तुर्कलिश - 3 Makvana Bhavek द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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तुर्कलिश - 3

 

हजाल के अचानक गायब हो जाने से मैं उदास था और मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसे अपनी कविताएँ मिल गई, तो उसने मुझे छोड़ देने का फैसला कर लिया? 

 

मुझे लगा, जैसे मेरा इस्तेमाल किया गया है। हताशा में मैंने अपने सेल फोन के लिए एक इंटरनेशनल कॉलिंग पैक खरीदा। मैंने उस नंबर पर उसे फोन किया, जो उसने मुझे दिया था, लेकिन वह नंबर स्विच ऑफ था। 

 

पूरे दिन मैं फेसबुक पर अपनी चैट को सैकड़ों बार पढ़ता रहा। मैं जिसे एक लव स्टोरी समझ रहा था, वह इंटरनेट पर मूर्ख बनाए जाने का एक शानदार मामला निकला।

 

वह जो कोई भी होगी अपनी चाल को इतनी अच्छी तरह चलकर बेहद खुश होगी। उसे काफी मजा आया होगा कि उसने न केवल मुझसे कविताएँ लिखवाई, जिन्हें वह दूसरों को दिखाएगी, बल्कि यह भी सोच रही होगी कि मेरे हाथों से लिखी कविताओं को उसने इतनी दूर टर्की तक मँगवा लिया, जिसके लिए मैंने कितना कष्ट उठाया था!

 

बार-बार मैं खुद से यही पूछता था कि आखिर उसने ऐसा क्यों किया? उसने मेरे साथ जैसा सलूक किया था, उस पर अपना गुस्सा जाहिर करते हुए मैंने उसे एक मेल भेजा। 

 

एक हफ्ते से ज्यादा हो गया, लेकिन उसका जवाब नहीं आया। गौरव हर दिन मुझसे हजाल के बारे में पूछता था और यह जानना चाहता था कि उसे कविताएँ मिलीं या नहीं। 

 

हजाल को लेकर निराशा जैसे कम नहीं थी कि मेरे माता-पिता ने हर दिन फोन पर पूछना शुरू कर दिया कि मेन्स का रिजल्ट कब आएगा?

 

मुझे समझ नहीं आ रहा था कि इंटरनेट पर मैं जो बेवकूफ बना था, उसकी बात किसके सामने कबूल करूँ। 

 

हजाल मेरे लिए ऐसा फरिश्ता बनकर आई, जिसने मेरे दिमाग से यू.पी.एस.सी. के दुःख-दर्द को दूर कर दिया, लेकिन वो भी आखिर में एक चुड़ैल ही निकली। 

 

मैं उसे कोसता और अपना गम हलक के नीचे उतरते रम में डुबो देता। इस वक्त मुझे सबसे ज्यादा तकलीफ हो रही थी। यू.पी.एस.सी. में एक बार फिर से फेल हो जाने का डर इस तकलीफ को और बढ़ा रहा था।

 

पहले सारा, फिर ईशा और अब हजाल। मैंने मर्दों के बारे में सुना था कि वे महिलाओं की भावनाओं से खेलते हैं, लेकिन मेरे लिए तो मामला उलटा ही था। 

 

मैं जब भी आत्मग्लानि के दरिया में गोते लगाता, तब उस लड़की की याद मुझे परेशान करने लग जाती थी, जिसके साथ मेरा रिश्ता टूट गया और उसने अलविदा तक नहीं कहा।

 

क्या यह मेरा कर्म था? अगर यह मेरा कर्म ही था, तो मुझे सिर्फ एक बार सजा मिलनी चाहिए थी और जब सारा मुझे छोड़कर चली गई, तब इसे खत्म हो जाना चाहिए था। यह अन्याय है! मैंने किसी महिला के विरुद्ध कभी कोई गंभीर अपराध नहीं किया है।

 

मुझे रोने के लिए किसी का कंधा चाहिए था। अंकित के सिवाय और कौन हो सकता था? वो सिर्फ यू.पी.एस.सी. के सफर का ही नही बल्कि मेरे सुख-दुःख का भी साथी था।

 

"मैं इतना समर्पित आदमी हूँ, इतना भरोसेमंद और खयाल रखनेवाला हूँ कि मैं दूसरी लड़कियों की तरफ देखता तक नहीं। 

 

शादी से पहले मैं साक्षी के साथ सोना तक नहीं चाहता, लेकिन उसे किसी बात का कोई खयाल ही नहीं है।" अंकित ने कुछ पैग लगा लेने के बाद कहा।

 

उसने कहा, "तुम्हारी यह जो तुर्की चुड़ैल है, वह भी कोई कम नहीं है। पूरी दुनिया की लड़कियाँ एक जैसी हैं। हमारे जैसे लोग हमेशा मूर्ख बन जाते हैं और गंदे लोगों को दस-दस लड़कियों के साथ सोने के बाद भी सबसे वफादार और खूबसूरत लड़कियाँ मिल जाती हैं।" उसने अचानक मेरी तरफ देखा। वह पूरी तरह से टल्ली और गुस्से में था। 

 

उसने एक और पैग लगाते हुए कहा, "मैं यू.पी.एस.सी. क्लियर करुगा और आई.ए.एस. बन साक्षी के बाप को साबीत कर दूंगा, इस दुनिया में साक्षी के लिए मुझ से बेहतर और कोई नही है।

 

तुम भी अब इस तुर्की चुड़ैल को भूल यू.पी.एस.सी. पर फोकस करो। एक बार तुम यू.पी.एस.सी. क्लियर कर गए फिर देखना तुर्की क्या रशियन, अमेरिकन जिस देश कि चुड़ैल चाहोगे उस देश की मिलेगी।

 

मैं नशे में चूर था। मैं अंकित से दोगुनी शराब पी चुका था। मेरा दिमाग चूँकि पहले से ही खराब था, लेकिन फिर भी अंकित ने जो कुछ कहा, वह मुझे एकदम सही लगा। मैंने खुद को बुद्धिमान दिखाते हुए हामी भर दी।

 

"मैंने अपनी पूरी जवानी किसी-न-किसी परीक्षा के लिए पढ़ने में बरबाद कर दी। कोई मौज-मस्ती नहीं, कोई डेटिंग नहीं। मैं तो शराब या सिगरेट तक नहीं पीता था। मैंने कभी किसी लड़की को हाथ तक नहीं लगाया, धोखा देने की तो बात ही छोड़ दो। 

 

अंकित अब भी नशे में चूर कुछ भी बके जा रहा था लेकिन मुझे अब उस से कोई मतलब नही था। मुझे तो अपना परम ज्ञान मिल चुका था। 

 

मैं अब पूर्ण रूप से यू.पी.एस.सी. को समर्पित हो जाना चाहता था लेकिन रह-रहकर हजाल की याद मुझे अन्दर ही अन्दर खाए जा रही थी।

 

 मैं ने बाहरी रूप से अपने आपको पूरी तरह यू.पी.एस.सी. के लिए समर्पित कर दिया था लेकिन अन्दर से अभी भी एक उमीद बनी हुई थी।

 

मैंने एक बार फिर अपने मोबाइल फोन की स्क्रीन पर नजर डाली। कुछ दिनों से बार- बार स्क्रीन देखने की मेरी आदत हो गई थी। मैंने देखा कि फेसबुक पर मैसेज का एक नोटिफिकेशन आया है। 

 

मैसेज हजाल का था!

 

 

"मेरे प्यारे दोस्त। मुझे आपका तोहफा आज मिला। कविताएँ बेहद प्यारी हैं। आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ मेरे दोस्त।" 

 

हजाल ने अपनी अंग्रेजी मिक्स तुर्की में कहा। मैं इसे तुर्कलिश कहता था। लेकिन हजाल इसे इंग्लिश ही कहना पसंद करती थी। 

 

"एक हफ्ते से ज्यादा समय तक तुम कहाँ गायब हो गई थीं? मुझे लगा, तुमने मुझे छोड़ दिया है! मैं बहुत उदास हूँ, बहुत गुस्सा हूँ कि तुमने मुझे बताए बिना ही अपना फेसबुक अकाउंट डिएक्टिवेट कर दिया!" मैंने जवाब में लिखा। मैंने अपना मोबाइल किनारे रखा और तय किया कि थोड़ी देर सो जाऊँगा। 

 

कुछ ही मिनट के भीतर, मेरे मोबाइल पर एक नोटिफिकेशन आया।

 

"आई एम सॉरी 'अरकदासिम'। मेरे इंजीनियरिंग कॉलेज का एग्जाम था। मैं अपना ध्यान नहीं लगा पा रही थी। बस इसलिए फेसबुक अकाउंट डिएक्टिवेट कर दिया, ताकि मैं पढ़ सकूँ।"

 

मुझे अपनी सोच को लेकर अब बहुत बुरा लग रहा था। मैंने हजाल को खराब चरित्र वाली महिला बता दिया था, जो इंटरनेट पर मर्दों को बेवकूफ बनाती है और फिर गायब हो जाती है।

 

"मैं तुमसे कल बात करूंगा, हजाल! मुझे तुमसे बहुत कुछ कहना है।" मैंने मैसेंजर में टाइप किया। "मुझे भी बहुत कुछ कहना है।" उसने कहा।

 

सुबह 11 बजे मेरी नींद खुली। मैं अब भी थका हुआ था। मैं ने अपना देखा तो उस में कई मिस्ड कॉल और कुछ मैसेज पड़े थे। मेरे माता-पिता मुझसे बात करने की कोशिश कर रहे थे। कई नोटिफिकेशन भी थे। उनमें से ज्यादातर फेसबुक पर जन्मदिन की बधाई थी। 

 

कई एस.एम.एस. और व्हाट्सएप के मैसेज थे। तमाम मैसेज की भीड़ में, मैंने फेसबुक मैसेंजर पर हजाल का मैसेज देखा। उसने मुझे हैप्पी बर्थडे कहने के लिए मैसेज किया था, लेकिन उस मैसेज में मेरे लिए सरप्राइज भी था। 

 

हजाल ने मेरे लिए एक चिट्ठी के साथ बर्थडे का गिफ्ट भी भेजा था। हजाल ने कहा कि ये सब मेरे पास पंद्रह दिनों में पहुँच जाएगा। मैं संभावनाओं को लेकर बेहद खुश था कि एक लड़की मुझे तोहफा भेज रही है और लड़की भी विदेशी!

 

To be continue....................