इश्क़ होना ही था - 24 Kanha ni Meera द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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इश्क़ होना ही था - 24

** ओम नमः शिवाय **


** इश्क़ होना ही था part- 24 **

अभी तक हमने देखा की दिया बालकनी में जाती है और अक्षत अपने पापा से बात कर रहा था। वो दिया सुन लेती है और दिया अक्षत से पूछने लगती है की क्या बात है...

"पप्पा मुझे घर आने को कह रहे थे..."

अक्षत बोलता है...

" हां तो यहाँ से सीधा तुम घर चले जाना..."

दिया बोलती है...

"पर में घर नहीं जाना चाहता..."

अक्षत उदास हो कर बोलता है...

"क्यू..."

दिया बोलती है....

"बहोत बड़ी बात है...."

अक्षत बात टालने के लिए बोलता है...

"वैसे भी अभी मुझे नींद नहीं आ रही..."

दिया बोलती है और अक्षत के सामने स्माइल कर देती है...

"तुम्हे जानना ही है..."

अक्षत बोलता है तो दिया हां में इसारा करती है...

"पहले से ही मम्मी-पप्पा के झगड़े बढ़ रहे थे, लेकिन 3 साल पहले ही उन लोगों ने तलाक लेने का निर्णय किया था। उनका अलग होने के बाद, मम्मी ने मुझे उनके पास रेहनो को बोला और पापा ने उसके पास...""

अक्षत दिया के सामने देखता है और बोलता है...

"फिर तुमने क्या किया...?"

दिया बोलती है...

"मेने पहले ही बोल दिया था अगर रहुगा तो में दोनों के साथ ही नहीं तो में कही और चला जाउगा..."

अक्षत बोलता है...

"फिर..."

दिया बोलती है...

"फिर में मिताली के घर आ गया और थोड़े टाइम बाद में हैदराबाद चला गया और खुदका बिज़नस चालू किया और जब ये बात शिव को पता चला तो वो भी मेरे साथ आ गया..."

अक्षत फिरसे बोलता है...

"एक बात पूछना चाहुगी अगर बुरा ना मानो तो..."

दिया बोलती है...

"अभी तो दोस्त बोला और अब पूछ रही हो..."

अक्षत बोलता है...

"उनके अलग होने का भी कोई कारन होगा ना...."

दिया बोलती है...

"जब में छोटा था उन दोनों के बिच बहोत झगड़े होते थे और कही बार मेने ये भी सुना है की वो सिर्फ मेरी वजह से ही साथ है नहीं तो वो कब के अलग हो जाते...

फिर जब वो अलग होने का निर्णय ले रहे थे तभी मेने पूछा था पर बस एक ही जवाब मिलता है तेरी वजह से ही साथ है..."

अक्षत बोलता है...

"तुम कब आखरी बार अपने मम्मी पप्पा से मिले थे..."

दिया बोलती है...

"मिताली की सादी में आये थे। तब मिला था पर मेने कोई बात नहीं की थी..."

अक्षत बोलता है...

"तुमें एक बार अपने मम्मी पप्पा के साथ बेथ कर बात करनी चाहिए और उन्हें समझना चाहिए...

हो सकता है ना कही कोई इसी बात हो जो तुम्हे ना पता हो..."

दिया बोलती है...

"हां चलो में जाता हु सोने के लिए...

good night..."

अक्षत इतना बोल कर वहा से चला जाता है, वो दिया के जवाब की भी राह नहीं देखता...

दिया समज जाती है की अक्षत को उसकी ही बात बुरी लगी है और इसी वजह से ही वो चला गया....

"उसके चहेरे पर ही आज उदासी दिखी नहीं तो हमेसा ही खुश रहता है...

में हमेशा ये सोचती की बुरा सिर्फ मेरे साथ ही होता है...

अक्षत जो हमेशा सबको खुश करने की कोशिश करता है, पर उसके मन में ही बहोत सारी बाते है..."

दिया अपने मन में सोचती है और वो भी थोड़ी देर में जा कर सो जाती है...

अक्षत जो अपने रूम में जा कर कही ना कही सारी पुरानी बातो में ही खो गया था जिस बातो को भूलने के लिए वो इतना दूर रहा वही बाते फिरसे उसे याद आ गयी...

*****

आज भी सब जल्दी ही तैयार हो कर निचे आ जाते है...

अहाना के पैर में दर्द बहोत कम हो गया था फिर भी शिव उसके साथ ही रेहता है...

"आज कहा जाना है..."

अहाना बोलती है...

"आज हम seven sisters waterfall देखने के लिए जायेगे..."

सुमित बोलता है...

"मुझे अक्षत से बात करनी है पर सबके सामने कैसे...?"

दिया अपने मन में सच ही रही थी तभी अहाना उसका हाथ पकड़ के उसे सामने देखने का इसारा करती है...

seven sisters waterfall देख के दिया उसे देखती ही रहती है और जब वो बाजु में खड़ी अहाना का हाथ पकड़ ती है तो उसे ये तो समज आ जाता है की ये अहाना नहीं है जल्दी से वो बाजु में देखती है तो वो अक्षत होता है...

अहाना जो शिव के बुलाने पर उसके पास चली गई थी और अक्षत वहा आके खड़ा हो गया था...

"सोरी..."

दिया बोलती है जल्दी से उसका हाथ छोड़ देती है...

"कोई बात नहीं...."

अक्षत बोलता है...

"सोरी..."

दिया बोलती है...

" अरे कोई बात नहीं..."

अक्षत बोलता है...

"ये सोरी कल की बात के लिए..."

दिया बोलती है और अक्षत कुछ बोले उसे पहले ही शिव आता है और दोनों को फोटो खिचवाने के ले जाता है...

रात को जल्दी ही सब अपने रूम में पहोच जाते है...

दिया फ्रेश हो कर बाथरूम से बहार आती है और जब अहाना को बात करते हुए देखती है तो वो बालकनी में चली जाती है...

अक्षत जो पहले से ही अपनी बालकनी में बैठा था और वो भी दिया का ही इंतज़ार कर रहा था...

"हैलो अक्षत..."
दिया बोलती है...

"हाय दिया..."
अक्षत बोलता है...

"क्या तुम नींद नहीं आ रही..."

दिया बोलती है...

"नहीं , मेरे लिए तो रोज़ का ही है..."
अक्षत बोलता है...

"कैसे, रोज़...?"
दिया बोलती है...

"अरे, मेरे काम में ऐसा ही होता है, रोज़ लेट हो जाता है, जब काम नहीं होता तो तभ भी अब नींद नहीं आती...

और तुम क्यों जाग रही हो..."
अक्षत बोलता है...

" अहाना के पैर में वैसे ही दर्द है और वो शिव से बात कर रही है...

उसने बोला की में बालकनी में बेथ जाती हु पर मेने ही उसे रूम में बैठने को बोला..."

दिया बोलती है...

"क्या तुम लगता है की ये दोनों सिर्फ दोस्त ही है..."

अक्षत बोलता है...

"अभी अहाना तो दोस्त ही कहती है..."

दिया बोलती है...

"शिव भी अभी वही कहता है..."

अक्षत बोलता है...

"कल की बात के लिए फिर से सॉरी..."
दिया बोलती है...

"क्या अक्षत अभी भी दिया से नाराज़ है...?"

"अहाना और शिव की सिर्फ दोस्त ही है...?"

अक्षत और दिया की इस कहानी में आगे क्या होगा ये जाने के लिए बने रहिये मेरे साथ ....

इश्क़ होना ही था ....

अगर मेरी कहानी आपको पसंद आये तो मुझे कमेन्ट कर के जरूर बताना ...

इश्क़ होना ही था का part -25 आपके सामने 3 february को आ जायेगा ...