मेरा पहला सा इश्क भूपेंद्र सिंह द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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मेरा पहला सा इश्क

रात का वक्त है। यूएसए में एक बड़ी सी कंपनी में सबसे ऊपरी मंजिल पर एक तेईस वर्षीय विक्रांत बुंदेला नाम का लड़का अपने रूम में बैठा लैपटॉप में कुछ काम कर रहा रहा है। विक्रांत एक बेहद ही हैंडसम लड़का है, उसका रंग गोरा है, गोल मटोल सा मासूम सा चेहरा है, वरुण धवन जैसी उसकी बॉडी है, वो देखने में कोई हीरो जैसा लग रहा है। उसके बालों का स्टाइल उसे और भी हैंडसम बना रहा है। उसकी नजरें सिर्फ और सिर्फ लैपटॉप में है। इतने में दरवाजे के पास से किसी आदमी की आवाज आई " में आई कम इन सर।"
विक्रांत ने बिना उसकी और देखे कहा " येस प्लीज कम।" जैसे विक्रांत को पहले से ही मालूम था की वो कौन है?
वो आदमी विक्रांत के पास आया और बोला " सर आपने मुझे बुलाया था।"
अब विक्रांत ने अपनी नजरें लैपटॉप से हटाई और उस लड़के की और देखते हुए मुस्कुराकर कहा " तुम्हें मालूम है विनीत आज एक साल की कड़ी मेहनत के बाद मेरा ये बिजनेस का प्रोजेक्ट पूरा हुआ है।"
विनीत - " जी सर मुझे कुछ देर पहले ही पता चला था। कंग्रेटुलेशंस सर।"
विक्रांत - " थैंक्स। मुझे आज पूरा एक साल हो गया है यूएसए में इस स्पोर्ट्स इंडस्ट्री के प्रोजेक्ट पर काम करते हुए और आखिरकार आज मेरी मेहनत रंग ले ही आई। विनीत अब मेरी बात ध्यान से सुनो।"
विनीत - " जी सर।"
विक्रांत - " अब जहां यूएसए में छोटे मोटे काम ही बचे हैं जो तुम्हे संभालने है।"
विनीत - " सर आप फिक्र मत कीजिए। मैं जहां सबकुछ संभाल लूंगा।"
विक्रांत - " आज रात की ही मेरी इंडिया की टिकट बुक करो। मैं आज ही हैदराबाद जा रहा हूं।"
विक्रांत चेयर पर से खड़ा होते हुए खिड़की के पास जाकर मुस्कुराते हुए बोला " पूरे एक साल बाद मैं अपने घर हैदराबाद लोटूंगा। एक साल बाद वहां पर अपने ऑफिस को देखूंगा, वहां पर काम कर रहे सभी लोगों से मिलूंगा और सबसे बड़ी बात पुरे एक साल बाद अपनी बहन सनेहा से मिलूंगा न जाने वो एक साल में कितना बदल गई होगी। बहुत याद आती है उसकी।"
इतना कहकर विक्रांत की आंखे आंसुओ से भर गई। विक्रांत ने अपने आंसू पोंछते हुए कहा " विनीत तुम टिकट बुक करो।"
विनीत - " जी सर आप फिक्र मत कीजिए मैं अभी करता हूं।"
इतना कहकर विनीत वहां से चला गया।
विक्रांत अभी भी कुछ यादों में गुम सा होकर खिड़की के पास खड़ा है तभी उसका फोन में रिंग होने लग गई। विक्रांत टेबल के पास आया । उसके फोन में किसी का कॉल आ रहा है। ये देखकर उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई। कॉल उसकी प्यारी बहन सनेहा का था ।
विक्रांत ने जल्दी कॉल उठाया और बोला " हेलो।"
स्नेहा - " भईया आपको आखिर मेरा कॉल उठाने का टाइम मिल ही गया। आप तो बस अपने काम में ही खोए रहते हैं। बस महीने एक दो बार ही मेरा कॉल उठाते हैं। पता है भईया मुझे आपकी बहुत याद आती है।"
इतना कहकर स्नेहा रोने लग गई।
विक्रांत - " मेरी बहना अब रो मत। तेरे लिए एक बहुत ही गुड न्यूज है। मैं आज रात की फ्लाइट से ही इंडिया आ रहा हूं।"
स्नेहा - ( खुशी से) " भईया आप सच कह रहे हैं। आपका प्रोजेक्ट पूरा हो गया।"
विक्रांत - " मैं पूरी तरह सच कह रहा हूं। मेरा प्रोजेक्ट पूरा हो चुका है। मैं कल सुबह ही तुम्हारे पास आ रहा हूं।"
स्नेहा - " भईया मैं आपको बता नहीं सकती की मुझे ये सबकुछ जानकर कितनी खुशी हो रही है।"
विक्रांत - " स्नेहा अब आराम से खाना खाकर सो जा। ओके । मुझे भी सामान की पैकिंग करनी है। एक घंटे बाद में फ्लाइट है। गुड नाईट।"
स्नेहा - " भईया मैं आपका इंतजार करूंगी। गुड नाईट भईया।"
विक्रांत ने कॉल कट किया और अलमारी में कपड़े और कुछ और सामान निकालकर एक बैग में भरने लगा और फिर एयरपोर्ट की और निकल गया।

इंडिया। सुबह का वक्त। हैदराबाद में लगता है की आज की सुबह कुछ नए तरीके से ही निकली है। धूप भी बड़ी ही प्यारी प्यारी लग रही है। एक और चारों और से पेड़ो से घिरा हुआ बहुत ही सुंदर सा इलाका है। इस इलाके में सड़क के किनारे कई घर नज़र आ रहे हैं। सड़कों पर भी आवागमन ज्यादा नजर नहीं आ रहा है। सिर्फ पक्षियों के गूंजने की आवाजे आ रही है जो इस सुबह को और भी शानदार बना रही है।
इसी इलाके में सड़क के किनारे एक दो मंजिला छोटे और प्यारे से मकान में एक कमरे में अपने बेड पर एक चौदह वर्ष का लड़का सुधीर लेटा हुआ है। उसके पास में उसकी इकीस वर्ष की बहन बानी मेहरा हाथ में चाय का कप लेकर बैठी है और सुधीर को जगाने की कोशिश कर रही है।
बानी मेहरा बेहद ही खूबसूरत लड़की है। आंखे गहरी काली जो किसी को भी अंदर डूबा ले। गोल मटोल सा बहुत ही प्यारा चेहरा, लंबे सुनहरे से रंग के बाल जो उसकी कमर तक आ रहे है, वो उसे और भी खूबसूरत बना रहे है। आइस्क्रीम की तरह नाजुक और मुलायम सा बदन और बेहद ही गोरा रंग और गहरे लाल लाल होठ है जो किसी को भी पागल कर दे। ऐसे लगता है जैसे भगवान ने इस लड़की को अपने हाथो से बहुत प्यार से आराम से डिजाइन किया है और संसार की सारी खूबसूरती इसे ही दे दी है।
बानी ने अपने भाई सुधीर के सर को सहलाते हुए कहा " सुधीर सुबह हो चुकी है। अब उठ भी जा फिर स्कूल भी तो जाना है।"
सुधीर ने करवट लेते हुए कहा " दीदी प्लीज कुछ देर और सोने दीजिए ना।"
बानी - " सुधीर जिद मत करो। यू आर ए गुड बॉय। अब चुपचाप खड़े हो जाओ और चाय पी लो।"
सुधीर अपनी आंखे मसलता हुआ बेड पर बैठ गया और चाय का कप हाथ में पकड़ते हुए बोला " दीदी आप तो सुबह छह बजे ही मुर्गी की तरह उठ जाती है और मुझे भी सोने नही देती।"
बानी - " अब ज्यादा बहस मत करो। चुपचाप फ्रेश हो जाओ। मैं ब्रेकफास्ट तैयार करती हूं।"
इतना कहकर बानी किचन में चली गई और ब्रेकफास्ट तैयार करने लगी।
कुछ ही देर में सुधीर स्कूल जाने के लिए तैयार होकर वहां पर आ गया। दोनों बहन भाईयो ने ब्रेकफास्ट किया और फिर सुधीर की स्कूल बस आ गई और सुधीर स्कूल चला गया।
बानी ने अपना ऑफिस बैग उठाया और एक्टिवा लेकर ऑफिस की और निकल पड़ी। बानी ने पार्किंग में एक्टिवा पार्क की और ऑफिस के सामने जाकर खड़ी हो गई। कुछ देर के लिए तो बानी भी ऑफिस को देखकर हैरान रह गई क्योंकि आज ऑफिस को अच्छी तरह से सजाया गया था। पूरी की पूरी बिल्डिंग ऐसे लग रही थी जैसे रात में जुगनू चमक रहे हों। बानी धीरे धीरे ऑफिस के अंदर चली गई। सब लोग कुछ न कुछ तैयारियों में लगे हुए थे। इतने में किसी ने पीछे से बानी के कंधे पर हाथ रखा। बानी ने पीछे मुड़कर देखा और उसके चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गई क्योंकि पीछे उसी के साथ कंपनी में काम करने वाली उसकी बेस्ट फ्रेंड सोनाली खड़ी थी। बानी और सोनाली आपस में गले मिली और एक दूसरे को गुड मॉर्निंग विश किया।
बानी ने सोनाली की और हैरानी से देखते हुए कहा " आज सब लोग इस तरह ऑफिस को सजाने में क्यों लगे हुए हैं।"
सोनाली - " अरे बानी आज हमारी इस कंपनी के बोस अमेरिका से वापिस आ गए है। वो बस जल्द ही जहां पर आने वाले हैं। इसीलिए सब लोग उनके स्वागत की ही तैयारियों में लगे हुए हैं।"
बानी - " लेकिन सर विक्रांत बुंदेला जी तो एक साल से अमेरिका में थे ना।"
सोनाली - " उनका स्पोर्ट्स इंडस्ट्री का प्रोजेक्ट कल कंप्लीट हो गया है। इसलिए अब वो वापिस हैदराबाद आ गए हैं। तूं जानती नहीं है बानी मिस्टर विक्रांत कितना हैंडसम लड़का है। बानी तूने तो छ महीने पहले ही ये कंपनी ज्वाइन की है लेकिन मैं पिछले डेढ़ साल से जहां पर काम कर रही हूं। मैं तो विक्रांत सर को देखने के लिए बहुत एक्साइटेड हूं।"
इधर हैदराबाद के एयरपोर्ट पर बहुत से लोगों की भीड़ इक्ट्ठा हैं। सब लोग हाथों में गुलदस्ते और मालाएं लिए खड़े है। इतने में अंदर से एक बेहद ही हैंडसम लड़का मिस्टर विक्रांत बुंदेला चेहरे पर मुस्कुराहट लिए धीरे धीरे उस भीड़ की और बढ़ने लगा और जल्द ही उन सबके पास आकर खड़ा हो गया।
एक आदमी ने विक्रांत के हाथों में गुलदस्ता थमाते हुए कहा " सर यूर मोस्ट वेलकम इन हैदराबाद।"
विक्रांत ने गुलदस्ता पकड़ते हुए कहा " थैंक्स अंकल।"
एक आदमी - " बेटा आज ऐसा लग रहा है जैसे की हैदराबाद की रौनक वापिस आ गई है।"
दूसरा आदमी - " सर एक साल बाद आपको इंडिया में देखकर हमे बहुत खुशी हो रही है।"
विक्रांत - " थैंक्स सो मच।"
एक आदमी ने गाड़ी की और चलने का इशारा करते हुए कहा " सर पहले ऑफिस चलना है या घर पर जाना है।"
विक्रांत ने अपनी कलाई घड़ी की और नज़र दौड़ाई और बोला " स्नेहा आज कॉलेज गई है।"
एक आदमी - " जी सर स्नेहा मैडम कॉलेज से एक बजे तक वापिस आएगी।"
विक्रांत ने गाड़ी में बैठते हुए कहा " चलो ठीक है पहले ऑफिस चलते हैं।"
ड्राइवर ने गाड़ी ऑफिस की और निकाल दी।
ड्राइवर - " सर आप आज भी वैसे ही हंसमुख, हैंडसम और ऑनेस्ट नजर आ रहे हैं जैसा कि एक साल पहले नजर आते थे।"
विक्रांत - " लेकिन वीरेंद्र हैदराबाद काफी बदला बदला सा नज़र आ रहा है। मुझे तो ऐसे लग रहा है की जैसे किसी और ग्रह पर आ गया हूं।"
ये कहकर विक्रांत और ड्राइवर दोनों ही हंसने लगे।
ड्राइवर ने एक बड़ी सी बिल्डिंग के आगे गाड़ी रोकी। बिल्डिंग को अच्छे तरीके से सजाया गया था। दरवाजे पर कई लोग खड़े है जिनके हाथ में मालाएं हैं।
बानी और सोनाली भी दरवाजे के पास खड़ी थी। सोनाली ने धीरे से बानी के कान में कहा "बानी देखना अब गाड़ी में से एक बहुत हैंडसम लड़का उतरेगा वही है विक्रांत बुंदेला। मैं तो बॉस को देखने के लिए बहुत एक्साइट हुए जा रही हूं। "
बानी - " खुद पर थोड़ा सा कंट्रोल रख। नहीं तो तुझे खुशी के मारे हार्ट अटैक आ जायेगा।"
इतने में गाड़ी की खिड़की खोलकर विक्रांत नीचे उतरा। ऑफिस में काम करने वाली सभी लड़कियां विक्रांत की और एकटक देखती ही रह गई।
विक्रांत दरवाजे पर पहुंचा। दरवाजे पर एक लाल रंग की रिबन बंधी हुई थी। एक आदमी ने विक्रांत की और हाथ बढ़ाते हुए कहा " सर वेलकम इन हैदराबाद।"
विक्रांत ने उसके साथ हाथ मिलाते हुए कहा " थैंक्स।"
विक्रांत ने कैंची से रिबन काटी और फिर सब लोग क्लैपिंग करने लगे।
एक लड़की ने विक्रांत में माथे पर तिलक लगाया और फिर बर्फी का एक टुकड़ा विक्रांत को खिला दिया। इसके बाद सब लोग एक दूसरे को मिठाइयां खिलाने लग गए।
विक्रांत अपने केबिन में गया और कंप्यूटर के आगे पड़ी चेयर पर जाकर बैठ गया तभी एक लड़का उसके पास आकर खड़ा हो गया।
विक्रांत - " सुरेश जहां का काम कैसा चल रहा है?"
सुरेश - " सर काम बहुत अच्छे से चल रहा है। हमारी कंपनी ने पिछले छः महीनों में बहुत तरक्की की है।"
विक्रांत ने की बोर्ड को चलाते हुए कंप्यूटर की स्क्रीन पर नज़र दौड़ाते हुए कहा " हमारी तरक्की का एक मैंन रीजन ये बास्केट बॉल की टीम है। इस टीम को तैयार किसने किया है?"
सुरेश - " सर एक बानी नाम की लड़की है। सर हमारे इस ऑफिस में सबसे मेहनती लड़की बानी ही है। उसी ने ये बास्केट बॉल की टीम को दिन रात मेहनत करके तैयार कीया है।"
विक्रांत - " बानी?"
सुरेश - " जी सर। उसने छः महीने पहले ही हमारी कंपनी को ज्वाइन किया है। वो मुंबई में अपने छोटे भाई सुधीर को लेकर काम की तलाश में आई थी। जब मेरी उसके साथ मुलाकात हुई तो मैंने उसका हुनर देखकर उसे हमारी कंपनी में जॉब पर रख लिया। सर उस लड़की के आने के बाद ने हमारे बिजनेस की बहुत सी नई बारांचेस ओपन हो गई हैं।"
विक्रांत कंप्यूटर की स्क्रीन की और देखते हुए बोला " हमे ऐसी ही मेहनती लड़कियों की जरूरत है। बानी अपनी फैमिली के साथ मुंबई में सिफ्ट हुई है?"
सुरेश - " सॉरी सर लेकिन बानी के माता पिता अब इस दुनिया में नहीं रहे।"
ये सुनकर विक्रांत की आंखे भी थोड़ी सी नम हो गई और वो अपने माथे पर हाथ रखते हुए बोला " ओह। मैं समझ सकता हूं की माता पिता के चले जाने के बाद एक इंसान पर क्या बितती है। खैर छोड़ो, मुझे अभी बानी से मिलना है।"
सुरेश - " ओके सर।"
इतना कहकर सुरेश बानी के केबिन में चला गया।

सतनाम वाहेगुरु।।