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तुर्कलिश - 1

UPSC मेन्स के एक हफ्ते बाद, मैंने बिस्तर पकड़ लिया। गले में भयंकर इनफेक्शन ने एंटीबायोटिक्स के साइड इफेक्ट से विकराल रूप ले लिया था। गले को ठीक करने के बजाय उन दवाइयों ने मुझे बुरी तरह कमजोर कर दिया था। अचानक रेड बुल और सिगरेट छूट जाने से मैं खुद को बेजान महसूस कर रहा था। नींद की गोलियाँ लेना छोड़ा तो नींद गायब हो गई। 

 

मैं सोना चाहता था, लेकिन मेरा बेचैन दिमाग मुझे सोने नहीं देता था। मेरे होंठ सूज गए थे और मेरा शरीर ऐसा लग रहा था, जैसे उसे निचोड़कर सुखा दिया गया है। मेरे रेगमाल जैसे मुँह में छाले आ गए थे और कानों में जैसे आग लगी थी। मैं बीमार था और आईना मेरी दयनीय स्थिति को दिखा रहा था।

 

मैंने अपने पुराने पड़ चुके विंडोज फोन को बदलकर सैमसंग का जो नया टैब लिया था, वही मेरा एकमात्र साथी था। मैं उस पर फिल्में देखता, गाने सुनता, इ-बुक्स पढ़ता और हाँ, मुझे फेसबुक की लत भी लग गई थी। 

 

मैं अपना टाइम फेसबुक पर यह देखकर काटा करता था कि इंजीनियरिंग और एम.बी.ए. के मेरे बैचमेट्स अपने जीवन में क्या कर रहे हैं। मैं उनकी प्रोफाइल को खंगालने, उनके स्टेटस अपडेट्स और तसवीरों को देखने में घंटों बिताया करता था। उन्हे देख मुझे किसी प्राइवेट सेक्टर की नौकरी के बजाय यू.पी.एस.सी. सिविल सर्विस की तैयारी करने के अपने फैसले पर अफसोस हुआ। 

 

मैंने फेसबुक पर कई नए-नए दोस्त बनाए। मैं जितने दोस्त बनाता, खुद को उतना ही खाली-खाली महसूस करता था। अपने अकेलेपन की भावनाओं को मैं किसी तरह दूर करना चाहता था और इस वजह से मैं अजनबियों को भी फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजता था और उनके रिक्वेस्ट भी मुझे आते थे।

 

ऐसा ही एक फ्रेंड रिक्वेस्ट मुझे तुर्की की एक लड़की का आया, जो कुर्द मूल की थी। उसका नाम हजाल देमिर था। उसकी अंग्रेजी खराब थी। ऐसा लग रहा था कि उसने जर्मन दार्शनिक फ्रेडरिक नीत्शे को समर्पित एक तुर्की पेज पर मेरे कमेंट पढ़े थे और उसके बाद उसने मुझे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजने का फैसला किया था। 

 

वह एक अलग संस्कृति की थी और अलग भाषा बोलती थी। ओल्ड राजेंद्र के अपने कुएँ में फँसे रहकर मुझे उसके जीने के तरीके पर ज्ञान हासिल कर खुशी हो रही थी। मैं सोच रहा था कि क्या वह भी ऐसी ही स्थिति में है।

 

उसे यह जानकर खुशी हुई कि कविता में मेरी दिलचस्पी है और उसने मुझसे कहा कि मैं उसके लिए एक कविता लिखूँ। मैंने उससे कहा कि मुझे खुशी होती, लेकिन इसके लिए मुझे उसके परिवार, उसके बचपन, उसके दोस्तों, उसके स्वभाव और पसंद के बारे में और जानना होगा और उसने खुशी-खुशी सबकुछ बता दिया। 

 

हजाल को भारत के बारे में जानने की इच्छा और जिज्ञासा थी। हमने कई सारी चीजों के बारे में बात की। एक बार भाषाओं के बारे में चर्चा के दौरान मैंने उसे बताया कि कैसे हिंदी और तुर्की में एक हजार मिलते-जुलते शब्द हैं, क्योंकि तुर्क मूल के राजाओं hat 7 भारत पर तीन सौ से अधिक वर्षों तक शासन किया था। उसने मुझे तुर्की भाषा सिखाने का ऑफर दिया, मैंने उसे अंग्रेजी सिखाने का ऑफर दिया।

 

वह छह बहनों और पाँच भाइयों में सबसे छोटी थी। उसकी उम्र चौबीस साल थी और वह अपने इंजीनियरिंग कोर्स के पहले साल में थी। पढ़ने में वह अच्छी नहीं थी और उसने इस बात को कबूल किया था। 

 

मैं जब आखिरी बार उसे गुड नाइट कहकर सोने चला गया, तब भी वह मुझे मैसेज भेजती रही। मैं मैसेज नोटिफिकेशन म्यूट कर सकता था, लेकिन मेरा दिमाग मुझे सोने नहीं दे रहा था। मैं बार-बार यही चेक कर रहा था कि हजाल अब तक जगी है या नहीं।

 

हजाल को लेकर मेरा जुनून बढ़ता जा रहा था। मैंने मेरे दोस्त गौरव के सामने इस बात को कबूला, लेकिन वह हँसने लगा। पहले कभी मेरा कोई विदेशी दोस्त नहीं रहा और इस वजह से मुझमें जो उत्तेजना थी, वह मुझे सही लग रही थी। 

 

हर सुबह में इस रोमांच के साथ उठता था कि उसके मैसेज पढ़ें। उसने मुझे नेरूदा की कविताएँ भेजीं, अपने पसंदीदा गीत और अपने गाँव के साथ ही अपनी बहन के बच्चों की तसवीरें भेजीं।

 

एक दिन सुबह में मैं जब उसके मैसेज पढ़ रहा था, जो उसने मेरे सो जाने के बाद भेजे थे, तब उसने पूछा था कि क्या मैं उसके साथ वीडियो चैट करना चाहूँगा। इतना सुनते ही मेरे दिल की धड़कनें तेज हो गई। मैंने हाँ में जवाब दिया था। 

 

मैं पूरे दिन यह देखने के लिए फेसबुक मैसेंजर चेक करता रहा कि कहीं उसने इसका जवाब दिया या नहीं। मैं बार-बार हम दोनों की पुरानी चैट को पढ़ता रहा। शाम तक, मेरी आँखें इतनी थक चुकी थीं कि मैंने थोड़ी देर सो लेने का फैसला किया।

 

दिसंबर महीने के आखिरी कुछ दिन बचे थे और दिल्ली में कड़ाके की सर्दी पड़ रही थी। मैं जब ऊँघ रहा था, तभी मुझे फेसबुक का नोटिफिकेशन सुनाई पड़ा। हजाल थी!

 

"मरहबा। नासिलसिन?" (तुम कैसे हो) हजाल ने तुर्की भाषा में पूछा।

 

"बैंदे इइयिम। सैन नासिलसिन?" (मैं ठीक हूँ। तुम कैसी हो?) उसने मुझे जो थोड़ी-बहुत तुर्की सिखाई थी, उसमें मैंने जवाब दिया।

 

"'इइयिम'। (मैं ठीक हूँ) तुम क्या कर रहे हो?"

 

"तुम्हारे मैसेज का इंतजार," मैंने बेधड़क कह दिया।

 

"आज रात हम तुमसे स्काइप पर बात करेगा। 'तमाम' (ठीक है)?" उसने टूटी-फूटी अंग्रेजी और तुर्की को मिला-जुलाकर कहा, जिसे मैं समझ गया।

 

"तमाम।"

 

""सिमदे' (अभी) मैं आराम करूँगी। 'गोरोसुरुस' (तुमसे फिर मिलूँगी)। स्काइप पर भारतीय समय रात 10 बजे

 

और तुर्की समय 7:30 बजे मिलूँगी," उसने कहा।

 

""तमाम हजाल। केंदिने इयी बाक।' (अपना ध्यान रखना)। स्काइप पर गोरोसुरुस (मिलूँगा)।" मैंने टूटी-फूटी तुर्की में कहा। 

 

"सीने ओजलेदिम। गोरोसुरुस।" 

 

मुझे पता नहीं था कि 'सीने ओजलेदिम' का मतलब क्या होता है। हजाल ने मुझे यह नहीं सिखाया था तो मैंने उसे गूगल ट्रांसलेट किया। इसका मतलब था' आई मिस यू।' मैं सच में खुशी से झूम उठा!

 

"बैन दे सीने ओजलेदिम।" 

 

मैंने 'आई मिस यू टू' को ट्रांसलेट करने के बाद जवाब दिया, लेकिन तब तक उसने फेसबुक लॉग-आउट कर दिया था।

 

मैं बेहद खुश था। मैं अच्छा दिखना चाहता था, इसलिए हेयरकट और शेव के लिए झटपट एक महँगे सैलून के लिए निकल पड़ा। मुझे अपनी अस्त-व्यस्त दाढ़ी से पीछा छुड़ाना था। 

 

मैंने अपने परिवार के सामने 'पढ़ाई से समय ही नहीं मिलता' का, जो दिखावा किया था, उसके लिए यह जरूरी था। 'तो फिर फेस मसाज भी क्यों न करा लूँ?' 

 

इससे पहले मैंने खुद को कभी इतना लाड़-प्यार नहीं किया था। अपने वीडियो चैट को लेकर मैंने जब एक हजार रुपए उड़ा दिए, जो मेरे बटुए ने मेरी खुशी में मेरा साथ नहीं दिया। 

 

मैं जब लौटकर आया, तब भी मेरे पास एक घंटा बचा था, तो मैंने उस स्टीमर से जल्दी से स्टीम लेने का फैसला किया, जिसे मैंने अपने साइनस की समस्या की वजह से खरीदा था। 

 

मुझे स्टीम लेना अच्छा लगता था, क्योंकि मैं इससे तरोताजा महसूस करता था। मेरा साइनस ब्लॉक नहीं भी होता, तब भी मैं स्टीम लिया करता था।

 

अब आधा घंटा ही बचा था, तो मैंने जल्दी से स्नान किया और तैयार हो गया। फिर इंतजार करने लगा कि हजाल कब मुझसे संपर्क करेगी। अचानक मुझे याद आया कि मेरा हॉटमेल या स्काइप का अकाउंट तो है ही नहीं! मैंने जल्दी से दोनों के अकाउंट बनाए। 

 

समय हो गया था लेकिन हजाल का कोई अता-पता नहीं था और यहा मेरी चिंता चरम पर थी।

 

'पता नहीं मेरी शक्ल उसे पसंद आएगी भी या नहीं और मुझे देखने के बाद कहीं वह मुझसे बात करना बंद तो नहीं कर देगी?'

 

मैं काफी देर तक आईने को देखकर चेहरे के हावभाव बनाता रहा, ताकि मेरे हावभाव कुछ भी हों, लेकिन में ठीक-ठाक दिख सकूँ। मैंने पहला इंप्रेशन अच्छा बनाने के लिए जो कुछ संभव था, सब किया।

 

रात के सवा दस बज चुके थे और वह अब तक नहीं आई थी।

 

'शायद वह सो गई होगी या किसी काम में फँस गई होगी। तब तक मैं देखता हूँ कि अंकित गुप्ता और साक्षी सिंह भी फेसबुक पर हैं या नहीं। वो दोनो भी मेरे साथ ही सिविल सर्विस कि तैयारी कर रहे थै। उन्हें जानते हुए मुझे अब तीन साल हो गए हैं, फिर भी न-जाने क्यों उन्हें मैंने अब तक अपने फेसबुक फ्रेंड लिस्ट में शामिल क्यों नहीं किया।'

 

मैंने अंकित को सर्च किया और वह मुझे मिल गया। मैंने तुरंत उसे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दिया। 

 

मैंने जब उसकी प्रोफाइल देखी, तो पता चला कि उसकी आखिरी ऐक्टिविटी जनवरी 2010 की थी! उसके पेज पर बड़ी मुश्किल से कुछ तसवीरें थीं। 

 

यही हाल साक्षी का भी था। मैंने उसे भी फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दी। उसके फेसबुक वॉल पर ढेर सारे 'मिसिंग यू बैडली' और 'हैप्पी बर्थडे' के मैसेज थे, लेकिन उसकी आखिरी ऐक्टिविटी साल 2009 की थी!

 

'आखिर कैसे ये लोग फेसबुक से इतने लंबे समय तक ऑफलाइन रह लेते हैं? ये लोग UPSC को लेकर सच में संपूर्ण समर्पित है!'

 

इससे पहले कि मैं कुछ और सोचता, मैंने फेसबुक मैसेंजर पर हजाल का मैसेज देखा, जो मुझसे मेरी स्काइप आई.डी. माँग रही थी। 

 

To be continue.....................

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