Sirf Tumhare Liye - 4 - Last Part books and stories free download online pdf in Hindi

सिर्फ तुम्हारे लिए - 4 (अंतिम भाग)

हा दरअसल भाई की दो प्रेमिका थी. तो ये जो कार्तिक भाई थे. वो उन दोनो को चाहता था. पर लड़ाई उन दो लड़कियों में चल रही थी. लेकिन ये लड़ाई धीरे धीरे कब दुश्मनी में बदल गई पता ही नही चला. और जब उस लड़ाई की हद पार हो गई. उस दिन भाई को बुलाया. उस पहली वाली लड़की का काम तमाम कर के.

लेकिन अगर ये दोनो लड़किया प्यार करती थी कार्तिक जी को. तो फिर धोका क्यू दिया उस दूसरी वाली लड़की ने.

हा वो तो बाद की बात है. धोका तो तब दिया जब भाई के बेल कराने का वक्त आया. जब उस लड़की को भाई ने. घर भेज दिया तब से लेकर भाई की बेल होने तक वो लड़की भाई को मिलने तक नही आई. और नही किसिके साथ कोई खबर भेजी. और फिर जब भाई जेल से आए. और उसके दो दिन बाद. भाई क्या देखते है.

क्या देखा आदित्य जी. बताओ ना. आप चुप मत रहो महेरबानी कर के.

हा हा बता रहा हु. उस लड़की ने दूसरे लड़के से शादी कर ली. तब से लेकर अभी तक भाई ऐसे ही रहते है. कभी कभी गुस्सा होते है. उसको ज्यादा परेशान नहीं कर ने का.

ओह तो ये बात है. काफी बड़ी बात हो गई है. इस कार्तिक जी के साथ तो. तभी में सोचू की कोई व्यक्ति इतना गुस्सा क्यू कर सकता है.

हा क्रीतिका जी ऐसा हुआ है. लेकिन गर्व की बात ये है. की इतना सब कुछ होने के बावजूद भी भाई जान देने के बारे में कभी नहीं सोचा.

हा ये तो आपने काफी बड़ी बात बोली है. और ये बात साबित भी की है. वरना आज कल के लोग सीधा जान गवाने पर आ जाते है.

हा तो क्रीतिका जी ये कहानी थी मेरे कार्तिक भाई बड़ी दुख भरी कहानी बनी हुई है. मेरे भाई जैसे दोस्त की.

हा दुख भरी कहानी तो है. क्यू की इतना बड़ा बोझ ले कर जीना बहुत मुस्किल हो जाता है. फिर भी कार्तिक जी ने इतने बड़े बोझ को साथ में ले कर जीने का साहस दिखाया वो बहुत बड़ा काम है. जोकि बहुत कम लोग कर पाते है.

हा क्रीतिका का जी काफी लंबी बाते हो गई अब कुछ ऑर्डर कर दे. आए तब से सिर्फ बाते ही कर रहे है. बताओ क्या ऑर्डर करे.

हा कुछ ठंडा मंगाओ. थोड़ा मन शांत हो. ये सारी बाते सुन कर थोड़ा मुझे भी मन में कुछ टच सा हो गया है.

हा ठीक है अभी मंगाते है. वैटर सुनो तो. दो ग्लास लस्सी ले आइए.

जी सर अभी लाते है. आप थोड़ा वैट करिए. ये लीजिए सर आप लोगो की लस्सी. सर और कुछ लाऊ. समोसे या कुछ और खाने के लिए लाऊ. बर्गर, पिज्जा, मंचूरियन,

नही आप बस लस्सी ले आओ. हमे और कुछ नही चाहिए.

ये लीजिए सर आपकी लस्सी.
थैंक यू सो मच जी.


चलो फिर आज की इस कहानी को अब यही समाप्त करते है. कहानी अच्छी लगी हो तो अपना प्रतिभाव हमारे साथ जरुर शेयर करे. धन्यवाद।

अन्य रसप्रद विकल्प

शेयर करे

NEW REALESED