इरादा Anonymous द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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इरादा

स्वच्छ भारत का इरादा , इरादा कर लिया हमने देश से ये वादा... ये वादा कर लिया हमने। यह गाते हुए एक चौपहिया वाहन रोज मोहल्ले से गुजरता है। जैसे ही लोगो के कानो मे उसकी आवाज पड़ती है। लोग भागते है उसकी ओर कचरे से भरी बाल्टिया, डब्बे और थैलिया लेकर और उड़ेल देते है गाड़ी मे , फिर इस तरह से चलते हुए आते है जैसे की इनका ही इरादा सबसे मजबुत है। अपने ही मन मे सोचते हैं कि हम ही वही लोग है। जो इस मिशन में सबसे ज्यादा भागीदारी वाले हैं पर यह लोग वही होते हैं जो घर को तो साफ रखना चाहते हैं पर सार्वजनिक स्थानों पर बेधड़क कचरा फैलाते हैं। जैसे रेलवे स्टेशन पर जाना हुआ तो बोतले, खाने के पैकेट, कागज पॉलिथीन ऐसे फेंकते हैं जैसे तो अब इनका इरादा ही बदल गया हो,ऐसे ही स्कूल कॉलेज अस्पताल, बैंकों में, बाजारों में, बस स्टैंड पर और भी ना जाने बहुत-सी जगह पर तो इनका इरादा स्वच्छता का नहीं बल्कि अस्वच्छता का बन जाता है।

अक्सर आपने देखा होगा की सार्वजनिक स्थानो पर जो स्वच्छता कर्मचारी होते हैं वह कुछ ज्यादा ही चिड़चिड़े होते हैं। हर वक्त गुस्से से भरे हुए होते हैं। क्या आप जानते हैं कि उनके गुस्सा होने का क्या कारण है उनका कारण हम सब हैं कैसे ? एक प्रयोग से समझते हैं। प्रयोग ऐसे हैं कि एक दिन आप सुबह उठे तो अपने घर वालों से कहे दे की आज साफ-सफाई का काम मैं करूंगा, फिर जब आप झाड़ू लगाने लगे तब अगर झाड़ू लगाते हुए अगर गलती से भी कोई भी घर का सदस्य वहा से गुजर जाए तो आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी और अगर पोछा लगाते वक्त कोई गुजर जाए तो फिर क्या कहना, फिर तो घर में ऐसा भूचाल आता है कि उसका वर्णन करने की कोई जरूरत ही नहीं है। उम्मीद है आप समझ गए होंगे कि आखिरकार वे स्वच्छता कर्मचारी इतने गुस्से में क्यों होते हैं।

आज के जमाने मे हर वो शख्स गलत है। जो अपने फर्ज (कर्त्तव्य) से हट गया हो, पर आज-कल कोई भी अपनी गलती मानने को तैयार नही है। आज हमको ये ही नही मालूम है कि हमारा खुद के प्रति और दूसरो के प्रति क्या कर्त्तव्य है। सेवा करना तो अब हमारे दिल और दिमाग से बिल्कुल ही निकल चुका है। कहा जाता है कि मनुष्य की सेवा करना ही सबसे बड़ा धर्म है ,पर आज कोई भी यह धर्म निभाने को तैयार नही है। मुस्लिम समुदाय मे भी एक वाक्य बड़ा ही प्रमुख है कि खिदमत से खुदा मिलता और इबादत से जन्नत। पर आज शायद किसी को भी खुदा नही चाहिए....

आप ऐसे नागरिक हैं कि आपको दूसरों का मुस्कुराना पसंद है और आप उन कर्मचारियों के गुस्से से भरे हुए चेहरे पर हंसी लाना चाहते हैं तो आप क्या कर सकते हैं ? आपको कुछ नहीं करना है बस आपका जो इरादा है घर के कचरे को गाड़ी में फेंकने का उसको बढ़ाना होगा इरादा घर का ही नहीं बल्कि वादा करना होगा खुद से कि मैं अपने देश स्वच्छ बना कर ही रहूंगा