बन्धन प्यार का - 20 Kishanlal Sharma द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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बन्धन प्यार का - 20

हिना मा के साथ मेट्रो में बैठ गयी थी।
नरेश जनता था उसकी माँ को पूजा पाठ में बहुत समय लगता है।इसलिए मा से बोला,"जल्दी तैयार हो जाना
"क्यो
"चलना है
"कहा
"तुम्हे पार्क ले चलूंगा
"क्या मुझे पार्क देखने के लिए इतनी दूर से बुलाया है"।मीरा बोली,"मन्दिर या कोई दूसरी जगह ले चलता
"मम्मी।सब जगह तुम्हे ले चलूंगा।अब तो यही रहना है
"जैसी तेरी मर्जी
और मीरा नहा धोकर पूजा करके तैयार हो गयी थी।नरेश अपनी माँ के साथ मेट्रो स्टेशन पहुंचाथा।मीरा बोली,"दिल्ली में भी मेट्रो है लेकिन यह और भी अच्छी लग रही है
नरेश मा को लेकर हाईड पार्क पहुंचा था।मीरा को पार्क काफी पसंद आया था।वह उस जगह गया जहाँ उसने हिना को बुलाया था।हिना अपनी माँ सलमा के साथ पहले ही आ चुकी थी।
"Hay नरेश हिना को देखकर बोला था।हिना ने कोई प्रतिक्रिया नही दी बस मुस्करा दी थी
"मा यह हिना है।यह पाकिस्तान से है,"हिना का अपनी माँ से परिचय कराते हुए नरेश बोला,"और यह मेरी माँ है
"माँ यह नरेश है"हिना अपनी माँ का परिचय कराते हुए बोली
"क्या तुम साथ काम करते हों?"मीरा ने बेटे से पूछा था
"नही,"नरेश बोला,"मैं अलग कम्पनी में हूँ और हिना अलग में
"फिर तुम दोनों की मुलाकात कैसे हुई?"
"ट्रेन में
और नरेश ने अपनी माँ को बताया था कि वे कैसे मिले थे
"तो क्या पार्क में मुझे हिना से मिलाने के लिए लाए हो
"हा माँ,"नरेश बोला,"मैं हिना को चाहता हूँ।उससे प्यार करता हूँ और उसे तुम्हारी बहु बनाना चाहता हूँ।"
नरेश कि बात सुनकर मीरा ने हिना की तरफ देखा था।सलमा अपनी बेटी की तरफ देखते हुए बोली,"क्या कह रहा है नरेश
"सही कहा है।मैं भी नरेश से निकाह करना चाहती हूँ
"नरेश हिन्दू है
"हा मा नरेश हिन्दू है
"तो वह तुझसे निकाह करने के लिए मुसलमान बनेगा
"नही मा
"तो तूने अपना धर्म परिवर्तन करके हिन्दू बनने का फैसला कर लिया है
"नही मा मैने ऐसा कोई फैसला नही किया है"हिना बोली,"निकाह करने के लिए दोनों का धर्म एक होना चाहिए।।मुसलमान लडक़ी का निकाह मुसलमान लड़के से ही हो सकता है
"सही कह रही हो बहन,"सलमा कि बात सुनकर मीरा बोली,"हमारे धर्म मे भी शादी के लिए दोनों का हिन्दू होना जरूरी है
"शादी का धर्म से क्या लेना देना।शादी तो मर्द औरत कि होती है"नरेश बोला,"क्या दूसरे धर्म के लोग शादी नहीं करते
"जमाना बदल गया है,"मीरा बोली,"आजकल अलग अलग धर्म के मर्द औरत खूब शादी कर रहे है
"जमाना कितना ही बदल गया हो।लेकिन मैं तेरा निकाह अपने ही मजहब के लड़के से करूँगी
"हमारे मजहब में जरा जरा सी बात पर तीन बार तलाक बोलो और औरत को घर से बाहर निकाल दो।बच्चा पैदा न कर सके तो सौतन ले आओ।हलाला कराओ"हिना तीखे स्वर में बोली,"हिंदुओ में ये तो नही होता।एक बार जिससे शादी हो गयी।पूरी जिंदगी उसकी रहो न तलाक,न सौतन न हलाला
"बेटी मानती हूँ।हमारे मजहब में बहुत सी कमी है।बुराई है।लेकिन यह किस मजहब में नही होती,"सलमा बेटी को समझाते हुए बोली,"कमी या बुराई कि वजह से कोई मजहब तो नही छोड़ देता
"मैं भी अपना मजहब नही छोड़ रही।मुसलमान पैदा हुई हूँ औऱ मुस्लिम ही रहूंगी
"फिर क्यो हिन्दू लड़के से निकाह करने की बात कर रही है
"शादी तो मैं नरेश से करूँगी
"अपने मजहब के लड़के से निकाह में क्या बुराई है
"माँ तूने अपने ही मजहब के लड़के से निकाह किया था