कोई तुमसा नहीं - 6 Mahi द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

कोई तुमसा नहीं - 6

श्रेजा लगातार अपनी चमकती हुई आँखो से उस ड्रेस को देखे जा रही थी उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी जो ये साफ बया कर रही थी की उसे ये ड्रेस पसंद तो बहुत आयी है... फिर श्रेजा उस ड्रेस को अच्छे से अरेंज कर के वापस बेड पर लेट जाती है... उसके बाद जब उसकी आँख खुलती है तो शाम हो चुकी थी, श्रेजा के लिए ये कोई बढ़ी बात नहीं थी...कभी कभार उसे बहुत ज्यादा नींद आती थी जिसकी बजह उसे भी आजतक बता नहीं चल सकी।

हाथ मुँह धोने के बाद श्रेजा अपने कमरे से निकल कर गार्डन मे आगयी और वही हरे घास मे लेट गयी... गार्डन बहुत बड़ा और सुन्दर था इसमें कोई प्रकार के रंग बिरंगी पेड़ पौधे थे जिनकी खुशबु चारो ओर फैली हुई थी श्रेजा (आरना ) को कभी भी इतनी शांति भरी जिंदगी नहीं मिली थी, उसकी लाइफ मे हमेशा कोई ना कोई प्रॉब्लम रहती कोई देशो की पुलिस उसे आज तक ढूंढती थी, लेकिन श्रेजा को पता था की खुद को कैसे बचाना था।
उसके पास कोई अपना कहने को नहीं था इस लिए उसने अपने काम को ही सब से ज्यादा महत्व दिया था।
आज भीड़ भाड़ से बहुत दूर खुले आसमान के निचे श्रेजा बिना किसी चिंता के लेटी हुई थी... उसे बहुत अच्छा लग रहा था, यही सब सोचते हुए उसके आँखो से एक बून्द आंसू घास पर टपकता है,, श्रेजा ने सोच लिया था अब वो अपनी जिंदगी बिना किसी चिंता और खुशी से जियेगी।


वही उससे कुछ ही दुरी पर श्रेयांश और शुभम खड़े हो कर उसे देख रहे थे उन दोनों की आँखो मे एक अनकहा दर्द था।

श्रेजा को देखते हुए श्रेयांश ने कहा... "" क्यों डैड हमारी लवी ऐसी क्यों हो गयी?... क्यों वो हम से इतनी दूर होती जारही है... उसे क्यों लगता है की हम उसे प्यार नहीं करते?? ""

ऐसा बोलते हुए श्रेयांश बहुत उदास था, वही उसकी बात सुन शुभम ने उसके कंधे को थपथपाते हुए कहा... ""... ये सब मेरी वजह से हुआ है श्रेयांश, तुम्हारी मॉम के जाने के बाद से मै बिलकुल अकेला महसूस कर रहा था... श्रेजा भी उदास रहने लागी थी..तब वो मेरी लाइफ मे आई..'इशिता', तुम जानते हो ना मै इशिता को स्कूल टाइम से चाहता था... लेकिन कुछ कारणों की वजह से.... मुझे तुम्हारी मॉम से शादी करनी पड़ी, लेकिन उसके जाने के बाद इशिता मेरी लाइफ मे वापस आगयी, वो भी मुझे बहुत पसंद करती थी इस लिए उसने कभी शादी नहीं थी.... मुझे जब ये पता चला तो मैंने सोचा की मै उससे शादी कर लेता हु तुम दोनों को माँ मिल जाएगी,, मुझे इशिता पर पूरा यकीन था की वो तुम दोनों को बहुत प्यार करेंगी... मेरा मानना भी सही था उसने तुम दोनों को अच्छे से संभाला... लेकिन इशिता कभी भी श्रेजा की नज़रो मे माँ की जगह नहीं बना पायी उल्टा वो हम सब से दूर होती गयी।""


शुभम ने भी दुखी हो कर कहा।


""डैड आप चिंता मत कीजिये एक दिन ऐसा जरूर आएगा जब हमारी पुरानी लवी वापस आएगी तब सब ठीक हो जायेगा। ""
श्रेयांश ने शुभम को दिलाशा देते हुए कहा, तो शुभम फीका सा मुस्कुरा दिया, वही श्रेजा को काफ़ी देर से अपने ऊपर किसी की नज़र महसूस हुई तो उसने अपनी चील जैसी नज़रे उठा कर श्रेयांश और शुभम की ओर देखा.. उन्हें देखते ही उसकी आँखे एकदम सर्द हो गयी।
"" अब ये बाप बेटे की जोड़ी को क्या हुआ मुझे ऐसे क्यों देख रहे है जैसे इनहे इनका खोया हुआ प्यार सालो बाद मिला हो,, काफ़ी इमोशनल लग रहे है दोनों। ""

श्रेजा लोगो के भाव पड़ने मे एक्सपर्ट थी उन्हें दूर से ही देख कर वो बता सकती थी की ये दोनों बहुत उदास और लाचार है... और कही ना कही उसे इसकी वजह भी पता थी जिसे वो इग्नोर करना चाहती थी क्योंकि नॉवेल के कुछ एपिसोड मे जो उसने पड़ा था, उसके बाद वो इन्हे किसी भी लागत मे माफ़ नहीं कर सकती थी।

श्रेजा ने एक एपिसोड मे पढ़ा था की जब रोम ने उसे सब के सामने कोड़ो से मारा था तो ये दोनों वही थे तब तो इन दोनों के मुँह से उफ़ तक नहीं निकली,तब तो किसी ने श्रेजा की मदद नहीं की श्रेजा मदद के लिए, हा ये बात भी थी की रोम के सामने वो कुछ नहीं कर सकते थे लेकिन क्या उन्हें कोशिश नहीं करनी चाहिए थी? लेकिन इन्होने कोशिश भी नहीं की नॉवेल की श्रेजा को लगता था की इन्हे सिर्फ इनाया से मतलब है कभी कभार तो श्रेजा को भी ऐसा ही लगता था, यही सब सोचते हुए उसने एक बार उन दोनों को तिरस्कार भरी दृष्टि से देखा और उठकर विला के अंदर जाने लगी लेकिन रास्ते में ही उसे इनाया मिल गई.... इनाया ने उसे देखते ही कहा... "" दीदी आप यहाँ पर है मैं कब से आपको ढूंढ रही थी,, वह मैं पूछना चाहती थी कि मम्मा और मै मेरे लिए एक अच्छा सा ड्रेस सेलेक्ट कर रहे हैं क्या इसमें आप भी मेरी मदद करेगी? ""

इनाया ने मासूमियत के साथ मुस्कुरा कर कहा।
श्रेजा उसे बड़े ताज्जुब के साथ देखने लग गई.. "" है?, क्या इसके अंदर सेल्फ रिस्पेक्ट नाम की चीज है की नहीं इस इनाया को पहले से पता होता है की श्रेजा हरबारी इसे बेइज्जत करके छोड़ देती फिर भी उसी के पास आती है? "

श्रेजा को समेशा से ही इस इनाया के कैरेक्टर पर थोड़ा लोचा नजर आता था इसके इसी कैरेक्टर की वजह से श्रेजा इसे ना पसंद करती थी चाहे ये पूरी स्टोरी की फीमेल लीड ही क्यों ना हो, वही पीछे से शुभम और श्रेयांश भी वहां पर आ गए उन्होंने उनकी बात सुन ली थी.... उन्हें पूरा यकीन था कि श्रेजा फिर अपनी कड़वी बातों से इनाया को चोट पहुंचाएगी इसलिए श्रेयांश उसकी और बढ़ाने इससे पहले की श्रेजा कुछ बोले लेकिन अगले ही पल श्रीजा का जवाब सुनकर वह अपनी जगह पर ही ठिठक गया।

"" ओके मै बिजी नहीं हु । ""

श्रेजा ने सिर्फ कुछ ही शब्द कहे थे लेकिन उसके यह कुछ ही शब्द लोगों को बहुत बड़ा झटका देने के लिए काफी थे उसकी बात सुनते ही इनाया ने मुस्कुराते हुए उसका हाथ पकड़ा और उसे अपने कमरे की ओर ले जाने लगी.. एक पल के लिए तो श्रेजा हैरान हो गई थी लेकिन फिर उसने इनाया से अपना हाथ छुड़ाया और उसके पीछे पीछे जाने लगी।
श्री जो उसने अपने कमरे में ले आई "" दीदी मैं अपने कपड़े निकाल कर आपको दिखाती हु फिर आप उसमें से चूस करके मुझे देना ""

श्रेजा का ध्यान इनाया पर था ही नहीं वह तो उसके कमरे को देखने मे बिजी थी।
पिंक कलर से पेंट किया हुआ और बहुत पड़ा रूम था वो.. ऐसा लग रहा था की ये किसी प्रिंसेस का रूम हो इन सब को देखते हुए श्रेजा किसी गहरी सोच मे गुम हो गयी।