तड़प इश्क की - 34 Miss Thinker द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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तड़प इश्क की - 34

एकांक्षी जैसे ही उन फूलों को लेने के लिए अपना हाथ बढ़ाती उससे पहले ही किसी ने आद्रिक के हाथों से फूल छिन लिये थे......

अब आगे.............

आद्रिक और एकांक्षी के हाथों के बीच से फूल छिन लिए गए , दोनों की नजर एक साथ उस शख्स पर पड़ती है , जिसे देखकर एकांक्षी मुस्कुराते हुए कहती हैं....." तान्या, , ..."

" Hey बेस्टी आई यू ओके...." तान्या भी मुस्कुराते हुए कहती हैं..... जिसके जवाब में एकांक्षी हां में सिर हिला देती है , लेकिन आद्रिक की नजर अब भी तान्या पर बनी हुई थी जिसे तान्या नोटिस करते हुए कहती हैं...." ओह सॉरी आद्रिक बट क्या है न एकांक्षी को फ्लोवर तो बहुत पसंद है लेकिन यलो नहीं , , ...."

एकांक्षी सवालिया नज़रों से उसे देखती है, , जिसे देखकर तान्या उसे बीती रात यलो फ्लोवर की घटना याद दिलाते हुए कहती हैं....." एकांक्षी तू भूल गई उस फ्लोवर की बात जिसकी वजह से तेरी तबियत बिगड़ी थी , ..."

एकांक्षी को तान्या की बात समझ नहीं आ रही थी इसलिए उलझन भरी नजरों से देखते हुए कहती हैं...." किस फ्लोवर की बात कर रही है जिससे मेरी तबियत बिगड़ी है...?..."

अब एकांक्षी के जबाव से तान्या सोच में पड़ जाती है , तो आद्रिक भी अपनी ग़लती को सोचते हुए अपने आप से कहता है ...." इस फूल से तबीयत बिगड़ी थी..... इसका मतलब हमसे गलती हो गई , हमें कुंदनवन का फूल एकांक्षी के बालों में नहीं लगाना चाहिए था , हम इतनी बड़ी भूल कैसे कर गए , हमें पता ही नहीं चला , लेकिन इस तान्या का व्यवहार कुछ ठीक नहीं लग रहा है...."

तो वहीं तान्या खुद को नार्मल करते हुए कहती हैं....." बाय द वे , आई यू ओके न...."

" हां तान्या मैं बिल्कुल ठीक हूं..... लेकिन तुझे पता है मुझे ठीक किसने किया है..."

" किसने...?.."

" विक्रम ने..."

विक्रम का नाम सुनकर जितना तान्या शाक्ड थी उतना ही आद्रिक भी , तान्या कहती हैं...." क्या , . उसने ठीक किया है....?.."

एकांक्षी नार्मली कहती हैं....." हां तान्या , , डाक्टर बता रहे थे वो अपने डॉक्टर से कंसल्ट करके कोई इंजेक्शन लाया था..."

तान्या कुछ कहती उससे पहले ही किरन बोलती है..." ये जबसे हाॅस्पिटल से आया है इतना नार्मल कैसे हो रहा है...तू इससे दूर ही रहना..."

तान्या किरन की बात पर हामी भरकर कहती हैं...." बिल्कुल एकांक्षी किरन ठीक कह रही है...." इतना कहकर तान्या अपने आप से कहती हैं....." इस विक्रम के बारे में जानना पड़ेगा , आखिर ये मरने के बाद जिंदा कैसे हुआ , जिंदा हुआ तो हुआ फिर ये इतना नार्मल बनकर एकांक्षी के पास क्यूं आया....?....इसकी असली पहचान और मकसद के बारे में जल्द ही पता करना होगा इससे पहले अधिराज यहां तक पहुंचे...."

इन सबकी बात सुनकर आद्रिक एकांक्षी की तरफ आकर कहता है....." ओके एकांक्षी , बाद में मिलते हैं , अब मुझे भी चलना चाहिए....एंड टेक केयर योर हेल्थ...."

एकांक्षी मुस्कुराते हुए हां में सिर हिला देती है , , इसके बाद आद्रिक वहां से चला जाता है और तान्या किरन को चेयर से उठाकर खुद उसके पास बैठ जाती है , उसके इस बिहेवियर से किरन मुंह फूला लेती है जिसे देखकर दोनों हंस जाती है , तभी राघव रुम में एंटर होता है और एकांक्षी को मुस्कुराते देख उसके चेहरे पर भी एक सुकून की मुस्कान आ जाती है.....

राघव एकांक्षी की तरफ जूस का गिलास देते हुए कहता है...." तो तुम तीनों की तिगड़म कैसी चल रही है..."

किरन मुंह बनाते हुए कहती हैं....." तुमसे तो अच्छी चल रही है मिस्टर खडूस ..."

राघव हाथ बांधता हुआ उसके सामने जाकर कहता है...." बिल्कुल चल रही होगी तुम जैसी जोकर के साथ..." राघव की बात सुनकर किरन गुस्से में उसे घूरने लगती है तो एकांक्षी और तान्या अपनी हंसी कंट्रोल करती है.....

अभी सब आपस में बातें कर रहे थे तभी नर्स रुम में आकर कहती हैं....." देखिए अब पेशेंट को रेस्ट की जरूरत है , आप सब बाहर जाइए इन्हें आराम करने दीजिए...."

नर्स की बात सुनकर राघव हामी भरते हुए बाहर चला जाता है और किरन भी उसके पीछे पीछे चली जाती हैं , , , तान्या एकांक्षी के हाथों पर हाथ रखते हुए उसे आराम करने की कहकर जैसे ही हटती है उसे एक अलग ही एहसास होता है , जिससे वो एक बार अपने हाथ को और एक बार एकांक्षी की तरफ देखने लगती है लेकिन नर्स उसे बाहर जाने का इशारा करती है , जिससे तान्या परेशान सी खुद से बातें करते हुए बाहर आती है......" ये क्या एहसास था , , मुझे एकांक्षी को छूने पर बैचेनी सी क्यूं हुई...?.... कुछ तो ..बहुत कुछ हो रहा है , जो मेरी आंखों के सामने होते हुए भी नहीं समझ आ रहा है...."

उधर अधिराज अपने महल पहुंच चुका था जहां थोड़ा काम करके अपने कमरे में चला जाता है , ,

जहां एक तरफ लगी वैदेही की तस्वीर के पास जाकर उसे देखते हुए कहता है....." वैदेही , , तुमने ऐसा क्यूं किया , क्यूं हमें , हमारे प्रेम को बीच राह में छोड़ गई , , अब फिर से हमें अपने प्रेम को पाने में बहुत कठिनाई हो रही है , हम अजनबी बनकर रह गए तुम्हारे लिए , , हम एक पल भी आपको वहां नहीं छोड़ सकते किन्तु हमारी विवशता है....."

अधिराज वैदेही के बीते पलों को याद करने लगता है.......

फ्लैशबेक..........

झरने की झर झर‌ करती हुई आवाज , कोयल का गुनगुनाना और उस पर अधिराज की सारंगी की धुन उस मौसम को और भी लुभावना बना रही थी....

अधिराज झरने किनारे एक बड़े से पत्थर पर बैठा वैदेही का इंतजार करते हुए कहता है....." आज हमें सजा देने का उद्देश्य है , इनका अब तक आई नहीं...." इतना कहकर अधिराज दोबारा सारंगी को तेज आवाज में बजाने लगता है जिससे थोड़ी ही देर बाद , पायल की छन छन गूंजने लगती है , जिसे सुनकर अधिराज के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है लेकिन वो पीछे नहीं पलटा बस अपनी सारंगी को बजाने में मग्न हो जाता है....

वैदेही धीरे धीरे अधिराज के पीछे पहुंच चुकी थी , ,.... जिसे अधिराज महसूस करते हुए मुस्कुरा रहा था , लेकिन वैदेही उसके करीब पहुंचकर झट से उसकी सारंगी छिनकर भागने लगती है.....

अधिराज वैदेही की इस तरह सारंगी छिनने से मुस्कुराते हुए उसके पीछे जाते हुए कहता है....." हमें पता था , तुम ऐसे तो आओगी नहीं , सारंगी ही बजानी पड़ेगी , अब चाहे तो इसे ले जा सकती हो , हमें तो वैदेही चाहिए ये सारंगी नहीं...."

वैदेही अपनी जगह रूक जाती है , जिससे अधिराज उसके पास पहुंचने लगता है , , ,...




..................to be continued.............


sorrry readers health causes ki vjh s m story nhi post kr payi . But ab apko wait nhi karna padega..