इश्क़ होना ही था - 21 Kanha ni Meera द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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इश्क़ होना ही था - 21

** ओम नमः शिवाय **


** इश्क़ होना ही था part- 21 **

अभी तक हमने देखा की सब होटल तो पहोच जाते है पर थकावट की वजह से अपने अपने रूम में जी खाना मंगवा लेते है...

सब सो जाते है पर अहाना जिसे नींद ही नहीं आ रही थी तो वो सही को फोन करती है पर शिव नींद में होने के वजह से उसे कल बात करने को बोलता है, पर इस बात से अहाना गुस्से से फोन काट देती है...

"मेने ही क्यों बुक ऐसे रूम बुक करवाए...

कल ही मना लूंगा में....

पर अभी नहीं गया तो बहोत गुस्सा करने वाली है...

क्या ही करू में...?"

शिव जो अपने मन में सब सोचता ही जा रहा था तभी वो अपना बेल्केट ओढ़ लेता है और आज की इतनी थकावट थी की उसे नींद आ जाती है और उसे खबर ही नहीं रहती की वो कब सो गया...

अहाना जसे लगा की उसके गुस्सा करने से शिव अभी ही आ जायेगा वो बाल्कनी यहाँ से वहा चककर लगा रही थी पर जब वो चलते चलते थक गयी तो वो जेक खुर्सी पर बेथ जाती है और उसे वही पर ही नींद आ जाती है....

"अब तो अहाना सपने में भी गुस्सा करने लगी है..."

शिव की जब आँख खुलती है तो पहले तो वो मुस्कुराता है और सोचने लगता है...

पर तभी उसे कुछ समज आने लगता है, तो जल्दी से अपना फोन देखता है, तो उसमे सचमे अहाना का कॉल देख कर जल्दी से बेल्केट एक बाजु करता है और बालकनी में जाने लगता है...

वहा जाते ही उसकी नज़र आराम से सो रही अहाना पर जाती है और शिव की नज़ारे जाने उसे देख कर ही ढहेर सी जाती है और थोड़ी देर तक शिव अहाना को ही देखे जा रहा था...

उन दोनों बालकनी के बिच से जुडी हुई थी और शिव ये देख कर मुस्कुराता है और अहाना की बालकनी में चला जाता है...

अहानाजो शिव के आने से अनजान वो तो आराम से अपनी खुसी पर सो रही थी...

शिव धीरे से अहाना के पास जा ही रहा था तभी उसका पैर किसी चीज से टकराता है और उसकी हलकी सी चीख निकल जाती है...

अहाना जो ये आवाज सुन कर उठ जाती है और अपने सामने शिव को देख कर चौक जाती है, पर जब वो शिव को अपना पैर सहलाते हुए देखती है। तो सीधा उसके पास चली जाती है और उसे खुर्सी पर बैठने में हेल्प करती है...

" तुम ठीक तो हो ना..."

अहाना चिंता करते हुए बोलती है...

"हां मुजे लगता है अब में चल नहीं पाउगा..."

जब शिव अहाना को इस तरह देखता है तो उसे ये बहोत अच्छा लगता है और उसे दर्द तो नहीं हो रहा था फिर भी बोलता है...

" रुको में अभी सबको बुलाके आती हु..."

अहाना बोलती है और वहा से जा ही रही थी तभी शिव जल्दी से उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक देता है...

"क्या हुआ...?"

अहाना सवालिया नज़रो से शिव को देखने लगती है...

"में तो मज़ाक कर रहा था मुझे इतना कुछ नहीं लगा.."

शिव जो और भी मज़ाक करना चाहता था पर अहाना को अपनी वजह से और परेशान होते हुए नहीं देख सकता था...

ये सुन कर शिव ने अहाना का जो हाथ पकड़ा था वही हाथ खींच कर अहाना उसे खुर्सी से खड़ा कर देती है और वो अपना मुँह फुलके वहा पर बेथ जाती है...

"एक तो मेरे बुलाने पर तुम आये नहीं और फिर अब मुझे परेशांन कर रहे हो..."

अहाना नाराज़ होते हुए बोलती है...

"अरे अब मुझे माफ़ ही करदो ना...

में बहोत थका हुआ था और इसी वजह से मुझे नींद आ गई..."

शिव बोलता है, पर अहाना जो शिव क सामने ही नहीं देखती...

शिव बहोत कोशिश करता है अहाना क मनाने की पर वो मानती ही नहीं है...

अहाना को मनाने के लिए आखिर में वो अपने घुटनो पर बेथ जाता है और ये देख कर अहाना भी मनो मन खुश हो रही थी की शिव उसके मनाने के लिए कितनी कोशिश कर रहा है...

"शिव तुम यहाँ क्या कर रहे हो..."

वो अपने खुटणो पर बैठता है और कान पकने ही वाला था तभी अक्षत बालकनी में आ कर बोलता है...

"इसको भी अभी आना था...

खुद तो कुछ नहीं करता और मेरी कहानी को भी आगे नहीं बढ़ने देता..."

शिव अपने मन में बोलता है...

"शिव तुजे पूछ रहा हु..."

अक्षत फिरसे बोलता है...

" अरे मुझे नींद नहीं आ रही थी, तो में बालकनी में आया तो यहाँ अहाना भी बैठी थी। इसी वजह से मेने सोचा यहाँ साथ में बैठते है..."

शिव बोलता है...

" पर तू इस तरह क्यों बैठा है..."

अक्षत बोलता है...

"यहाँ पर एक ही खुर्सी थी इसी वजह से..."

शिव कुछ सोचता है, फिर बोलता है...

"तू क्यों जागा...?"

शिव बोलता है...

" मेरी आंख खुली तो देखा तू बाजु में नहीं था और बालकनी से कुछ आवाज आयी इसी वजह से में देखने आया..."

अक्षत बोलता है...

"तुम सब यहाँ क्या कर रहे हो..."

दिया जो पीछे से आते हुए बोलती है...

"बस आपकी ही तो कमी थी..."

सही बोलता है और ये सुन कर अहाना धीरे धीरे हसने लगती है पर दिया को कुछ समज नहीं आता है...

"अरे कुछ नहीं मेरी आंख खुली सही नहीं था तो में यहाँ देखने आया की ये कहा है...

तुम तो बहोत थक गयी थी ना तो तुम क्यों जागी...?"

अक्षत दिया को कहता है...

"अरे यहाँ इतनी आवाज आ रही थी इसी वजह से..."

दिया बोलती है...

तभी अहाना शिव को देखने लगी पर शिव जिसका दयान अक्षत पर था और अक्षत जो बस दिया को ही देखे जा रहा था...

"मुझे नींद आ रही है... "

ये बोल कर अहाना जो दिया का हाथ पकड़ कर वहा से रूम के तरफ जाने लगती है...

"चारोअब क्या करेंगे...?"

" शिव क्या अहाना को मना पायेगा...?"

" अक्षत और दिया की क्या कोई बात होंगी...?"

अक्षत और दिया की इस कहानी में आगे क्या होगा ये जाने के लिए बने रहिये मेरे साथ ....

इश्क़ होना ही था ....
अगर मेरी कहानी आपको पसंद आये तो मुझे कमेन्ट कर के जरूर बताना ...

इश्क़ होना ही था का part -22 आपके सामने 3 February को आ जायेगा ...