The Author Anju Kumari फॉलो Current Read मुलाकात - 3 By Anju Kumari हिंदी लघुकथा Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books डेविल सीईओ की मोहब्बत - भाग 81 अब आगे,अब अर्जुन जैसे ही अपने विला से बाहर निकला तो दिनेश, अ... शून्य से शून्य तक - भाग 49 49=== अचानक आशी टेबल से उठ खड़ी हुई| &ldquo... इश्क दा मारा - 40 गीतिका की भाभी की बाते सुन कर गीतिका का भाई बोलता है, "तुम्ह... अपराध ही अपराध - भाग 24 अध्याय 24 धना के ‘अपार्टमेंट’ के अंदर ड्र... स्वयंवधू - 31 विनाशकारी जन्मदिन भाग 4दाहिने हाथ ज़ंजीर ने वो काली तरल महाश... श्रेणी लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी उपन्यास Anju Kumari द्वारा हिंदी लघुकथा कुल प्रकरण : 8 शेयर करे मुलाकात - 3 (2) 1.5k 2.9k कहानी आगे,......... पल्लवी ने बताया उसका भाई पूना मे पढता है, और उसे खीच कर बोली उठ जाओ अब नही तो मामी जी फिर से मुंह फुला लेंगी , जया बोली तो जा नाश्ता निकाल मै दस मिनट मे आती हूं,पल्लवी बाहर चली गई और जया नहाने चली गई, दस मिनट बाद तैयार होकर आई पल्लवी नाश्ता लेकर तैयार बैठी थी, दोनो ने नाश्ता किया और रस्मो मे भाग लेने के लिए लालायित हो उठी, सब नीचे ढोल पर नाच रहे थे ,सब लड़कियां भी नाचने को उत्साहित हो रही थी कि मामा जी एक बार कह दे तो वो भी नाच सके, मामा जी के कहते ही सब नाचने गाने लगे, जिसकी शादी थी मामा जी की बेटी जूही भी नाचने लगी , मामी पल्लवी की मम्मी सब बहुत खुश थे पल्लवी जया को भी नाचने को बोलती है जया मना करती है पर पल्लवी जूही दोनो उसे खींच कर ले आती है, और तीनो नाचती है , पर उन्हे कोई छुप के देख रहा था,वो था आनन्द आनन्द जो की सब को डांस करते हुए देख रहा था और हस रहा था, उसे नही मालूम था की ये सब कौन है ,वो बस अभी आया था नीचे, तभी पल्लवी की नजर आनन्द पर गयी और वो दौड़ी आनन्द को लेने के लिए और खींच कर ले ही आयी, सब आनन्द को देखकर बहुत खुश हुए, नाच गाना बहुत देर तक चला ,कुछ रस्मे हुई दिन के तीन बज गये,सब भुख बहुत जोर शोर से लगी थी खाना लग चुका था सब खा पी कर गप्पे मारने लगे ,कोई बाजार जा रहा था कोई पार्लर घर बड़े और कुछ मेहमान रह गये थे पल्लवी भी बोली चल जया,साधना हम भी बाजार चलते है जुटी को पार्लर छोड़कर हम बाजार का काम निपटा लेंगे, जया बोली मुझे कुछ नही लेना मै बाजार जा कर क्या करूंगी ? मामी जी तुरन्त बोली रहने दो जब वो नही चाहती वैसे भी क्या करेगी जा कर तुम पर खर्च आ जायेगा ये सुन कर मामा जी ने मामी जी को डांट लगाई,तुम तो सो गयी थी रात को इसी बच्ची ने आनन्द के लिए रोटी बनाई थी किसी का भी अपमान करने से तुम्हे गुरेज नही है, सब के सामने मामी की अवहेलना हुई तो मामी जी जया को बिल्कुल ही दुश्मन की नजर से देखने लगी, अब जया के आंसू बह चले, उसका बार बार अपमान अब वो सह नही पा रही थी, अब सब जया को देखकर आश्चर्य से बोले पल्लवी ने कहा तुने बताया नही की तूने बनाई थी रोटी । मामा जी ने जया के सार पर हाथ फेरा और कहा जाओ बेटा तुम भी यहां के बाजार घूम कर आओ ,अब आनन्द ने पहली बार जया को देखा, जया एक दम ख़ामोश सी पल्लवी को सहमति देते हुए उसके पीछे चली गई, जूही पल्लवी साधना और जया और दो तीन लड़कियां बाजार जाने को निकली, तो मामा जी बोले आनन्द सब लड़कियों को तू बाजार ले जा पर जल्दी आना 8 बजे तक आ जाना, सब बाजार जाने को इतना उतावले थे के मामा जी कहते ही गाड़ी मे लद गये, बाजार जा कर सब लड़कियां ने चाट गोल गप्पे खाये, उसके बाद कुछ शापिंग की और पार्लर मे जा पहुँची, अब जया क्या करे , उसे तो कुछ लेना नही ना ही पार्लर मे कुछ कराना था ,थोड़ी देर तो बैठी रही फिर बोर होने लगी, वहां से उठ कर वो बाहर आ गयी और इधर उधर टहलने लगी थी, अब ना तो घर जा सकती थी ना यहां रूक सकती थी बाजार मे दुकानो को देखकर सोचने लगी मामा जी ठीक कह रहे थे बाजार और दुकाने है तो सुन्दर, यही सब सोच रही थी कि सामने से कोई आता दिखाई दिया जो उसे ही देखकर मुस्कुराता हुआ उसके नजदीक आ रहा था, वो नज़रे चुरा कर इधर-उधर देखने लगी,आनन्द पास आ कर बोला आप ने करवा लिया सब बड़ी जल्दी, इस पर जया चुप ही रही आनन्द आगे बोला मै तो बोर हो रहा था सोच रहा था किसी तक अकेले बैठा रहूंगा, चलो चाय पीते है यहां की चाय बहुत फेमस है, और चल दिया आगे आगे .... जया स्तब्ध ही वहीं खड़ी रह गयी आनन्द ने मुड कर देखा जया नही आ रही थी उसका हाथ पकड़कर लाया अचानक आनन्द के हाथ पकड़ने से जया शरमा गयी और डर गयी आनन्द बोलता जा रहा था ,न जाने क्या क्या । जया को अब हसीं आ गई उसकी इस शरारत पर और वो भी चल दी उसके पीछे पीछे ,चाय का ऑर्डर देकर आनन्द जया से बोला आप इधर बेठिये मै चाय लाता हूं जया को बैठा कर आनन्द चाय लेने चला गया, जया अवाक सी बस उसे देखती रह गयी, कितना अजीब है ये इन्सान, वो सोच कर हस पड़ी और उसे देखती रही । दोनो चाय की चुस्की लेते हुए एक दूसरे को देखते और नजर चुरा लेते, आनन्द ने चुप्पी तोड़ी और बोला तुम क्या करती हो कहां से हो ,जया ने बताया उत्तर प्रदेश के एक गांव से है और पल्लवी की रूम मेंट है, दोनो इधर उधर की बाते करते रहे, घड़ी मे वक्त भी आठ से उपर हो चला था ।जया ने आनन्द से कहा मै जूही और पल्लवी सब को बुला कर लाती हूं, जया पार्लर मे भागी और आनन्द गाड़ी की तरफ गया, जया को गया हुए भी आधा घंटा हो गया था पर किसी का कुछ अता-पता नही था आनन्द ने अपनी दीदी को फोन लगाया कोई जवाब नही आया, तब उसने पल्लवी को फोन किया पल्लवी ने कहा बस पांच मिनट मे आये, फिर सब धीरे धीरे बाहर आये,बस जूही और पल्लवी ही ने सब से ज्यादा देर लगाई, अब सब घर की ओर निकल गए, रात के नौ बज गये मामा जी थोड़ा परेशान हो रहे थे, खाना खा कर सब मेहन्दी लगवाने बैठ गये कुछ नाच गाने लगे रात होते होते घर मे काफी उमंग और खुशी का माहौल था, आगे जाने के लिए बने रहिये हमारे साथ,.......... ‹ पिछला प्रकरणमुलाकात - 2 › अगला प्रकरण मुलाकात - 4 Download Our App