किन्नर अफ़सर Dr Sunita Shrivastava द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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किन्नर अफ़सर



मनीष कोटा का निवासी साधारण सा संस्कारी गरीब घर का बेटा, मम्मी पापा तो कैंसर से खतम हो गए पैसे के कमी के कारण इलाज करने के लिए असक्षम थे। रोज दफ़्तर जाता सिर्फ महीने के ₹15,000 मिलते किन्नर संतान थी। घर में उसकी बहुत ही सहयोगी बीवी अंजू और पैदाइशी किन्नर संतान मीतू, यह परिवार गरीब ही सही पर बहुत अच्छी सोच और नैतिक मूल्यों से भरा हुआ था। दोनों माता-पिता अपनी प्रिय हुनहार किन्नर संतान का खूब अच्छा खयाल रखते थे। आज सोमवार था पूर्व संध्या का समय था रोजाना की तरह थका हुआ लाचार मनीष जैसे ही घर के अंदर आया तो हैरतंगेज रह गया मानो वह डिप्रेशन में चला गया हो! घर में पूरा समान बिखरा देख घबरा गया, उसने अंजू और मीतू को आवाज़ लगाई कई बार फोन भी करा पर अंजू और मीतू का कोई अता-पता नहीं था। वह सोचा अंजू बाजार गई होगी और मीतू भेस बदलकर लाइब्रेरी गई होगी पर फिर भी नहीं समझ पा रहा था की समान केसे बिखरा है? वह जानता था कि मीतू अपनी मम्मी से किसी हाल में नहीं लड़ झगड़ सकती। हार कर मनीष कुर्सी पर निडाल होकर बैठ गया। कब नींद ने आ कर घेरा पता ही नहीं चला।रात के बारह बज चुके थे अंजू रोते हुए घर आई और अंजू ने उसे उठाया तो वह चौंका अंजू बहुत घबराई हुई नजर आई अंजू ने कहा अपनी हुनहार मीतू को उस नालायक विजयवर्गीय नेता के बेटे की बत्मीजी के कारण पुलिस को रिश्वत देकर पकड़ कर ले गई है...!!!!!!
मनीष ने फॉरन अपनी साइकल निकाली और अंजू को पीछे बिठाकर वह सोनू के थाने के लिए रवाना हो गए। सोनू, मीतू का बहुत करीबी था वे उसे बहुत चाहता था क्योंकि मीतू किन्नर होकर कितना बड़ा सराहनीय कार्य कर सकती है यह देखकर सोनू ने मीतू का दिल जीत लिया और इसलिए पूरे शहर में मीतू के माता पिता, उसके टीचर्स के साथ यही एक लड़का उसका मित्र था यह मीतू का पड़ोसी था और उम्र 9 वर्ष बड़ा।केसे तो भी दोनो मिया-बीवी थाना पहुंच गए।
रात के सवा दो ही होने वाले थे आईपीएस साहब (सोनू) ओवरटाइम कर निकल ही रहे थे पर उनकी टेबल पर चाय गिर गई थी वह उसे साफ कर रहे थे क्योंकि सफाई कर्मचारी रात ग्यारह बजे ही निकल जाते हैं।
कुछ ही देर में चलने की जोरों खट-खट की आवाज आई देखा तो मनीष और अंजू अपनी मीतू की तलाश में थाने पहुंचे। थाने में मौजूद सभी लोग चोक गए वह अंजू और मनीष को बिना अपॉइंटमेंट या एफआईआर दर्ज करे सबसे बड़े अफसर आईपीएस अधिकारी साहब सोनू के कक्ष में प्रवेश कर चुके थे। तभी अंजू और मनीश गिड़गिड़ाते हुए बिना किसी औपचारिकता के साथ और रोते हुए इंस्पेक्टर साहब के सामने कहने लगे: साहब क्या हम लोगों को जीने का हक नहीं है? क्या किन्नर (थर्ड जेंडर) भी मनुष्य नही है? आप तो उसे बचपन से बड़ा चाहते थे अब क्या हुआ नेता के रिश्वत के लालच में आ गए, कितने पैसे खाए आपने? मनीष बोला सामने वाला नेता का मूर्ख बेटा प्रिंस मीतू को रोज ही चिढ़ाता और छेड़ता था आज तो हद हो गई वो अंजू के सामने उसको खींचकर ले गया और जब उसने मदद के लिए शोर मचाया तो एक बुड्ढे ने पड़ोस के थाने से पुलिस को बुला लिया दुर्भाग्यवर्ष वह थाना उस नेता के राज्य क्षेत्र में आता था तो सारे पुलिस वाले मिले-जुले हुए थे । आईपीएस साहब बताते है विजयवर्गीय कोटा का सबसे भ्रष्ट और बदनाम नेता है उसका बेटा प्रिंस बहुत बड़ा शैतान गुंडा है पर हमीशा उसके क्षेत्र के राज के अंदर आने वाले थानों के पुलिस कमिश्नर को रिश्वत दे कर अपने बेटे प्रिंस को रिहा करवाता हैं उस नेता और उसके बेटे का खोफ पूरे राज्य में फैला हुआ था उसकी पत्नी की भी हत्या उसी ने ही की थी मुझे तो कुछ नहीं पता था और मेने उसे गिरफ्तार नही किया। अंजू बोली नेता का बेटा है तो क्या हुआ इससे अच्छी तो मेरी किन्नर संतान है वह दिन रात एक कर यूपीएससी की तयारी कर रही है और कल उसका इंटरव्यू है। अंजू हवलदार साहब को पूरा सिलसिला बताती है, वह कहती है प्रिंस ने कहा 'मीतू मर्द है या औरत यह देखना चाहता हूँ' सबके सामने उसके कपड़े फाड़ने लगा सब जानते थे की नेता का बेटा है इसलिए चुप चाप तमाशा देखने लगे और नेता का समर्थन करने लगे, वह बुड्ढा तो पुलिस के साथ थाना चला गया। फिर नेता के सिक्योरिटी गार्ड ने तो अंजू के साथ मारपीट भी करी और घर पर सारा सामान फैला दिया। और अंजू मीतू की तलाश में कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने लगी वह पुलिस से विनती करने लगी की प्लीज हमारी मदद करे। यह सब सुनकर आईपीएस साहब से भी रहा नहीं गया वे भावुक हो उठे और उन्हें पहली बार अपने कार्यकाल में अनौपचारिकता को महसूस किया और खुद वह बोले: में आपको बचपन से जनता हु सब पता है किस मुश्किल से आप गुजरे हैं और मीतू कितनी हुनहार है में समझ सकता हु की केसे आपने उसे स्कूल भेजा होगा वो तो सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल ने अपना बड़ा दिल दिखाकर एक किन्नर को स्कॉलरशिप देकर अनजाने में कितनी बड़ी क्रांति शुरू करी हैं। और कितनी मुश्किल से सरकारी स्कूल में एडमिशन करवाया था, मेने उसके फ्रेंड्स से सुना है की उसे सब हिजड़ा हिजड़ा चिडाते थे पर वह आपके परिवार के नैतिक मूल्यों की प्रशंसा करती थी और अपने इन दोस्तो की नकारात्मक सोच को हमिशा नकारती और में उन सभी गुरुओं को नमन करता हु जो आज के इस युग के एक किन्नर को बिना भेदभाव के पढ़ाते थे। यह सुनकर माता पिता को तो चेन नही मिला। पर फिर उनकी यह हालत देख सोनू ने अपनी नींद त्याग कर किसी को फोन करा और फौरन कारवाई शुरू करने की घोषणा की। सभी पुलिस अधिकारियों को सूचित करने के बाद वह प्रेस रिपोर्टरों की टीम बनाता कोटा के कलेक्टर और पूरी टीम के साथ नेता के घर प्रात: 5 बजे पूरी टीम पहुंची! नेता की नींद खुली और देखा तो उसके बेडरूम में उसे गिरफतार करने पूरी टीम मौजूद थी वह समझ नही सका की केसे यह मुझे गिरफ्तार करने आ गए क्योंकि नेता द्वारा कल ही इनका पेसो से पेट भरा था, वह मन ही मन में सोचा। और जैसे ही सोनू आईपीएस ने उसकी आंखे खुलते हुए देखा तो हिरासत में उसे ले लिया, वह नेता भी चुप चाप अपनी गलती स्वीकार कर चल पड़ा क्योंकि सोनू इंस्पेक्टर को वह जानता था हमेशा सोनू द्वारा करवाई बहुत तगड़ी होती थी। उसी इंस्पेक्टर के वकील द्वारा सुप्रीम कोर्ट में केस दर्ज करने हेतु आवेदन दिया। मीतू को प्रिंस के कमरे की अलमारी में बंद पाया गया और सबसे पहले मीतू रोते हुए इंस्पेक्टर और माता पिता सहित सकुशल घर पहुंचे। पर अब तो यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। अब तो नेता और उसके बेटे प्रिंस का कोई नहीं था बस सरकार द्वारा एक वकील और उसे बचाने हेतु और कोई नहीं। नेता और बेटा तो कोर्ट की करवाई से पहले ही मन ही मन में हार चुका था। जैसे ही चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया द्वारा करवाई शुरू हुई सोनू, मीतू, अंजू और मनीष बहुत कांफिडेंट थे वे सभी सबूतों के साथ मौजूद थे। माता पिता बताते हैं कि देखिए जज साहब हमारी किन्नर संतान द्वारा यूपीसीएस प्रेलिम्स एग्जाम में टॉप किया है और आज इसका इंटरव्यू था एवम 10th बोर्ड में अव्वल आई थी, यह देखिए रिजल्ट। पूरी सभा हैरान रह गई की एक किन्नर में ऐसी काबिलियत भी हो सकती हैं। फिर जज द्वारा फैसला सुनाया जाता है की नेता को तो फासी की सज़ा मिलनी चाहिए, और जेसे ही जज साहब द्वारा प्रिंस को सज़ा देनी की घोषणा होती है तो मितु चिलाने लगती की प्लीज़ इसे सज़ा मत दो यह अपने पिता से तो कई खराब अदादते सिख चुका है किंतु यह मानसिक रूप से ठीक नही हैं और साइकोलॉजिकल डिसऑर्डर से पीड़ित है इसलिए यह ऐसी बत्मीजी करता है नही तो पढ़ाई में अच्छा हैं। मीतू जज साहब से विनती करती है कि इसे सज़ा नही इलाज की जरूरत हैं। जज द्वारा शासन के खर्चे से प्रिंस का इलाज होता हैं। और वाकई मीतू सही थी वह मानसिक तनाव के कारण यह सब करता था और उसके पिता के खोफ के कारण।
उसके ठीक होने पर कोटा के अनाथाश्रम में उसे भेजा जाता है। उसे अनाथाश्रम से एमबीबीएस का कोर्स करवाया जाता हैं और 32 की उम्र के वह गुंडा, डाकू, भ्रष्ट नेता का बेटा एक सफल संस्कारी डॉक्टर में परिवर्तित केसे हो जाता यह देखकर सभी उस किन्नर मीतू की प्रशंसा करते हैं। पांच वर्ष बाद मितू और प्रिंस की अनौपचारिक रूप से मुलाकात होती है गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर दोनो ही मित्रो को पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा होती है वह दोनो के उलखनीय कार्यों के कारण मीतू को पहली किन्नर IAS और वह बाद में प्रसिद्ध साहित्यकार भी बनती है वह 10 से अधिक पुस्तके लिख चुकी थी।और के साथ प्रिंस को 1000 वायरल इफेक्शन से पीड़ित किन्नरों का मुफ्त इलाज हेतु यह पुरस्कार दिया जाता हैं। इस अवसर पर प्रिंस महामहिम राष्ट्रपति जी और सभी वरिष्ट नेताओ के समस्त यह बताते हुए गोरवांवित होता है की उसकी सहपाठी एक किन्नर थी उसका नाम मीतू था और आज वह देश की पहली किन्नर है जो की इस पुरस्कार से सम्मानित होगी वे एक कलेक्टर के पद पर कार्यरत थी, प्रिंस बताता है हमारे इतिहास में राजा राम मोहन राय द्वारा सती प्रथा पर प्रतिबंध लगाया था और उस समय महिलाओं को एक निजी जाति समझा जाता था उनके खिलाफ अन्याय होता था अगर महल, बाजार, या कही भी दिख जाती थी तो सब थूकते थे और आज यही महिलाएं देश की प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, गणितज्ञ, अभिनेत्री, और अन्य कई बड़े कार्यों को संभाल रही हैं। और अब महिलाओं को तो काफी सहयोग मिल चुका है किंतु थर्ड जेंडर यानी किन्नर जाति उस स्तर पर नही पहुंची जहा महिलाएं या पुरुष झंडे गाड़ रहे हैं तो आज हम यह संकल्प लेते है की किसी भी किन्नर को निज जाती का न समझ कर उसे शिक्षित और प्रोत्साहित करेंगे। यह बात सुनकर मीतू सभी गणमान्यजनों के समस्त पद्मश्री पुरस्कार पाकर गोरवांवित होती क्युकी इसने किन्नरों का नाम रोशन किया हैं और वह प्रिंस की प्रशंसा करने लगती हैं। वह दोनो अब से अच्छे मित्र हैं और दोनो ही एक दूसरे का मार्ग प्रशस्त करतें हैं।
पर आज भी मीतू के मन में यह रहस्य नही सुलझ पाया हैं कि क्यों सोनू ने भ्रष्ट नेता को मेरे माता पिता के कहने के बाद ही गिरफ्तार किया? अब तो वह लोग नही रहे पर अब भी यह खयाल मीतू के मस्तिष्क को टटोलता हैं।

कहानीकार: डॉ. सुनीता श्रीवास्तव
9826887380
इंदौर