रहस्यमई हवेली - 1 गुमनाम शायर द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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रहस्यमई हवेली - 1

एक परिवार छुट्टियां बनाने की प्लानिंग करता है.. रोहन उसकी बीवी शगुन और दो बच्चे आदित्य और आदि...

शगुन कहती है के हम गांव के घर जाए
और दोनो बच्चे आदित्य और आदि बोलते है के हिल स्टेशन जाए।

बहुत देर तक बात चीत करने के बाद ये लोग ये फैसला करते है के हम अपनी पुश्तैनी हवेली जाएंगे।

रोहन शगुन हवेली जाने के लिए तैयारियां शुरू कर देते है.. दूसरे दिन उन्हें सुबह 6 बजे हवेली के लिए निकलना है ।

रोहन शगुन से कहता है के तुम सब के समान की पैकिंग कर लो अभी से....
शगुन सब के कपड़े पैक करती है.. खाने पीने का सामान लेती है और कुछ स्नैक और दवाई भी।

रात ज्यादा हो जाती है शगुन भी पैकिंग कर के थक जाती है और सोने के लिए अपने कमरे में चले जाती है।

दूसरे दिन सुबह सब 5 बजे नाश्ता कर के निकलने के लिए अपनी कार मैं जा कर बैठ जाते है। बच्चे बहुत ही खुश होते है रोहन और शगुन सारे बैग अपनी कार की डिग्गी मैं डाल देते है। और निकलने की तैयारी करते है।

रोहन कार सीट पर और शगुन इसके बाजू वाली सीट पर और दोनो बच्चे पीछे की सीट पर बैठ जाते है और हवेली के लिए निकल जाते है।

ये पूरा परिवार हस्ते खेलते गाने गुनगुनाते हुए सफर करते है और धीरे धीरे अपनी मंजिल की और बढ़ते रहते है।

सुबह से दोपहर हो गई सब को बहुत भूख लगी थी तो ये सब खाने के लिए किसी होटल मैं रुकते है और कुछ खा पी लेते है,,और फिर से सफर के लिए निकलते है ।

कुछ देर कार चलाने के बाद अचानक कार का टायर पंचर हो जाता है और रोहन कार साइट पर करके पंचर टायर चेंज करता है...और फिर से सफर के लिए निकल पढ़ते है,,जैसे जैसे ये हवेली के करीब जाते है... कुछ ना कुछ होता है अब आदि की तबियत खराब होने लगी
अचानक उसे उल्टियां होने लगी शगुन भी परेशान हो गई उसे दवाई दी और सुला दिया।

जैसे जैसे हवेली नजदीक आने लगी कुछ ना कुछ घटनाएं घट रही थी...और इन लोगो को कुछ समझ नही आ रहा था।

दोपहर से शाम होने लगी थी और जंगल के बीच से हवा को चीरते हुए कार चल रही थी..जंगल से अजीब अजीब आवाजे आ रही थी...और धीरे धीरे रात का अंधेरा बढ़ता जा रहा था।

रोहन भी थोड़ा थक गया था और बच्चे भी तो शगुन रोहन से कहती है के कही कार रोक कर खा लेते है और फ्रेश हो जाते है।

रोहन भी सर हिलाते हुए कहता है ठीक है
और कुछ दूरी पर जा कर उसे एक छोटा सा ढाबा दिखता है.रोहन अपनी कार वही रोक देता है और बच्चो सहित शगुन सब ढाबे के और बढ़ने लगते है।

जैसे ही ढाबे की और नजदीक जाते है एक पागल आदमी वहा रोहन की फैमिली की और आता है और कहता है लौट जाओ वरना सब मरोगे एक एक कर के...कोई नही बचेगा..सब मारेगे एक एक करके.लौट जाओ यहा से।

आगे का जानने के लिए मेरे साथ बने रहे
आगे की स्टोरी में