The Author Mahi फॉलो Current Read कोई तुमसा नहीं - 7 By Mahi हिंदी रोमांचक कहानियाँ Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books दरिंदा - भाग - 10 प्रिया के घर जाने के कुछ घंटे बाद शाम को जब राज आया तो आज उस... खामोश चाहतें - पार्ट 3 रात का सन्नाटा हमेशा एक अजीब सा सुकून लेकर आता है। जैसे पूरी... शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 22 "शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल"( पार्ट -२२)कई बार हालात भी अज... छोटा सा अहंकार आज काजल बहुत गुस्से में ऑफिस से निकली थी। गुस्से का कारण कुछ... तेरी मेरी यारी - 9 (9)केस ज़रा भी आगे नहीं बढ़ पा रहा था। इससे इंस्पेक्ट... श्रेणी लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी उपन्यास Mahi द्वारा हिंदी रोमांचक कहानियाँ कुल प्रकरण : 7 शेयर करे कोई तुमसा नहीं - 7 1.3k 2.9k 1 श्रेजा बड़े ध्यान से पूरे रूम को देख रही थी इतने में इनाया बहुत सारे कपड़े लाकर श्रेजा के सामने रख देती हैं.... " दीदी आपको इनमें से कौन सी ड्रेस सबसे ज्यादा पसंद आई मैं वही वाला पहन के जाऊंगी। " इनाया मुस्कुराते हुए बोलती है श्रेजा का ध्यान उसकी बातों पर काम और उन कपड़ों पर ज्यादा था यह सारे ड्रेस एक से बढ़कर एक खूबसूरत और महंगी थी तभी श्रेजा की नजर एक बेबी पिंक कलर की वन पीस ड्रेस पर जाती है जो बहुत ज्यादा खूबसूरत थी इसे देखते ही श्रेजा पहचान चुकी थी कि वह वही ड्रेस है जिसे नवल के अंदर इनाया ने पहना था क्योंकि उसके पास श्रेजा की यादे थी उसे यह भी पता था कि यह ड्रेस खासकर ' रोम' ने इनाया के लिए विदेश से मंगवाई थी इसकी कीमत खुद श्रेजा के उस ड्रेस से ज्यादा थी जिसे मिसेस विलियम्स ने उसके लिए भेजा था सभी ड्रेस को एक-एक करके देखने के बाद श्रेजा बोलती है.. " यह यह रेड वाली अच्छी लगी मुझे तुम्हारा नहीं पता तुम्हें जो पसंद है तुमको पहन सकती हो। " उसकी बात पर इनाया मुस्कुराते हुए बोली " क्या बोल रही है दीदी अगर आपको यह वाली ड्रेस पसंद है तो मै यही पहन कर जाऊंगी अगर आपको अच्छा लगा तो " श्रेजा इनाया के चेहरे को बड़े ध्यान से देख रही थी और मन ही मन खुद से बोल रही थी" इस लड़की के मासूम चेहरे को देखकर यह अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है कि इसकी वजह से श्रेजा की जिंदगी बर्बाद हो गई थी हां अपनी बर्बादी की जिम्मेदार वह भी थी लेकिन पता नहीं क्यों मुझे इस लड़की से शुरुआत से ही चिढ़ सी थी पूरी स्टोरी की फीमेल लीड होने के बावजूद भी यह मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं थी.... श्रेजा के बारे में कुछ कहूं वो ' शी इस रियल विक्टिम ' " कहां खो गई दीदी? " इनाया उसे अपने ख्यालो मे घूम देख कर बोली। तो श्रेजा अपने ख्यालों से बाहर आते हुए बोली... " अगर तुमने अपने लिए ड्रेस सेलेक्ट कर ली हो तो क्या अब मैं यहां से जाऊं" इनाया एकदम से उसका हाथ पकड़ लिया " दीदी क्या आपने ने अपने लिए ड्रेस सेलेक्ट कर ली और अगर नहीं करी है तो मैं आपकी मदद कर सकती हूं? " इनाया मासूम सी शक्ल बनाकर श्रेया से पूछती है। श्रेजा उसे खुद से थोड़ा दूर करते हुए बोली.... " इसकी जरूरत नहीं है अब मैं चलती हूं। " इतना बोलकर वह बिना इनाया की ओर देखे वहां से निकल गई..... इनाया काफी देर तक दरवाजे की ओर देखने लगी जिससे अभी-अभी श्रेया बाहर गई थी फिर उसने एक नजर उन कपड़ों पर डाली, रात का समय डिनर टाइम.... सभी लोग डाइनिंग टेबल पर बैठे हुए डिनर कर रहे थे श्रेजा भी चुपचाप अपना डिनर कर रही थी बाकी सब अपने अपने बातों पर लगे हुए थे....वह सभी कल की पार्टी को लेकर बहुत एक्साइड नज़र आरहे थे शिवाय श्रेजा ऐसा नहीं था कि श्रीजा को इस पार्टी में कोई कोई दिलचस्पी नहीं थी , थी ना वह देखना चाहती थी कि अब आगे क्या होने वाला है उसने पूरा फैसला कर लिया था कि अब उसे क्या करना है... यही सोचते सोचते उसने अपना डिनर खत्म किया और अपने रूम में आ गई... रूम में आने के तुरंत बाद उसने अपने फोन से सत्यम को कॉल किया.. और बिना सत्यम का हाल-चाल पूछे सीधा उसने मुद्दे पर आना ही सही समझा " कल रेडी रहना कल तुम मेरे साथ एक पार्टी में जाने वाले हो। " दूसरी ओर सत्य में अपना मुंह बिगाड़ते हुए बोला " पार्टी क्या बकवास है तुम्हारा तो यह रोज का है तुम्हें पता है ना कि मैं तुम्हारी इन स्टुपिड पार्टी वगैरा में जाना पसंद नहीं करता। " श्रेजा तेज आवाज में बोली " मैं तुमसे पूछ नहीं रही हूं तुम्हें बता रही हूं तुम्हें कल मेरे साथ चलना ही होगा। सत्यम उसकी बात सुनकर हताश हो गया " तुम बहुत बुरी हो जब भी मैं तुम्हारे साथ कहीं चलता हूं तुम मुझे भूल जाती हो। " श्रेजा ने उसकी बात पर ज्यादा ध्यान न देते हुए.." कल रोम विलियम्स की वापस आने की खुशी में एक पार्टी रखा गया है मैं कुछ नहीं जानती तुम्हें मेरे साथ चलना है बस बात खत्म। " श्रेजा ने उसे ऑर्डर देने वाले लहजे में कहां, दूसरी ओर सत्यम ने जैसे ही रोम विलियम्स का नाम सुनाओ उसकी पकड़ फोन पर मजबूत हो गई कुछ समय पहले जो श्रेजा से बात करने की खुशी उसके चेहरे पर थी वह जैसी अब एक पल में ही कहीं गायब सी हो गई वह कर पकड़ कर अपने बेड पर बैठ गया और अपने सर को सहलाते हुए खुद से ही बड़बड़ाया" रोम विलियम्स जब भी मैं इस इंसान का नाम सुनता हूं मेरे सर में दर्द होने लगता है.. और यह पागल लड़की है कि उसे सर दर्द को अपने सर का ताज बनाकर पहनना चाहती हैं। " दूसरी ओर श्रेजा ने उसकी सारी बात सुन चुकी थी उसकी बात का जवाब देती हुई श्रेजा ने बड़े शांत लहजे में कहां " मुझे कोई शौक नहीं है उस सिर दर्द को अपनी सर का ताज़ बनाकर पहनने का मैं तो उसका नाम तक नहीं सुनना चाहती हूं तुम छोड़ो तुम नहीं समझोगे। " सत्यम उसकी बात सुनकर बहुत हैरान हो गया था उसे नहीं पता था कि श्रेया उसकी बात सुन रही है लेकिन उससे भी ज्यादा हैरान हो उसकी बात सुनकर हो रहा था क्योंकि जिस तरह से वह लड़की उस रोम के पीछे पागल बनी घूमती थी उसके सुधारने का कोई चांस ही नहीं बनता था उसने अपनी लहजे में हैरानी को दबाने की पूरी कोशिश की " क्या कहा तुमने लवी कहीं तुम्हारी तबीयत तो खराब नहीं हो गई है देखो अगर ऐसा है तो तुम प्लीज डॉक्टर के पास जाओ क्योंकि जब तुम्हारी तबीयत खराब होती है तो तुम पागल हो जाती हो और तुम्हारा पागलपन से सबसे ज्यादा डर तुम्हारे आसपास रहने वाले लोगों को लगता है तुम सुन रही हो ना मेरी बातों को... हेलो? " श्रेजा को उसकी बात सुनकर बहुत चीड़ हो रही थी एक तो यह लड़का उसकी बात समझ नहीं रहा था उल्टा उसी की लेक्चर देने में लगा हुआ था " तुम कल तैयार रहना मैं कोई बहाना नहीं सुनना चाहती और अगर तुम नहीं पहुंचे तो समझ लेना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा" इतना कहने की बात उसने कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया दूसरी और सत्यम कंफ्यूज होकर अपना फोन देखने लगा " भाई यह सच है या सपना कुछ समझ में नहीं आ रहा है यह मजनू की अम्मा को क्या हो गया है?, बहुत खतरनाक है यह लड़की मुझे इसकी बात माननी ही पड़ेगी…" ‹ पिछला प्रकरणकोई तुमसा नहीं - 6 Download Our App