता और उसके प्यार को महसूस करता परंतु कुछ कह नहीं पाता, रोहिणी की माँ सुबह ही अपने ऑफिस चली जाती और शाम को घर वापस आती । तब तक रोहिणी अकेली रहती ।

एक दिन पड़ोस के आवारा लड़के रोहिणी के घर में घुस गए और लगे उसको छेड़ने, आकाश से ये सहन नहीं हुआ और अपने असली रूप में आकर सबको उठाकर बाहर फेंक दिया । रोहिणी ने तुरंत आकाश को पहचान लिया और डरती डरती बोली कि तुम तो मर चुके थे फिर यहाँ कैसे ?

आकाश ने उसको सारी बात बता दी । और बोला कि अब मुझे यहाँ से जाने के लिए मत कहना, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं, मैं बस तुम्हारे पास रहना चाहता हूँ, तुम्हारे बिना नहीं रहा जाता हैं, मैं तुम्हें तंग नहीं करूँगा, मुझे यही रहने दो, रोज तुम्हें देख लूँगा तो दिल को तसल्ली मिलती रहेगी ।

रोहिणी उसकी बातों से पिघल गई क्योंकि अंदर ही अंदर प्यार तो वो भी बहुत करती थी उसको पर उसका वो भेड़ियाँ वाला रूप उससे डरती थी और बोली ठीक हैं, तुम यहाँ रह सकते हो ।

ऐसे दिन बीतते गए, आकाश घर का सारा काम करता रहता और रोहिणी को प्यार भरी नजरों से देखता रहता पर कुछ कहता नहीं ।

रोहिणी को भी उसके होने से सुरक्षा का भाव महसूस होता । एक दिन उसकी माँ ने बताया कि ऑफिस के काम से मैं कल 3, 4 दिन के लिए बाहर जा रही हूं पर क्या करूँ तेरी चिंता सता रही इस तरह तुझे अकेली छोड़ कर कैसे जाऊँ ।

रोहिणी बोली माँ घबराओ नहीं मेरी सुरक्षा के लिए हमारा ये नौकर हैं ना, मैंने तुम्हें बताया नहीं एक दिन कुछ आवारा लड़के घर में घुस आए थे तब इसने ही उनको बाहर उठाकर फेंका था और मेरी जान बचाई थी ।

ठीक है बेटी अब में निश्चिंत होकर जा सकती हूं, माँ बोली ।

अगले दिन माँ ऑफिस के काम से दूसरे शहर चली गई ।

रोहिणी काफी दिन से आकाश से कुछ बात करना चाहती थी, रात में उसने आकाश को बुलाया और बोली कि आकाश प्यार तो मैं भी तुमसे बहुत करती हूँ मैं तुमसे शादी भी करना चाहती हूँ लेकिन अगर तुम ये भेड़ियाँ का रूप धारण करना छोड़ दो तो और हमेशा के लिए मनुष्य रूप में ही रहो तभी ।